Summary: हर गलती एक सीख है, सजा नहीं।
बिना डांट-फटकार के बच्चे में जिम्मेदारी की भावना कैसे विकसित करें? ये 8 सरल और सकारात्मक तरीके बच्चों को आत्मनिर्भर, समझदार और जिम्मेदार बनाने में मदद करते हैं।
Positive Parenting Techniques: आज के समय में माता-पिता की सबसे बड़ी चुनौती है कि बच्चे जिम्मेदार बनें, लेकिन बिना डर और डांट के। अक्सर यह माना जाता है कि सख़्ती, ऊँची आवाज़ या बार-बार टोकने से ही अनुशासन आता है, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। जिम्मेदारी डर से नहीं, बल्कि समझ, विश्वास और सकारात्मक मार्गदर्शन से बढ़ती है। जब बच्चे को सुरक्षित माहौल के साथ अपनी बात रखने की आज़ादी और निर्णय लेने के छोटे-छोटे मौके मिलते हैं, तो वह धीरे-धीरे जिम्मेदारी को बोझ नहीं बल्कि अपनी ताकत मानने लगता है। डांट-फटकार बच्चे को सिर्फ आज्ञाकारी बनाती है, लेकिन समझ और धैर्य उसे आत्मनिर्भर और जिम्मेदार इंसान बनाते हैं। अगर
माता-पिता सही तरीके अपनाएँ, अच्छे उदाहरण दें और बच्चे पर भरोसा जताएँ, तो बच्चा खुद जिम्मेदार बनना सीखता है।
उदाहरण बनें

बच्चे वही सीखते हैं जो वे रोज़ अपने आसपास देखते हैं। उन्हें उपदेश देने से ज्यादा ज़रूरी है कि माता-पिता अपने व्यवहार से जिम्मेदारी का सही मतलब समझाएँ। अगर आप समय पर काम करते हैं, अपने वादे निभाते हैं और अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेते हैं, तो बच्चा इन्हें स्वाभाविक रूप से अपनाने लगता है।
छोटे काम सौंपें
बच्चों को जिम्मेदारी सिखाने की शुरुआत छोटे कामों से करनी चाहिए। खिलौने समेटना, अपना बैग खुद तैयार करना, खाने के बाद प्लेट सिंक में रखना या पौधों को पानी देना जैसे काम उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। जब बच्चा कोई काम खुद करता है, तो उसमें आत्मविश्वास पैदा होता है, जो आगे चलकर बड़ी जिम्मेदारियों के लिए उसे तैयार करता है।
विकल्प दें
बच्चों पर आदेश थोपने से वे केवल निर्देश मानना सीखते हैं, सोच नहीं। जब आप उन्हें विकल्प देते हैं जैसे पहले पढ़ाई या बैग सेट करना, तो वे निर्णय लेना सीखते हैं। जब बच्चा खुद निर्णय लेता है, तो उस काम की जिम्मेदारी भी वह अपने आप स्वीकार करता है।
तारीफ को सकारात्मक बनाएं
जब बच्चा कोई काम जिम्मेदारी से करता है, तो उसकी सराहना ज़रूर करें। यह तारीफ दिखावे की नहीं, बल्कि प्रयास की होनी चाहिए। आपके सकारात्मक शब्द बच्चे को आगे भी जिम्मेदार बनने के लिए प्रेरित करते हैं। इस तरह बच्चे का मनोबल बढ़ता है।
भरोसा जताएँ
बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि उनके माता-पिता उन पर विश्वास करते हैं। जब आप कहते हैं, मुझे भरोसा है तुम यह कर लोगे, तो बच्चा खुद को साबित करने की कोशिश करता है। यह विश्वास उसे जिम्मेदारी निभाने की ताकत देता है।
गलती करने का मौका दें

हर गलती पर डांटना बच्चे को डर और झिझक से भर देता है। जिम्मेदारी तब आती है जब बच्चा अपनी गलती को समझे और उसे सुधारने का मौका उसे दिया जाए। अगर वह किसी काम में चूक जाए, तो शांत मन से उसके परिणाम समझाएँ।
हर काम में दखल न दें
अगर बच्चा कोई काम अपने तरीके से कर रहा है और वह सुरक्षित है, तो उसे करने दें। बार-बार सुधारने या टोकने से बच्चा आत्मनिर्भर नहीं बन पाता। थोड़ी आज़ादी और धैर्य उसे जिम्मेदार बनाता है। बार-बार टोकने पर वो आत्मविश्वास खोने लगता है।
जिम्मेदारी को सीख बनाएं
जिम्मेदारी को कभी सजा या दबाव की तरह पेश न करें। जब बच्चे को परिवार के छोटे कामों में शामिल किया जाता है और यह बताया जाता है कि सब एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो जिम्मेदारी उसके लिए सीख और सहयोग बन जाती है।
