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सर्प मरण यज्ञ – महाभारत

परीक्षित की मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र जनमेजय का राज्याभिषेक किया गया। कुछ समय बाद उनका विवाह काशी के राजा सुवर्णवर्माक्ष की कन्या वपुष्टमा के साथ कर दिया गया। जनमेजय एक कुशल, धर्मात्मा और सत्यवादी राजा थे। एक बार जनमेजय के राजदरबार में उतंक नामक ऋषि पधारे। जनमेजय ने उनका उचित आदर-सत्कार किया और आगमन […]

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आस्तीक मुनि की कथा – महाभारत

कश्यप ऋषि की कद्रू और विनता नाम की दो पत्नियां थीं। एक बार किसी बात से क्रोधित होकर कद्रू ने अपने सर्प-पुत्रों को शाप दे दिया कि वे राजा जनमेजय (परीक्षित के पुत्र) के सर्प-यज्ञ में जलकर भस्म हो जाएंगे। इससे सर्प अत्यंत भयभीत हो गए और अपनी रक्षा के लिए ब्रह्माजी की शरण में […]

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परीक्षित की मृत्यु – महाभारत

परीक्षित अपने नीच कार्य पर दुःखी थे, लेकिन जब उन्हें मुनि कुमार के शाप देने की बात ज्ञात हुई तो पाप का प्रायश्चितत्त करने के लिए वे निराहार रहकर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करने लगे। तभी भगवान की प्रेरणा से महर्षि शुकदेव वहां पधारे। परीक्षित ने उनसे मोक्ष का उपाय पूछा। शुकदेवजी ने उन्हें श्रीमद्भागवत […]

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कलियुग का आगमन – महाभारत

पांडवों के स्वर्ग जाने के पश्चात् परीक्षित ऋषि-मुनियों के आदेशानुसार धर्मपूर्वक शासन करने लगे। उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने जिन गुणों का वर्णन किया था, वे समस्त गुण उनमें विद्यमान थे। उनका विवाह राजा उत्तर की कन्या इरावती से हुआ। उससे उन्हें जनमेजय आदि चार पुत्र प्राप्त हुए। इस प्रकार वे समस्त ऐश्वर्य भोग […]

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पांडवों का स्वर्गारोहण – महाभारत

एक बार भगवान श्रीकृष्ण से मिलने की इच्छा से अर्जुन द्वारिका गए। जब वे कई दिनों तक नहीं लौटे तो युधिष्ठिर को भयंकर अपशकुन दिखाई देने लगे। लोग अत्यंत क्रोधी, लोभी, असत्यप्रिय और दुराचारी हो गए थे। उनका व्यवहार कपटपूर्ण हो गया था। पिता, माता, पति, पत्नी में वैर-विरोध रहने लगा। यह सब देख युधिष्ठिर […]

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युधिष्ठिर का राज्याभिषेक – महाभारत

युधिष्ठिर को अपने बंधु-बांधवों के मरने का बड़ा दुःख था। जब उन्हें हस्तिनापुर का राज्य सौंपा गया तो उन्होंने राजा बनने से इनकार कर दिया। तब श्रीकृष्ण, व्यासजी और अन्य महर्षि उन्हें अनेक प्रकार से समझाने लगे। इस पर युधिष्ठिर मोहवश बोले-“प्रभु ! मैंने अपने स्वार्थ के लिए अनेक लोगों के प्राण ले लिए। मैंने […]

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यदु-वंश को शाप – महाभारत

यह घटना उस समय की है, जब युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडव हस्तिनापुर लौटे। गांधारी और धृतराष्ट्र अपने सौ पुत्रों को खोकर शोकमग्न थे। जब पांडव उनसे मिलने आए तो गांधारी क्रोध से भर उठी। वह उन्हें शाप देने का विचार कर रही थी कि महर्षि व्यास वहां आ पहुंचे। उन्होंने गांधारी […]

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स्त्रियों को शाप – महाभारत

अश्वत्थामा के जाने के बाद पांडवों ने अपने मृत बंधु-बांधवों का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद युद्ध में मारे गए स्वजन का तर्पण करने के लिए कुंती, पांडव, धृतराष्ट्र, गांधारी, सुभद्रा, द्रौपदी, उत्तरा और भगवान श्रीकृष्ण गंगा नदी के तट पर आए और उन्हें जलांजलि देने लगेे। जब कुंती ने कर्ण के नाम की जलांजलि […]

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अभय-दान – महाभारत 

अश्वत्थामा को पशु की भांति बांधकर द्रौपदी के समक्ष प्रस्तुत किया गया। भयंकर पाप के कारण उसका मुख नीचे की ओर झुका हुआ था। अपने कुल का नाश करने वाले द्रोण-पुत्र अश्वत्थामा को देखकर द्रौपदी का मन करुणा से भर आया। उसने अश्वत्थामा को प्रणाम किया और अर्जुन से बोली-“नाथ ! इन्हें बंधन-मुक्त कर दीजिए। […]

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अश्वत्थामा का मान-मर्दन – महाभारत 

अगले दिन प्रातः पांडवों को रात की घटना के बारे में पता चला तो वे शोकमग्न हो गए। द्रौपदी अत्यंत दुःखी होकर विलाप करने लगी। उसे रोते देख अर्जुन बोले-“धैर्य रखो पांचाली ! अश्वत्थामा को उसके पाप का दंड अवश्य मिलेगा। मैं अभी अपने गांडीव से उसका सिर काटकर लाता हूं। पुत्रों का अंतिम संस्कार […]