गर्भावस्था हर महिला के जीवन का खूबसूरत पल होता है। इस समय महिला को अपना और अपने होने वाले बच्चे के सम्पूर्ण विकास का ध्यान रखना होता है। पर जो महिलाएं गर्भावस्था के पहले से मोटापे से ग्रस्त रहती हैं, उनमें समय पूर्व प्रसव का ख़तरा अधिक होता है। इसलिए गर्भावस्था में अनावश्यक वजन बढ़ने से बचने के लिए कुछ चीजों पर ध्यान देना जरुरी है। 

‘‘मेरा वजन 60 पौंड के करीब ज्यादा है या इससे मुझे या मेरे शिशु को गर्भावस्था में कोई खतरा हो सकता है।”

आमतौर पर मोटी गर्भवती महिलाएं भी स्वस्थ शिशुओं को ही जन्म देती हैं। हालांकि मोटापे की वजह से सेहत को खतरा हो सकता है और गर्भावस्था में भी परेशानी पैदा हो सकती है। गर्भधारण करने के अलावा अगर आपका अपना वजन भी काफी ज्यादा है तो गैस्टेशनल डायबिटीज के अलावा उच्च रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। इससे कई व्यावहारिक गर्भावस्था समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं। शुरूआती अल्ट्रासाउंड के बिना आपके प्रसव की अनुमानित तिथि का पता नहीं लगाया जा सकता क्योंकि मोटी महिलाओं में ओव्यूलेूशन का समय अनियमित होता है। कई डॉक्टर गर्भाशय के आकार, स्थिति या दिल की धड़कन सुनकर जो अनुमान लगाते हैं, वह वसा की परतों के कारण नहीं लगाया जा सकता। स्थिति का सही पता नहीं लगा सकते और आपको भी बच्चे की पहली हलचल का आसानी से पता नहीं लग पाएगा। यदि भ्रूण औसत से बड़ा हुआ तो प्रसव में मुश्किल हो सकती है।

आमतौर पर मोटी महिलाओं के साथ ऐसा ही होता है (इनमें वे भी शामिल हैं, जो मधुमेह से ग्रस्त हैं या गर्भावस्था में भी ज्यादा नहीं खाती) यदि सीजेरियन करना ही पड़े तो सर्जरी के दौरान व उसके बाद भी मुश्किल हो सकती है। फिर गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानी व असहजता का अनुमान तो आप स्वयं भी लगा ही सकती हैं अधिक भार बढ़ने से पीठ में दर्द रहेगा, वैरीकोज़ वेन्ससूजन और छाती में जलन की समस्या बनी रहेगी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

घबरा गईं। नहीं, नहीं ! डॉक्टर और आप मिलकर शिशु की तरफ बढ़ने वाले इस खतरे को घटा सकते हैं। आपको थोड़ा सा अतिरिक्त ध्यान देना होगा। मेडिकल स्तर पर कम खतरे वाली गर्भवती महिलाओं की तुलना में ज्यादा जांच करवानी पड़ सकती है। आपको शुरूआती अल्ट्रासाउंड करवाना होगा ताकि प्रसव की अनुमानित तिथि पता लग सके। बाद में शिशु के आकार व स्थिति ग्लूकोज़ टालरेंसटेस्ट और स्क्रीनिंग करानी होगी ताकि पता लग सके कि आप गैस्टेशनल मधुमेह की रोगी तो नहीं!

गर्भावस्था के अंत में भी शिशु की सही अवस्था जानने के लिए नॉनस्ट्रेस व दूसरे टेस्ट कराने होंगे।आप अपनी देखभाल स्वयं करेंगी तो इससे काफी फर्क पड़ेगा। आपको धूम्रपान व मद्यपान जैसी आदतें छोड़नी होंगी जो गर्भावस्था के खतरों को बढ़ा देती हैं। अपने वजन के लक्ष्य को बनाए रखना होगा, हालांकि वह अन्य संभावित माताओं से कम ही होगा। समय-समय पर डॉक्टरों की राय लेनी होगी। इस बारे में चिकित्सकों की राय अलग-अलग हो सकती है। 

आपको अपने रोजमर्रा के भोजन में पोषक तत्व शामिल करने होंगे व कैलोरी की मात्रा पर ध्यान देना होगा। विटामिन, प्रोटीन व खनिज लवण की भरपूर मात्रा लेनी होगी। आपको अपने भोजन में मात्रा की बजाय गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। अपने भोजन के अलावा विटामिन आदि की गोलियां भी लेती रहें।डॉक्टर से पूछ कर सही तरीके से व्यायाम करें ताकि वजन भी न बढ़े और आपको व शिशु को भी पूरा पोषण मिलता रहे।

यदि इसके बाद भी गर्भधारण करने की योजना हो तो अपना आदर्श वजन रखने के बाद ही आगे बढ़ें, ताकि गर्भावस्था का पूरा समय सुरक्षित व सुखद रहे।

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