Overview:हरियाली तीज
सावन आया हरियाली लाई,
बगिया-बगिया खुशबू छाई।
पीपल की शाखों पर झूले,
सखियाँ संग हँसी में झूले।
सावन आया हरियाली लाई,
बगिया-बगिया खुशबू छाई।
पीपल की शाखों पर झूले,
सखियाँ संग हँसी में झूले।
काजल-बिंदी, चूड़ी-कंगन,
हर नारी में रंग ही रंगन।
मेंहदी रचती गहरी बातें,
साजन मन की सुनती रातें।
घूँघट में वो शर्मीली नजरें,
मन में छिपी हसरतें ग़ज़ब हैं।
मौसम गाए प्रेम तराने,
दिल में जागे नये फ़साने।
भोर से ही शुरू तैयारी,
व्रत की रस्में, पूजन सारी।
शिव-पार्वती को वंदन करते,
मन की मुरादें उनसे कहते।
सोलह श्रृंगारों से सजती,
आशा की दीपशिखा सी जलती।
नेत्रों में नमी, होंठों पे हँसी,
नारी की श्रद्धा बनी निशानी।
नील गगन में बदरा छाए,
कोयल मीठे गीत सुनाए।
धरती बोले, नभ मुस्काए,
प्रेम की खुशबू सबको भाए।
सखियाँ संग गीत सुनाना,
झूले पर फिर झूम के गाना।
मिठाई, पकवानों की थाली,
हाथों में चूड़ी, बातों में लाली।
तेज हवा जब घूंघट खोले,
मन भी सावन-संग डोले।
हरियाली की लहर समाई,
नारी के मन में रस बरसाई।
तेज नहीं केवल व्रत का दिन,
यह तो नारी का गौरव बिन।
सम्मान, प्रेम, समर्पण, नाता,
जीवन को सुंदर करता जाता।
तो आओ मिलके पर्व मनाएं,
नव ऊर्जा से दिल भर जाएं।
लेडीज़ क्लब में रंग बिखेरे,
हर दिल सावन-गीत ही घेरे।
