david aur lomri
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

बहुत समय पहले मौलाई में जंगल के पास छोटे से गाँव में दादा-दादी और डेविड रहते थे। डेविड की उम्र दस वर्ष थी और बचपन से ही वह प्रखर बुद्धि का था। एक दिन दादा जी खेत मे कच्चू (कंद) लगाने के लिए बाजार से कच्चू लाये और चालाक लोमड़ी सब देख रही थी। वह बहुत ध्यान से देख रही थी, जब उससे नहीं रहा गया तो उसने दादा जी से पूछाओ! दादा जी, ओ! दादा जी, आप क्या कर रहे हैं?

दादा जी ने लोमड़ी के प्रश्न का उत्तर दिया- मैं खेत में कच्चू लगा रहा हूँ।’ तब लोमड़ी ने अपनी चालाकी दिखाई और पूछा, “आप इनको कच्चा या पका कर लगायेंगे?”

दादा जी ने कहा, “मैं इसे कच्चा ही लगाऊँगा।”

लोमड़ी मुस्कराते हुए बोली- ओ हो, आपको तो कच्चू लगाना ही नहीं आता। मैं बताती हूँ कि इसे कैसे लगाते हैं? पहले इनको अच्छे से धोकर पका ले फिर काट कर किसी अच्छी जगह लगा कर किसी चीज से ढ़क दे। ऐसा करने से जल्दी से फसल तैयार हो जाएगी। लोमड़ी की बात सुन दादा जी ने कहा- ठीक है, ऐसा ही करूँगा। यह बात तो मुझे पता ही नहीं थी। लोमड़ी की चाल कामयाब हो गई और वह खुश होकर वहाँ से चली जाती है।

दादा जी लोमड़ी की सलाह के अनुसार प्रात:काल पके हुए कच्चू की बुआई करते हैं। दूर से लोमड़ी यह सब देखकर मन ही मन बहुत खुश होती है। योजना के अनुसार लोमड़ी रात में पेट भर कर कच्चू खा लेती है। अगले दिन सुबह जब दादा जी अपने खेत में जाते हैं तो वहाँ का दृश्य देख बिलख-बिलख कर रोने लगते हैं। दादा को इस तरह रोते देखकर पास खड़े डेविड ने दादाजी से पूछा- दादाजी, क्या हो गया? दादा जी ने लोमड़ी की चालाकी के बारे में पूरी बात बताई। सारी बात सुनकर उसने दादाजी से कहा कि वे कल सुबह दादी से कहें कि वह आपके पूरे शरीर पर शहद लगा दें। शहद की गंध से उनके ऊपर मक्खी भिनभिनाने लगेगी। ठीक डेविड के कहे अनुसार दादी ने दादाजी के पूरे शरीर पर शहद लगा दिया और सुबह जोर-जोर से चिल्लाकर रोने लगी। रोने की आवाज सुन लोमड़ी ने पूछाक्या हो गया दादी जी?

डेविड ने कहा कि भीतर दादा जी का मृत शरीर पड़ा है इसलिए दादी रो रही हैं। क्या तुम मेरी सहायता करोगे? मैं छोटा हूँ, बुआ भी दूसरे गाँव में रहती है। आस-पास कोई भी पड़ोसी नहीं है और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ? यह सुनकर लोमड़ी मन ही मन प्रसन्न हुई और बोली- डेविड, मुझसे तुम्हारा दुख देखा नहीं जा रहा है। बताओ, मैं कैसे तुम्हारी सहायता करूँ? डेविड और दादी ने कहा- तुम भीतर जा कर दादाजी को खा जाओ; तुम्हारा पेट भी भर जायेगा। यह सुनकर लोमड़ी खुशी से घर के भीतर जाती है। सोचने लगी- आह! आज तो मैं पेट भर कर खाऊँगी परन्तु भीतर का दृश्य देख उसके होश उड़ गए। दादा जी लोमड़ी को देखकर बोले- आ, आ, मैं तुम्हारी ही प्रतीक्षा में था। तुमने उस दिन बहुत चालाकी से मेरे सारे कच्चू खा लिए थे। आज मैं तुम्हें मार डालूँगा। वे एक डंडा लेकर लोमड़ी को दौड़ा-दौड़ा कर मारते हैं। मार खाकर लोमड़ी चिल्लाती है- बचाओ, बचाओ हाय! दादा मुझे मार डालेगा। किसी तरह वह मौका पाकर वहाँ से भागने में सफल हो गया।

डेविड. दादा-दादी लोमडी के भय से बहत दिन घर में ही रहे। अंत में डेविड का स्कूल छुट्टियों के बाद खुल जाता है और डेविड स्कूल जाता है। अपना बदला लेने के लिए लोमड़ी इसी समय की बाट जोह रही थी। डेविड को स्कूल जाते देख उसे घेर लेती है और कहती है कि आज वह उसे नहीं छोड़ेगी। इस पर डेविड कहता है- ठीक है, मैं तो छोटा बच्चा हूँ और अभी खाओगी तो तुम्हारा पेट भी नहीं भरेगा, पर जब में स्कूल से आऊँगा तो मेरे साथ मेरे मित्र भी होंगे तुम्हारा पेट ठीक से भर जाएगा।

पहले तो लोमड़ी इस बात के लिए तैयार नहीं होती, पर थोड़ी देर सोचने के बाद डेविड की बात मान लेने पर उसे फायदा दिखाई देता है। वह कहती है- ठीक है, मैं शाम को तुम्हारा इंतजार करूँगी। तुम लोगों ने उस दिन मेरे साथ अच्छा नहीं किया था। दादा जी को तो नहीं खा पायी पर तुम बच्चों का मांस तो बहुत कोमल और स्वादिष्ट होगा। लोमड़ी पूरे दिन प्रतीक्षा करती रही।

शाम के समय डेविड अपने मित्रों के साथ जब घर आ रहा था तो लोमड़ी ने बीच रास्ते में उसे रोक लिया और कहा- डेविड, अब मैं तुम्हें और तुम्हारे दोस्तों को मार डालूँगी। तब डेविड ने कहा- ठीक है, पर तुम मेरे घर चलो, मैं अपने दोस्तों के साथ आज शाम नाच-गा लेना चाहता हूँ क्योंकि ये मेरे और मेरे दोस्तों के जीवन की आखिरी रात होगी। पहले तो लोमड़ी इस बात के लिए राजी नहीं हुई, पर उसे संगीत बहुत पसंद था इसलिए मान गई।

डेविड जब घर पहुँचता है तो सभी ढोल-बाजे बजाने और नाचने-गाने लगे। लोमड़ी चुपचाप सबको देख रही थी। थोड़ी देर बाद डेविड ने कहातुम भी साथ गाओ। जब हम गाएँगे तो तुम ‘आ, आ’ कहना और ताली बजाना। डेविड के घर दो कुत्ते थे, उनका नाम हीरा और मोती था। डेविड गाना ने शुरू किया- ओ मेरे हीरा और मोती! तो लोमड़ी कहती- आ आ …। गाने के कुछ देर बाद लोमड़ी ने देखा की भीतर से दो कुत्ते उसकी ओर आ रहे हैं तथा उनके पीछे गाँव के लोग अपनी हाथों में मशाल लिए उसकी ओर बढ़ रहे है। वह जैसे-तैसे अपनी जान बचा वहाँ से भाग जाती है। इस तरह डेविड ने अपनी चतुराई से मौत को मात देकर अपनी, अपने साथियों तथा दादा-दादी के साथ गाँववासियों के प्राणों की रक्षा की।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’