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कुटिल चाल – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: पाताल में प्रह्लाद ने सैकड़ों वर्षों तक शासन किया। आयु के अंतिम चरण में उसने विरोचन के पुत्र बली को पाताल का राज्य सौंपा और स्वयं तपस्या करने के लिए हिमालय पर्वत पर चला गया । प्रह्लाद जहाँ देवताओं का मित्र था, वहीं राज्य पाते ही दैत्यराज बली देवताओं का विरोधी हो गया […]

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स्त्रीरूपी त्रिदेव – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार की बात है, सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्माजी को अनुभव हुआ कि विद्या, वैभवता और भय के बिना; सृष्टि सौन्दर्यविहीन होती है। विद्या के अभाव में प्राणियों को अपने जीवन के उद्देश्य का ज्ञान नहीं होता । वैभवता के अभाव में सृष्टि की सुंदरता समाप्त हो जाती है। भय न […]

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गंगापुत्र भीष्म – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: इक्ष्वाकु वंश में महाभिष नाम के उनके एक पूर्वज हुए। महाभिष सत्यवादी और धर्मात्मा नरेश थे। मृत्यु के बाद उन्हें स्वर्गलोक में स्थान मिला। एक समय की बात है, महाभिष को ब्रह्माजी की एक सभा में जाने का अवसर मिला। इस सभा में इन्द्र, विष्णु, शिव आदि सभी प्रमुख देवताओं के साथ महानदी […]

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कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक समय की बात है, महान् तेजस्वी मुनिवर पराशर तीर्थ यात्रा पर निकले हुए थे। घूमते हुए वे यमुना के पावन तट पर आए और एक मछुए से नदी के उस पार पहुँचाने के लिए कहा। मछुआ उस समय भोजन कर रहा था। उसने अपनी पुत्री मत्स्यगंधा को मुनि को नदी पार पहुँचाने […]

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खनित्र – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय में खनित्र नामक एक वीर और पराक्रमी राजा हुआ। खनित्र अत्यंत शांत, धर्मात्मा, सदाचारी, शूरवीर, विद्वान और सत्कर्मों में लगा रहने वाला राजा था। चाटुकारों को वह शत्रुओं के समान समझता था। इस कारण उसके मंत्री, सेनापति और सेवक अनुशासन में रहकर अपने कर्तव्य का पालन करते थे । खनित्र सदा […]

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नाभाग – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय में पृथ्वी पर दिष्ट नामक एक राजा राज्य करते थे । दिष्ट एक धर्मात्मा और सदाचारी राजा थे। उनका एक पुत्र था, जिसका नाम नाभाग था। एक बार नाभाग घोड़े पर सवार होकर नगर में घूम रहा था। तभी उसकी दृष्टि मंदावती नामक एक सुंदर वैश्य-युवती पर पड़ी। मंदावती नगर के […]

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दीर्घायु का वरदान – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है, दक्ष प्रजापति के पुत्र दम एक प्रतापी राजा हुए। उनके पुत्र राज्यवर्धन भी बड़े प्रसिद्ध राजा हुए। वे धर्मपूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करते थे। उनके शासनकाल में प्रजा सुखमय जीवन बिता रही थी । इस प्रकार राज्यवर्धन ने सात हज़ार वर्ष तक सुखपूर्वक राज्य किया। उनका विवाह […]

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मधु-कैटभ – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: सृष्टि के आरम्भिक काल की बात है, तीनों लोक जल में डूबे हुए थे। केवल भगवान् विष्णु शेषनाग पर सोए हुए थे। सैकड़ों वर्षों तक भगवान् विष्णु निद्रालीन रहे। तब एक दिन उनके कानों में जमे मैल से मधु और कैटभ नामक दो दानव उत्पन्न हो गए। वास्तव में वह मैल रजोगुण और […]

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सूर्योदय नहीं – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है – प्रतिष्ठानपुर नामक नगर में एक ब्राह्मण रहता था। उस ब्राह्मण का नाम कौशिक था। पूर्व जन्म में किए हुए पापों के कारण उसे कोढ़ हो गया। उसके सभी संबंधी उसे छोड़कर वहाँ से चले गए। भयंकर रोग होने के बाद भी उसकी पत्नी मृदुला उसे देवता के […]

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वपु को शाप – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है एक बार देवर्षि नारद भ्रमण करते हुए देवराज इन्द्र के उपवन नंदन वन में पहुँचे। उस समय इन्द्र भी अप्सराओं के साथ वहाँ ठहरे हुए थे। देवर्षि नारद को वन में देखकर देवराज इन्द्र अपने आसन से उठ खड़े हुए और प्रणाम करके उन्हें आदरपूर्वक बिठाया । अप्सराओं […]

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