Marigold flowers laughing
Marigold flowers laughing

Funny Stories for Kids: मम्मी हर बरस घर की क्यारी में उगाती थीं गेंदे के फूल। जब गेंदे के फूलों का मौसम चला जाता, तो बीज सँभालकर रख लेतीं । फिर अगले बरस उन्हीं से पौधे तैयार करतीं । और फिर घर के चारों ओर गेंदे के फूल झमते-ू नाचते नजर आते।
मम्मी ने इस बार भी सर्दियाँ आने से पहले गेंदे के बीच निकाले। बीज क्यारी में बोने ही वाली थी कि निक्का दौड़कर पहुँचा । बोला, “मम्मी-मम्मी, दिखाओ तो यह क्या है?” “अरे पगले बीज हैं…गेंदे के बीज !” मम्मीने निक्का को वे बीज दिखा दिए।
“मम्मी, मैं बो दँगाू न !” निक्का ने बड़ी मनहार करते हुए कहा ।
मम्मी को लगा, कहीं निक्का कुछ गड़बड़ न करे। उन्होंने कुछ देर सोचा, फिर बोलीं, “ठीक है निक्का, पर जरा ध्यान से।” मम्मी बताती जातीं, निक्का क्यारी में गड्ढे खोदता जाता, बीज बोता
जाता । एक-एक कर उसने सारे बीज बो दिए। फिर बालटी और लोटा लेकर उनमें अच्छी तरह पानी का छिड़काव किया ।
अब तो रोज निक्का को यही चिंता सतातीं कि पता नहीं, बीच उगेंगे कि नहीं? वह रोज बीजों में पानी का छिड़काव करता और गौर से क्यारी को देखता, कि कहीं पौध उग तो नहीं आई। कुछ दिनों में सचमचु जहाँ बीज बोए थे, वहाँ हरी-हरी कोंपलें नजर आने लगीं । निक्का उछल पड़ा, “मम्मी, पौध…नई पौध !” कुछ दिनों में पौध बड़ी हुई तो मम्मी ने घर के आँगन में और पिछवाड़े भी जगह-जगह पौध रोप दी ।

और सर्दियाँ आते ही मम्मी का पूरा घर गेंदे के पीले-पीले फूलों से महमहा गया । पर इस बार गेंदे के फूल इतने बड़े और खुशबूदार थे कि मम्मी हैरान हो गईं ।
उन्होंने अचंभे से फूलों की ओर देखा । मम्मी को लगा, जैसे गेंदे के फूलों से आवाज आ रही हो, ‘मम्मी …मम्मी , इस बार फूल निक्का ने लगाए हैं न !
बच्चों का प्यार सबसे सच्चा , सबसे निर्मल होता है । इसे हम फूल भी समझ लेते हैं । इसीलि ए तो इस बार के फूल अनोखे हैं ।’
मम्मी ने चौंककर निक्का की ओर देखा । उसे लगा कि निक्का के चेहरे पर भी वहीं हँसी और वही महक है, जो गेंदे के फूलों में है । मम्मी ने निक्का को छाती से लगा लि या । उन्हें लगा, फूल भी संग-संग हँसे हैं, ‘खिल-खिल, खिल-खिल, खिलर-खिलर…!’ उसी दिन निक्का ने गेंदे के फूलों पर एक छोटी-सी, प्यारी-सी कविता भी बना ली –

गेंदे के ये फूल, महकते
गेंदे के ये फूल,
हँसना, हँसना, सब दिन हँसना,
इनका यही उसूल ।
सोने जैसे दमक रहे हैं
संदुर-संदुर फूल,
गेंदे के ये फूल महकते
गेंदें के ये फूल ।

निक्का ने अपने दोस्तों सत्ते और मंटू को यह कवि ता सुनाई, तो उन्होंने खूब तारीफ की । सत्ते बोला, “तू तो सच्ची -मुच्ची कवि बन गया निक्का ।”
निक्का बोला, “पता नहीं दोस्त । पर गेंदे के फूल इतने संदुर-संदुर थे कि अपने आप ही कविता लिखी गई ।”
उस दिन के बाद से निक्का के घर का नाम पड़ गया, ‘फूलों वाला घर’ । अड़ो स-पड़ो स में सब यही कहते, “आगे जो फूलों वाला घर है न, वही रहता है एक छोटा-सा प्यारा बच्चा निक्का !” मम्मी जब-जब यह सुनती हैं, प्यार से निक्का को पुचकारकर निहाल हो जाती हैं ।

ये कहानी ‘बच्चों की 51 नटखट कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंBachchon Ki 51 Natkhat Kahaniyan बच्चों की 51 नटखट कहानियाँ