राधिका भीगी आवाज में कहती है- लो मां, फीता खोलो………. उद्घाटन करो।

आज आपका व अंकल का स्वप्न पूरा होने जा रहा है। 

मां नम आखों से फीता खोलकर अनुभूति अस्पताल का उद्घाटन करती है। पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज जाता है। पूरे गांव में अपार हर्ष है। अब अपने गांव में कोई गरीब बिना दवा और इलाज नहीं मरेगा। गांव के लोग भी कहते हैं-‘‘हम भी इस अस्पताल को तन-मन-धन से विकसित करेंगे। इसे एक आदर्श अस्पताल बनाएंगे।

लेकिन अनुभूति की मां को कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा । उसके मानस में उमड़-घूमड़ ही है। ……यादें एक के बाद एक अनुभूति का जन्म….बिन इलाज…. पति की मृत्यु …..पति का स्वप्न ……अनुभूति के साथ के स्वप्न….अनुभूति और राधिका ….. अनुभूति का अंत …..फिर भी ……स्वप्न का साकार होना। यादों के दरवाजे खुलते चले जाते हैं।

परीक्षाएं नजदीक हैं। बालक-बालिकाएं अपने-अपने घर में अपनी परीक्षा की तैयारी में एकाग्रता से जुटे हुए हैं। माता-पिता भी अपने होनहारों से आशाएं लगाए बैठे हैं। अपने भावी स्वप्न फलीभूत होते देखना चाहते हैं। शिशु के गर्भ में आते ही अनेकानेक स्वप्न जन्म ले लेते हैं। धीरे-धीरे स्वप्न साकार होने लगते हैं। अनुभूति माता-पिता की इकलौती बेटी है। वह उनकी आंखों का तारा है। उन्हें अपनी लाडली से कई उम्मीदें हैं। स्कूल के अध्यापक भी उसकी प्रतिभा पर गर्व करते हैं । पूत के लक्षण तो पालने में ही दिख जाते हैं । अनुभूति बचपन से ही होनहार है। हमेशा प्रथम श्रेणी में पास होती आई है। दसवीं में भी मेरिट में चौथा स्थान था।

अनुभूति! अच्छे अंकों से तुम्हें बारहवीं उत्तीर्ण करना है। मेरिट में कहीं-न-कहीं तो स्थान अवश्य मिलेगा। पी. एम. टी में चयनित होकर डाक्टर बनना है.. एम.बी.बी.एस.। फिर अपने दम पर एमएस करना। फिर निःशुल्क गरीबों का उपचार करना। तुम्हारे पिताजी की भी एकमात्र यही इच्छा थी। क्योंकि उन्हें समुचित इलाज नहीं मिला था। गांव से शहर लाने में देर हो गई थी। उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया था। अंतिम समय में उन्होंने कहा कि अपनी बेटी को डाक्टर बनाना। गांव में रहकर यहां के लोगों का उपचार करवाना, ताकि मेरी तरह किसी को तकलीफ न हो।

‘हां मां’। 

‘खूब मन लगा कर पढ़, ले, तेरे लिए बादाम का हलवा बना कर लाई हूं। 

थर्मस में चाय भर कर रख दी है। झपकी आने लगे तो पी लेना।’

हां, मां।

और परीक्षा के दिन भी आ गए। अनुभूति की मां पेपर देने जाने से पूर्व राधिका और बेटी का मूंह दही, शक्कर से मीठा करती। शनैः-शनैः परीक्षा भी अपने घोषित कार्यक्रम के अनुसार सम्पन्न हुई । अनुभूति के मुंह पर वह प्रसन्नता नहीं थी, जो होनी चाहिए थी। अनुभूति एकान्त में गुमसुम सी रहने लगी। मानो उसकी भावनाओं पर किसी ने प्रहार सा कर दिया हो। उस पर वज्रपात हो गया हो। धीरे-धीरे उसके चेहरे पर चिंता सी छाने लगी। एक अनजान भय उसे घेरे रहता था। एकटक आकाश को ताका करती थी। लम्बी निःश्वास छोड़ती। बहुत कम खाना खाती।

आषाढ़ की दस्तक हो चुकी थी। बादलों ने भी वर्षा की झड़ी लगा दी थी। शाम के समय अनुभूति के घर आकर उसकी सहेली राधिका ने कहा-‘सुन अनुभूति। कल सुबह अपना रिजल्ट आने वाला है। बोर्ड ने रिजल्ट की सारी तैयारियाॅं पूर्ण कर ली है। यह कह कर राधिका अपने घर की ओर चली गई। 

राधिका की बात सुनकर अनुभूति मन ही मन कांप उठी। उस के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। कानों से शब्द गूंज उठे, पापा का सपना था, तुम्हें डाक्टर बनना है। मम्मी की भी यही इच्छा है। पर मेरा फिजिक्स का पेपर तो……

अगले ही दिन राधिका अनुभूति के घर अखबार ले कर आती है। दरवाजे की घंटी बजते ही अनुभूति की मां आंखे मसलते हुए आती है। राधिका हर्ष, गर्व और आश्चर्य के साथ कहती है। 

‘देखो अन्टी। देखो अनुभूति……..देखो….देखो।

अनुभूति मैरिट मे आई है।  उसका फोटो भी छपा है।

राज्य में उसे सातवां स्थान मिला है। कहां है अनुभूति।’

दोनों अनुभूति के शयन कक्ष की ओर चल देते हैं। परन्तु अनुभूति तो वहां नहीं थी। दोनों सोचती हैं-  सुबह की सैर पर गई होगी। राधिका अपनी दूसरी फ्रैंडस को समाचार देने चली जाती है। जाने से पहले कहती है। आंटी अनुभूति के आते ही मुझे बुला लीजिएगा। मिठाई पर सबसे पहले हक मेरा है। मैं भी अनुभूति के साथ अंकल के सपने को पूरा करने को वचनबद्ध हूं। मां भगवान की पूजा में लग जाती है।

सुबह के लगभग नौ बजे अचानक पुलिस की जीप के ब्रेक अनुभूति के घर पर आ कर लगते हैं। पुलिस इन्सपेक्टर आस-पास के लोगों से कुछ जानकारी प्राप्त करता है। घंटी बजती है। मां दरवाजा खोलती है। पुलिस इन्सपेक्टर अपनी कैप उतारता है। अनुभूति की मां के पास आकर कहता है- मैडम, ‘आज सुबह डैम के पास एक लाश बरामद हुई है। एक सुसाइट नोट भी मिला है। 

आप पढ़ लीजिए- मां की आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। गला रूंध जाता है। हाथ पांव फूल जाते हैं।

‘मां, मुझे क्षमा करना। आज पीएमटी का रिजल्ट आने वाला है। मैं आपके और पापा के सपनों को पूरा नहीं कर सकती। मेरा फिजिक्स का पेपर बिगड़ गया था। मैं आपके और पापा के सपने टूटते नहीं देख सकती।

आपकी बेटी अनुभूति।”

 

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