बच्चा छुपाता है बातें, इस तरह लाएं परवरिश में बदलाव
बच्चों से उनके पूरे दिन के बारे में पूछें, अपने बारे में बताएं। किसी भी जरुरी काम को करने से पहले बच्चों की उम्र के हिसाब से उनसे राय जरूर लें।
Parenting Tips: बच्चे की परवरिश में माता पिता अपनी तरफ से कभी कोई कमी नहीं रखते। लेकिन इसके बाद भी अगर उनका बच्चा उनसे बातें छुपाये। अपने मन की कोई बात उन्हें बताना ना चाहे, या दिल की कोई भी बात उनसे छुपा ले तो माता पिता का अपनी परवरिश से भरोसा उठने लगता है। उन्हें लगने लगता है की उनका बच्चा बातें इसलिए छुपा रहा है क्यूंकि उनमें ही कहीं कोई कमी है। शायद वो अपने बच्चों के लिए वो सब नहीं कर पा रहे हैं जो उन्हें करना चाहिए था। अपने मन की ऐसी बातों पर रोक लगाएं और सोचें की आखिर आपका बच्चा आपसे बातें क्यों छुपा रहा है। इसके लिए आपको अपने मन को शांत रखना होगा। अपने बच्चे से बात करें और उसके बातें छुपाने की वजह के बारे में बहुत ही प्यार और धैर्य से जानें।
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आइये जानतें हैं कुछ ऐसी टिप्स जिनसे आप बच्चे के मन को समझ पाएंगे।
सीक्रेट बातों वाला पार्टनर

मात पिता में से कोई एक बच्चे को थोड़ा अधिक प्रिय होता है। जिसके साथ बच्चे का ऐसा रिश्ता हो वो हमेशा बच्चे की हर बात अच्छे से सुनें और अपने तक ही सीमित रखे। बच्चे की आपको बताई हुई बात आप किसी से भी साझा ना करें। अगर जरुरत पड़े तो अपने पार्टनर से शेयर करें और बच्चे तक ये बात ना जाने दें। उसका भरोसा बनाएं रखें। इस तरह बच्चे को एक सीक्रेट शेयर करने वाला पार्टनर भी मिल जाएगा और वो अपनी बातें छुपाने से ज्यादा आपके साथ बांटना पसंद करेगा।
बातें होती रहे

माता पिता और बच्चों के बीच में उम्र का एक बड़ा अंतर होता है पर इस अंतर को अपने रिश्ते के बीच में ना आने दें। आपस में बातें काम होने पर रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं। एक दूसरे से बात करते रहें, बच्चों से उनके पूरे दिन के बारे में पूछें, अपने बारे में बताएं। किसी भी जरुरी काम को करने से पहले बच्चों की उम्र के हिसाब से उनसे राय जरूर लें। इस तरह बच्चा समझने लगेगा की आपके जीवन में उनकी बहुत अहमियत है और अपने मन की बातें साझा करने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी।
एक चुप कई दुःख

बच्चों जब आपसे कुछ पूछें या बताएं उस वक़्त आप अपना काम थोड़ी देर के लिए बंद कर के उनकी बात ध्यान से सुनें। कई बार हम अपने कामों में इतने उलझे रहतें हैं की या तो बच्चों को दांत कर चुप करा देते हैं या फिर उनकी बातों पर गौर ही नहीं करते हैं। हमारी इस छोटी सी प्रतिक्रिया का बच्चे के मन पर गहरा असर होता हैं। उन्हें लगता हैं की माता पिता को इनकी बात में कोई रूचि ही नहीं, इसलिए धीरे धीरे बच्चे अपने मन की बातें छुपाने लगते हैं।
गलत सही के बीच का अंतर

बचपन की नाजुक उम्र में क्या सही क्या गलत हैं इस बात का अंदाजा बच्चे नहीं लगा पाते हैं। कभी कभी वो कुछ ऐसा काम कर देते हैं जो हमारी सोच से भी परे होता हैं और हम उनकी तारीफों के पुल बांध देते हैं, लेकिन इसके उलट जब बच्चे कुछ गलत काम कर बैठते हैं तो हम उन पर बरस पड़ते हैं, उन्हें डांटने लगते हैं, कभी कभी गुस्से में कुछ बुरा भी बोल जाते हैं। माता पिता अपने इस व्यवहार को बदलें अच्छे काम पर तारीफ़ के साथ गलत काम पर डपटने की जगह बच्चों को प्यार से गलत और सही का फर्क बताएं, उन्हें अपने बचपन की गलतियां भी बताएं, ताकि वो समझ सकें की गलतियां सबसे होती हैं और आपको खुल कर अपने मन की हर बात बता पाएं।
