chalaki, dada dadi ki kahani
chalaki, dada dadi ki kahani

Dada dadi ki kahani : एक लोमड़ी थी। वह बहुत ही चालाक थी। उसे लगता था कि उससे ज़्यादा समझदार और चालाक और कोई भी नहीं है।

एक दिन वह बहुत भूखी थी। तभी उसे एक कछुआ दिखाई दिया। लोमड़ी ने लपककर उसे उठा लिया। भूखी लोमड़ी कछुए को खाने बैठ गई। लेकिन यह क्या? कछुए के पत्थर जैसे कवच को वह हिला तक नहीं पाई।

कछुआ पूरा गोल होकर अंदर छिप गया था। वह लोमड़ी से बोला, ‘देखा, मैं कितना कड़ा हूँ। तुम मुझे ऐसे नहीं खा पाओगी। तुम कहो तो मैं तुम्हें एक आसान तरीका बताऊँ।’

‘हाँ-हाँ, जल्दी बोलो।’ लोमड़ी ने कहा।

कछुआ बोला, ‘ऐसा करो, थोड़ी देर के लिए मुझे पानी में भिगो दो। जब मैं मुलायम हो जाऊँ तो मुझे पानी में से निकालकर खा लेना।’

लोमड़ी को बात बहुत पसंद आई। वह कछुए को नदी के किनारे तक ले गई। जैसे ही उसने कछुए को पानी में डाला, कछुआ अपने कवच से बाहर आया और तैरकर दूर चला गया। नदी के बीच पहुँचकर कछुए ने अपना सिर पानी से बाहर निकाला और लोमड़ी से बोला-

‘इस दुनिया में तुमसे ज़्यादा चालाक लोग भी हैं, समझीं!

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