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आकांक्षाएं और अनुभूति

राधिका भीगी आवाज में कहती है- लो मां, फीता खोलो………. उद्घाटन करो। आज आपका व अंकल का स्वप्न पूरा होने जा रहा है।  मां नम आखों से फीता खोलकर अनुभूति अस्पताल का उद्घाटन करती है। पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज जाता है। पूरे गांव में अपार हर्ष है। अब अपने गांव में कोई गरीब बिना दवा […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां – पाषाण हृदय

गृहलक्ष्मी की कहानियां – मैंने पत्नी से कहा कि पुरुष पाषाण हृदय वाला हो सकता है पर नारी पाषाण हृदय नहीं हो सकती ‘‘नीलिमा दीदी की बात भूल गए क्या? पत्नी ने पूछा” अरे हां उन्हें तो भूल ही गया। पूरी घटना याद आ गई। उनकी बेटी ममता का विवाह था। पंडाल सजा हुआ था, […]

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वनवास में वो मिलन

गीली लकड़ी की सुलगती देह को थामे वह भिखारी लड़खड़ाता हुआ फिर वहीं ठिठक गया। एक फटा सा टाट पैरों से हिलाकर बस जम गया उस पांचवी सीढ़ी पर। उस सुप्रसिद्ध धर्मस्थल की वह पांचवी सीढ़ी पांच वर्षों से उसका धाम, काम, नाम उसका स्थायी पता… हां यही सीढ़ी हो गयी थी। देर रात वो […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां -अब घर में आएगी एक नन्ही परी

गृहलक्ष्मी की कहानियां –एक बेटी प्रज्ञा पहले से थी इसलिए एक बेटे की ख्वाईश रखना कोई असंगत या अस्वाभाविक नहीं था। इस हेतु विराट ने बाकायदा पूरी तरह प्लानिंग की। वह भी तब जब प्रज्ञा पहली कक्षा में पहुंच गई। यद्यपि सब कुछ पूरी तरह उनके हाथ में नहीं था, इसके बावजूद पूरी तरह ख्याल […]

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रिश्तों का ताना-बाना

क्या मां आपको तो मेरी हर बात बकवास ही लगती है, शोभित ने नाराज़गी के साथ शोभा से कहा। बकवास नहीं तो क्या। कहने से पहले सोचा तो करो कि क्या कह रहे हो और क्यों, उसने बेटे से कहा। आप कब समझोगी कि मैं बच्चा नहीं रहा, शोभित ने जवाब दिया। बच्चे नहीं हो, […]

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मानवता 

वह बस में बैठी हुई उसके चलने का इंतजार कर रही थी। तभी किसी वाहन की टक्कर लगने से बाइक पर सवार दंपती सड़क पर धड़ाम से जा गिरे। चोट गहरी थी लिहाजा दोनों खून से लथपथ तड़पने लगे। यह दृश्य देख उसकी चीख निकल गई। तभी उसने देखा कि तमाशबीनों की भीड़ के बीच […]

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ताजी हवा का झोंका

पांखी की पन्द्रह वर्ष पुरानी सहेली विदेश से भारत लौटी तो उसी के घर आयी। अपनी खूबसूरत और अमीर सखी के आगमन पर पांखी का कॉलर थोड़ा ऊंचा हुआ और उसने खुलकर स्वागत किया अपनी माडर्न सहेली का। सुधीर को पहले तो अजीब सा लगा पर जब आमने-सामने मुलाकात हुई पांखी की सखी से, तो वह […]

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मृगतृष्णा का दंश – गृहलक्ष्मी कहानियां

वो पेट की भूख, जल्दी और ज्यादा कमाई का लालच ही था जो देवू और बीरू ने चोरी के भुट्टे बेचने का धंधा करने की सोची। उन्हें ये नहीं पता था कि यह लालच आने वाले समय में उन्हें कैसा समय दिखाने वाला है।

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गरीबी का उपहास

राधिका बी.पी.एल.कार्ड बनाने वाले इंस्पेक्टर के सामने गिड़गिड़ा रही थी, बार-बार उनके पैर पकड कर कह रही थी ‘‘बड़े साहब हम बहुत गरीब है हमार उ कारड बनाये देत जे पे सस्ता सामान मिलत है, अरे गरीबी वाला कारड हम जिनगी भर तोहार उपकार मानव …….।  इन्सपेक्टर लगा था ‘‘अरे वो कार्ड तो गरीबों का […]

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पीला गुलाब

मैं दिल ही दिल उससे नफरत करती हूं, मैं नहीं चाहती कि वह अच्छे नंबरों से पास हो एवं सबकी प्रशंसा की पात्र बने, इसीलिए मैंने उसका नाम भी एक साधारण से स्कूल में लिखवाया है, जबकि मेरी बेटी कान्वेंट में पढ़ रही है।

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