बिहार के वैशाली जिले के उस छोटे से कस्बे में आज जश्न का माहौल है। हर कोई उमंग में डुबा हुआ है, और हो भी क्यों नए आखिर एक स्कूल मास्टर की बेटी का भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन जो हुआ है। दीनदयाल सिंंह जी की इकलौती बेटी प्रतिभा ने अपनी अटूट मेहनत और लगन […]
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नैना फिर से जी उठी…
नैना परिवार में दूसरी बेटी थी। उसकी बड़ी बहन सीमा उससे उम्र में पांच साल बड़ी थी। वह बहुत ही सुंदर और होशियार थी। उसके जन्म पर उसकी मां को कोई ख़ुशी नहीं हुई थी बल्कि वह एक और बेटी आ जाने से बहुत निराश हो गयी थी। यही कारण था कि बचपन से ही उसे […]
एक नया संकल्प – गृहलक्ष्मी कहानियां
लाख कोशिशों के बाद भी माधवी स्वयं को संयत नहीं कर पा रही थी, मन की उद्विग्नता चरम पर थी। जाते हुए जेठ की प्रचण्ड तपन लहुलुहान मन की पीड़ा से एकाकार होकर जैसे आज जीते जी उसे जला देना चाहते थे। शाम के सात बजने वाले थे, पर दिशाओं में हल्की उजास अब तक कायम थी, यह उजास जैसे माधवी की आंखों में, तन बदन में शोलों की तरह चुभने लगा। वह छुप जाना चाहती थी, अंधेरे में कहीं गुम हो जाना चाहती थी, घर परिवार समाज सबकी नज़रों से दूर, यहां तक कि अपने आप से भी दूर .. बहुत दूर कहीं ओझल हो जाना चाहती थी।
मिलन यामिनी
यामिनी एकाएक असहज हो उठी। वजह भी वाजिब थी- अभी मिले पत्र का अटपटा शुरूआती मजमून और बेतरतीब भाषा। हालांकि पत्र के अंत तक पहुंचते वह नाॅर्मल हो गई थी और चेहरे पर मुस्कान थिरकने लगी थी। ‘‘पतंग-डोर की भांति हम परस्पर जुड़े थे, असंगत हालात ने हमारे बीच दूरियां बढ़ा दीं। तेज हवा के […]
बहके कदम
स्कूल की आधी छुट्टी की घंटी बजते ही बच्चों का एक विशाल समूह ऐसे बाहर लपका, मानो अचानक किसी बाड़े का गेट खुला हो। पता नहीं यह बच्चे ऐसे क्यूं भागते हैं, मानो किसी जेल से छूटे हों। शायद बच्चों के स्वभाव में ही गति होती है। इसी भीड़ में मीनू और गीता बड़े हौले […]
गृहलक्ष्मी की कहानियां : सन्धि वार्ता
गृहलक्ष्मी की कहानियां : टिफिन बन गया कि नहीं ? मुझे देर हो रही है।” राजाराम ने चिल्लाकर राजरानी से कहा। उधर से कोई जवाब नहीं आया। राजाराम अंदर देखने गया राजरानी बिस्तर पर लेटी थी। इसका मतलब था, आज भी खाना नहीं बनेगा। महाभारत की रचना शुरू हो चुकी थी। महारानी लेटी पड़ी है […]
कपूत – गृहलक्ष्मी कहानियां
‘‘सर यहां पर झांसी से कोई वर्मा सर हैं क्या? उनके घर से अर्जेंन्ट फोन आया है कोई सीरियस है, कह दें अविलम्ब घर से सम्पर्क करें। एक व्यक्ति मैसेज देकर चला गया। फाइवर ग्लास वर्किंग पर एक वर्कशाप का आयोजन केन्द्रीय विद्यालय नं. 1 कैन्ट नई दिल्ली में किया गया था।
गृहलक्ष्मी की कहानियां – दिल की जीत
श्रेया का बार-बार शादी करने को लेकर इंकार करना, उसके मम्मी-पापा को परेशान कर रहा था, वो श्रेया की नहीं का कारण जानना चाहते थे लेकिन जान नहीं पा रहे थे।
मेरी बीवी की शादी का सच
अपने अधिकारी के प्रति वह इतनी दीवानी हो चुकी थी कि हर बात में मिस्टर यादव ही आते थे। वही उसके सब बने जा रहे थे। उन्हीं के ख्यालों में खोई रहती थी मेरी पत्नी। ख्वाब भी उन्हीं के देखती होगी।
गृहलक्ष्मी की कहानियां : दंगे वाली दुल्हन
मेरे दर्द से आपा का दर्द कुछ कम नहीं था, मगर मैं क्या करूं…? जिस दर्द को मैं भूलना चाहती थी, उसे कोई मुझे भूलने ही नहीं देता।
