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श्रीकृष्ण-जन्म – महाभारत

द्वापर युग की बात है। पापकर्म इतने बढ़ गए कि पृथ्वी उनके बोझ तले दबकर छटपटाने लगी। उसे असीम कष्ट हो रहा था। भयभीत होकर वह गाय के रूप में आंसू बहाती हुई ब्रह्माजी और देवगण के साथ वैकुण्ठ लोक पहुंची और श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की स्तुति की। उनकी स्तुति से भगवान विष्णु प्रसन्न हो […]

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उत्तराधिकारी – महाभारत

सुंदर पत्नियां पाकर विचित्रवीर्य अत्यंत प्रसन्न थे। उनके रूप-सौंदर्य में लिप्त होकर वे अपना अधिकांश समय उनके साथ ही बिताने लगे। अभी कुछ महीने ही व्यतीत हुए थे कि वे क्षयरोग से ग्रस्त हो गए। अनेक वैद्यों ने उनका उपचार किया, किंतु सब विफल रहा। अंत में वे काल का ग्रास बन गए। विचित्रवीर्य की […]

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भीष्म-प्रतिज्ञा – महाभारत

देवव्रत ने भगवान परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी, इसलिए वे उन्हीं के समान वीर, पराक्रमी और धनुर्धर थे। ऐसा युवराज पाकर हस्तिनापुर की प्रजा धन्य थी। राजा शांतनु भी अपने वीर पुत्र को देखकर प्रसन्न होते थे। एक बार देवव्रत घुड़सवारी करते हुए अकेले ही राजधानी से बाहर चले गए। वहां उन्हें […]

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दुष्यंत-शकुंतला – महाभारत

एक बार महर्षि विश्वामित्र ने अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या से इंद्र चिंतित हो उठे कि कहीं विश्वामित्र उनका सिंहासन न छीन लें। अतः उन्होंने मेनका नामक अप्सरा को उनकी तपस्या भंग करने हेतु भेजा। मेनका अत्यंत सुंदर और रूपवती थी। उसने अपने रूप-सौंदर्य का जाल फैलाकर विश्वामित्र को मोहित कर […]