Secret Behavior in Children
Secret Behavior in Children

Summary: बच्चों में सीक्रेट बिहेवियर

बच्चों में सीक्रेट बिहेवियर उम्र के साथ स्वाभाविक रूप से आता है, लेकिन इसके पीछे डर, असुरक्षा या भावनात्मक दूरी भी छिपी हो सकती है।

Secret Behavior in Children: बहुत से पेरेंट्स शिकायत करते हुए दिख सकते हैं, जैसे-जैसे हमारा बच्चा बड़ा हो रहा है वह हमसे अपनी बातें और चीजे छुपाने लगा है। कई बार बच्चों की छुपाने की आदत से माता-पिता चिंतित हो जाते हैं। वह खुद पर और बच्चे पर शंका करने लगते हैं। कहीं बच्चा कुछ गलत तो नहीं कर रहा, कहीं हमने ज्यादा सख्ती तो नहीं कर दी। बच्चों में अलग-अलग उम्र में अलग-अलग बातें छुपाने का व्यवहार पनपता है। बच्चों के इसी व्यवहार को सीक्रेट बिहेवियर कहते हैं। आईए जानते हैं इस लेख में माता-पिता इसे कैसे समझे इसे।

सीक्रेट बिहेवियर आसान भाषा में कहें तो बच्चा जब जानबूझ कर अपनी भावनाएं या कुछ बातें और गतिविधियां माता-पिता से छिपाने लगे तो इसे सीक्रेट बिहेवियर कहा जाएगा। हालांकि बच्चों की हर सीक्रेट बिहेवियर को गलत नहीं ठहराया जा सकता इसके पीछे की भावना को समझना जरूरी है।

बच्चों में सीक्रेट बिहेवियर कब आता है

3 से 5 साल: इस उम्र को बच्चों का कल्पना लोक भी कह सकते हैं। क्योंकि इस उम्र में ही बच्चे अपनी काल्पनिक कहानियों और दोस्त बनाते हैं। इसी उम्र में बच्चे अपनी कल्पना को सीक्रेट शब्द का नाम देते हैं। बच्चों में यह एक सामान्य विकास की स्थिति है।

What is secretive behavior and when does it occur?
What is secretive behavior and when does it occur?

6 से 8 साल: इस उम्र में बच्चों की समझ में हर बात माता-पिता को बताना जरूरी नहीं है। खासकर जिस बात के लिए उसे डांटा या मना किया जा सके।

9 से 12 साल: इस उम्र में बच्चा अपने व्यक्तित्व को समझने लगता है। उसे दोस्त, परिवार और माता-पिता में अंतर समझ आने लगता है। वह समझता है कि किसे कौन सी बात वह कह सकता है। इस उम्र में बच्चों के अंदर सीक्रेट बिहेवियर बढ़ता है।

12 से 18 साल: किशोरावस्था जिस में बच्चा शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव से गुजरता है। इस उम्र में ज्यादातर बच्चों में सीक्रेट बिहेवियर सामान्य हो जाता है।

अगर माता-पिता बच्चे पर ज्यादा अनुशासित रहने का दबाव डालें या छोटी गलती पर भी बच्चे को डांटे तो बच्चा सजा से बचने के लिए सीक्रेट बिहेवियर अपनाता है।

अगर बच्चा जब अपनी भावनाएं माता-पिता से साझा करें और माता-पिता द्वारा उसे बार-बार जज किया जाए या बच्चे की गलती को ताने या आलोचना के लहजे में कहा जाए तो बच्चा इस शर्मिंदगी से बचने के लिए अपने भावनाओं को छुपाता है।

अगर माता-पिता बच्चे पर हर समय निगरानी रखें। उसके निजी स्पेस में बिना आज्ञा बार-बार दखल दें या उसे शक की नजरों से देखे तो बच्चा इन सब से बचने के लिए अपनी बातों को छुपाता है।

अगर माता-पिता बच्चों की बातों को अनसुना करें या उसके भावनाओं की अनदेखी करे तो बच्चा भावनात्मक रूप से आहत होता है और वह माता-पिता का सामना करने से बचता है।

क्या करें: अपने बच्चों को डांटने से ज्यादा उनके बातों को सुनने और समझने में समय दें। उन्हें भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करवाएं। घर में इतना अधिक अनुशासन ना रखें कि बच्चा उसे बोझ समझने लगे। अगर बच्चा अपनी गलती स्वीकार कर रहा है तो सीधा डांटने की बजाय समझ से काम लें।

बच्चों को इस बात की जानकारी दें कि किस तरह की बातें छुपाना उनके लिए सुरक्षित है और किस तरीके की बातें छुपाना उनके लिए खतरनाक है। मानसिक और शारीरिक रूप से उन्हें सीक्रेट और सुरक्षित सीक्रेट बिहेवियर में अंतर समझाएं।

क्या ना करें: अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना ना करें। उन्हें हमेशा शक भरी नजरों से ना देखे। उनके निजी स्पेस का ख्याल रखें। अगर आप कुछ जानना चाहते हैं तो उनसे पूछ कर, उनकी उपस्थिति में जांच करें। उनकी छोटी-छोटी भावनाओं का मजाक ना बनाएं।

बच्चों का सीक्रेट बिहेवियर उनके विकास का हिस्सा है। बस जरूरत है उन्हें प्यार और धैर्य से समझने की।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...