Overview: शादीशुदा रिश्तों में सेक्स एजुकेशन की कमी क्यों बन जाती है दूरी की वजह
सेक्स एजुकेशन की कमी शादीशुदा रिश्तों में चुप्पी, इमोशनल दूरी और तनाव पैदा कर देती है। जानिए इसके असर और असली कारण।
Lack Of Sex Education: शादी के बाद किसी भी व्यक्ति की जिन्दगी पूरी तरह से बदल जाती है। नए व्यक्ति के जीवन में शामिल होने के बाद जिम्मेदारियां और प्राथमिकताएं दोनों ही बदल जाती हैं। दोनों ही पार्टनर ये चाहते हैं कि उनका रिश्ता खुशहाल बनें, लेकिन सेक्स एजुकेशन की कमी के चलते अक्सर उनके रिश्ते में एक अनकही दूरी हमेशा बनी रहती है। वे जानकारी के अभाव व झिझक के चलते एक-दूसरे से अपनी इच्छाओं, डर और परेशानियों को शेयर नहीं करते हैं। जहां कोई चुपचाप एडजस्ट करता है, तो कोई खुद को ही कमतर समझने लगता है। जब इस विषय पर बात ही नहीं होती है, तो ऐसे में धीरे-धीरे यही अनकही बातें रिश्ते में दूरी, गुस्सा और इमोशनल थकान पैदा कर देती हैं।
अक्सर लोग सेक्स एजुकेशन को सिर्फ शारीरिक संबंध से जोड़कर देखते हैं, जबकि यह विषय बहुत बड़ा है। इसमें कंसेंट, कम्युनिकेशन, इमोशनल कनेक्शन और एक-दूसरे की बॉडी व फीलिंग्स को समझना भी शामिल है। जब ये समझ नहीं होती, तो प्यार भरा रिश्ता भी बोझ जैसा लगने लगता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं कि सेक्स एजुकेशन की कमी से रिश्ते में क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं-
अंदर से टूटने लगता है रिश्ता

जब कपल्स सेक्स एजुकेशन पर बात नहीं करते हैं तो ऐसे में बाहर से तो सबकुछ नॉर्मल दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर उनका रिश्ता टूटने लगता है। बेडरूम में चुप्पी, दूरी और असंतोष पैदा करती है। उन दोनों को ही यह किसी ने ये नहीं सिखाया कि इंटिमेसी पर बात कैसे की जाती है, इच्छा कम या ज्यादा होना नॉर्मल है या हर बार दोनों का मूड एक जैसा हो, यह भी जरूरी नहीं है। जब लोग इस पर बात नहीं करते तो यही चुप्पी रिश्ते को खोखला कर देती है।
सेक्स बस “ड्यूटी” बनकर रह जाता है
सेक्स एजुकेशन की कमी या पार्टनर से इस पर खुलकर बात ना करना वास्तव में सेक्स को बस एक ड्यूटी बनाकर रख देता है। खासतौर पर, महिलाओं के लिए सेक्स सिर्फ एक जिम्मेदारी बन जाती है, जबकि पुरुषों के लिए हमेशा “परफॉर्म करना ही है” वाला प्रेशर बना रहता है। सेक्स एजुकेशन की कमी ये सिखाती है कि सेक्स का मतलब सिर्फ एक्शन है और इसमें खुशी, आराम और इमोशन जरूरी नहीं है। जबकि वास्तविकता तो यह है कि बिना भावनात्मक जुड़ाव के फिजिकल रिलेशन थका देता है।
ना” कहने का हक समझा ही नहीं जाता

सेक्स एजुकेशन ना होने पर कंसेंट पर कभी बात ही नहीं होती है। जिसकी वजह से एक पार्टनर को यह लगता है कि वह ना नहीं कह सकती और वह बस चुपचाप सहने को आदत बना लेता है। जबकि दूसरे को लगता है कि शादी के बाद तो ये मेरा हक है। उन्हें यह कभी बताया ही गया कि शादी के बाद भी इच्छा जरूरी होती है, मजबूरी नहीं। यही वजह है कि कई रिश्तों में प्यार की जगह गुस्सा या डर ले लेता है।
रिश्ते में बढ़ता है तनाव

सेक्स एजुकेशन की कमी के चलते अक्सर कपल्स के बीच में झगड़े, गुस्सा और दूरी बढ़ने लगती है। वे आपस में सेक्स तो करते हैं, लेकिन वास्तव में इंटिमेसी की कमी होती है। जिससे छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन, लड़ाई, ताने बढ़ने लगते हैं। उन्हें यह पता ही नहीं होता कि इंटिमेसी सिर्फ सेक्स नहीं होती, बल्कि वो प्यार, छूना, समझना, और अपनापन भी होता है। जब दोनों पार्टनर को यह नहीं मिलता है तो इससे नेगेटिव इमोशंस बाहर आने लगते हैं।
