अरी बहना! छाई घटा घनघोर, सावन दिन आ गए ।
उमड़-घुमड़ घन गरजते ।
अरी बहना! ठण्डी-ठण्डी पड़त फुहार । सावन दिन–
बादल गरजे बिजली चमकती,
अरी बहना! बरसत मूसलधार ।। सावन दिन —
कोयल तो बोले हरियल डार पे,
अरी बहना! हंसा तो करत किलोल ।। सावन दिन —
वन में पपीहा पिऊ पिऊ रटै,
अरी बहना! गौरी तो गावे मल्हार ।। सावन दिन —
सखियां तो हिलमिल झूला झूलती,
अरी बहना! हमारे पिया परदेस ।। सावन दिन–
लिख-लिख पतियां मैं भेजती,
अजी राजा। सावन की आई बहार ।। सावन दिन–
हमरा तो आवन गोरी होय ना,
अजी गोरी। हम तो रहे मन मार ।। सावन दिन–
राजा। बुरी थारी चाकरी,
अजी राजा। जोबन के दिन चार ।। सावन दिन–

 

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