Anger Management for Parents: माता-पिता बनना एक सुखद अनुभव है। लेकिन माता-पिता बनने के साथ मिलती हैं जिम्मेदारियां। जिम्मेदारियां एक चुनौती है, जिसे सभी माता-पिता को निभाना होता है। यह चुनौतियां मुश्किलें जब बन जाती हैं, जब आप अपने काम, व्यस्तता और रोजमर्रा के काम के साथ अपने बच्चों को संभालने की जिम्मेदारी का तालमेल नहीं बिठा पाते हैं और लगातार दोनों को संभालने की कोशिश में गुस्से में रहना, अपने बच्चों को डांटना और मारना आपकी आदतों में शामिल होने लगता है।
गुस्सा आना मानव का एक स्वाभाविक भाव है जो कभी-कभी बहुत कोशिश के बाद भी आता ही आता ही है, लेकिन जब यह गुस्सा हर वक्त आपके अंदर हो, इससे आपके रोजमर्रा के काम, आपकी पेरेंटिंग पर असर पड़ रहा हो तो यह आपके लिए खतरनाक हो जाता है। आइए इस लेख में जानते हैं, आपका आपके बच्चे पर गुस्सा करने डांटना या मारने का क्या असर होता है।
भावनात्मक रूप से कमजोर
माता-पिता जब लगातार अपने बच्चों पर गुस्सा करते हैं या डांटते हैं तो बच्चा भावनात्मक रूप से कमजोर बनता है। उसके अंदर डर की भावना भर जाती है। वह खुद को दूसरों से कमजोर समझना है। वह किसी भी नए कार्य को करने या सीखने से पहले डरता है। उसे लगता है, वह कभी भी वह नहीं कर सकता जिससे उसके माता-पिता खुश हों।
आत्मसम्मान की कमी

माता-पिता द्वारा हमेशा डांट खाने से बच्चा दब्बू बन जाता है। वह हर गलती के लिए खुद को दोषी समझता है। भविष्य में इसका असर उसके आत्मसम्मान पर पड़ता है। वह किसी भी कार्य में होने वाली गलतियों से बचने के लिए या उसकी जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए खुद को छुपाता है। उसके छिपाने का तरीका चुप्पी या फिर अलग-थलग रहना हो सकता है।
पेरेंट्स के साथ बातचीत में कमी
अगर आप अपने बच्चों की हर गलती पर गुस्सा करते हैं तो वह आपसे बात करने से डरता है या आपसे बात करने से बचता है। उसके अंदर आपके सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करने का समर्थय नहीं होता है, क्योंकि उसके मन में यह डर बैठ चुका है कि आप उसे समझने की बजाय डटेंगे। माता-पिता तथा बच्चों के बीच इस एक डर की वजह से बातचीत में कमी आ जाती है और धीरे-धीरे बच्चे का माता-पिता से भावनात्मक जुड़ाव भी कम हो जाता है।
बच्चा आपकी नकल करता है
बच्चा जिस तरह का व्यवहार अपने माता-पिता को करते देखाता है, बच्चा वही व्यवहार सीखता है। जब आप अपने बच्चों को डांटते या मारते हैं तो बच्चा भी उसी तरह का व्यवहार उन लोगों के साथ करता है जिनके सामने वह खुद को मजबूत पता है। इसमें उसके दोस्त या छोटे भाई-बहन हो सकते हैं।
गुस्से के कारण को समझे
अगर आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो आपको अपनी स्थिति पर विचार करने की जरूरत है। गुस्सा कभी भी अकारण नहीं होता, उसके पीछे कोई ना कोई कारण होता है। जैसे, हो सकता है आप अपने ऑफिस के या घर के काम से बहुत थक जाते हों।
आप अपने बच्चों से ज्यादा ही समझदारी की उम्मीद करते हो या फिर अपने पार्टनर से मदद की उम्मीद हो।
आपके गुस्से का कारण मेडिकल भी हो सकता है। जैसे, किसी प्रकार का तनाव या फिर शरीर में विटामिन की कमी से थका हुआ या कमजोर महसूस करना।
शांति और समझदारी से काम लें
आपको अपने बच्चों पर गुस्सा आ रहा है तो खुद को 10 सेकंड तक रोके, गहरी सांस लें, फिर प्रतिक्रिया दें।
अपने बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए डांटने के बजाय प्यार से काम लें।
अगर आप अपने बच्चों पर कभी ज्यादा गुस्सा कर दें तो माफी मांगने से हिचकिचाए नहीं। आपका माफी मांगना आपके बच्चों को गलतियों को स्वीकार करना सीखता है।
अगर आप अपने गुस्से को किसी भी प्रकार से कंट्रोल नहीं कर पा रहे तो काउंसलर की मदद लें।
