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अन्न का एक दाना – महाभारत

पांडवों ने महर्षि धौम्य को अपना कुल-पुरोहित बनाया था। इसलिए जब उन्हें पांडवों की वनवास-यात्रा के विषय में पता चला तो वे वन में उनके निकट ही कुटिया बनाकर रहने लगे। एक दिन युधिष्ठिर ने उनसे कहा- “महात्मन् ! अनेक ऋषि-मुनि और ब्राह्मणगण स्नेहवश हमारे साथ रह रहे हैं, परंतु मेरे समक्ष धर्मसंकट उत्पन्न हो […]

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शिशुपाल-वध – महाभारत

श्रीकृष्ण की सुप्रभा नामक एक मौसी थी, जिसका विवाह चेदि देश के दमघोष के साथ हुआ था। विवाह के उपरांत सुप्रभा ने एक पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम शिशुपाल रखा गया। साधारण बालकों की अपेक्षा शिशुपाल की चार भुजाएं और तीन नेत्र थे। उसका विचित्र रूप देखकर सुप्रभा और राजा दमघोष ने भयभीत होकर […]

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अर्जुन को वनवास – महाभारत

युधिष्ठिर ने यह नियम बनाया था कि द्रौपदी एक-एक महीना प्रत्येक भाई के पास रहेगी और जब वह किसी भाई के साथ होगी तो दूसरा भाई उसके कक्ष में नहीं आएगा। इस नियम का उल्लंघन करने वाले को बारह वर्ष तक वन में निवास करना होगा। सभी भाई इस नियम का पालन करते थे। ऐसा […]

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गांडीव और सुदर्शन – महाभारत

कुंती और पांडव जीवित हैं, यह समाचार चारों ओर फैल गया था। राजा द्रुपद आदरसहित उन्हें अपने महल में ले आए। हस्तिनापुर में भीष्म पितामह, विदुर, धृतराष्ट्र, दुर्योधन को भी यह सूचना प्राप्त हो चुकी थी। भीष्म पितामह के परामर्श से धृतराष्ट्र ने पांडवों को लाने के लिए विदुर को भेजा। विदुर बहुमूल्य उपहार लेकर […]

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द्रौपदी का पूर्व जन्म – महाभारत

यह कथा द्रौपदी और पांडवों के जन्म से जुड़ी है, जो शापवश मनुष्य योनि में जन्मे। केतकी ने द्रौपदी, धर्मराज ने युधिष्ठिर, वायुदेव ने भीम, इंद्र ने अर्जुन तथा अश्विनी कुमारों ने नकुल एवं सहदेव के रूप में जन्म लिया। यह कथा इस प्रकार है- केतकी दक्ष प्रजापति की पुत्री थी। अपनी सुंदरता व सदाचार […]

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मछली की आंख – महाभारत

पांडव एकचक्रा नगरी को छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान की खोज में भटक रहे थे। तभी उनकी भेंट महर्षि व्यास से हुई। उन्होंने उन्हें पांचाल देश जाने का परामर्श दिया। कुंती ने भी पुत्रों से पांचाल चलने का आग्रह किया। अतः पांडव पांचाल की ओर चल पड़े। मार्ग में महर्षि धौम्य का आश्रम पड़ा। पांडवों ने […]

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द्रौपदी का जन्म – महाभारत

पांचाल देश में परम पराक्रमी राजा पृषत राज्य करते थे। उनका एक पुत्र था, जिसका नाम द्रुपद था। राजा पृषत की महर्षि भारद्वाज के साथ मित्रता थी। इसलिए उन्होंने द्रुपद को शिक्षा-दीक्षा लेने के लिए उन्हीं के पास भेजा। वहीं महर्षि भारद्वाज के पुत्र द्रोण भी रहते थे। द्रुपद और द्रोण में गहरी मित्रता हो […]

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बकासुर का अंत – महाभारत

लाक्षागृह से बचकर पांडव और कुंती एकचक्रा नामक नगरी में पहुंचे और वहां एक ब्राह्मण के घर रहने लगे। कोई उन्हें पहचान न ले, इसलिए उन्होंने ब्राह्मणों का वेष धारण कर रखा था। वे प्रातः भिक्षा मांगने निकलते और संध्या के समय घर लौट आते। इस प्रकार अनेक दिन व्यतीत हो गए। एक दिन कुंती […]

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बलराम का विवाह – महाभारत

वैवस्वत मनु के पुत्र महाराजा शर्याति के वंश में रैवत नामक एक प्रसिद्ध राजा हुए। वे बडे वीर, धर्मात्मा, दानी, दयालु, पराक्रमी और प्रजाप्रिय राजा थे। उनका एक नाम ककुद्मी भी था। पिता के ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण उन्हें कुशस्थली (द्वारिका) का राज्य मिला। वे धर्मपूर्वक राज्य-संचालन करने लगे। उनके राज्य में सदा सुख-समृद्धि […]

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रुक्मिणी का हरण – महाभारत

भीष्मक नामक एक प्रतापी राजा विदर्भ देश के अधिपति थे। उनके रुक्मी, रुक्मरथ, रुक्मबाहु, रुक्मकेश, रुक्ममाली नामक पांच वीर पुत्र और रुक्मिणी नामक एक अत्यंत सुंदर कन्या थी। एक बार रुक्मिणी अपनी सखियों के साथ राज-उद्यान में विचरण कर रही थीं। तब उनकी एक सखी भगवान श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य और पराक्रम का वर्णन करते हुए […]