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खेत की माटी

अंतर्मन में द्वंद्व चल रहा था। रह-रहकर पिछले 38 वर्षों का संघर्ष मन को उद्वेलित कर रहा था। विचार आता जीवन भर खटती रही, कभी पति के लिए कभी बच्चों के लिए अब रिटायर होने के बाद आराम से रहूंगी। जिंदगी में सकून भी तो कोई चीज है, नहीं तो घड़ी की सुइयों पर नाचते रहो।स्कूल की नौकरी करती थी तो कभी ख्याल नहीं आया कि जरूरत से ज्यादा व्यस्त हूं। मुझे आराम की आवश्यकता है, लेकिन अब विचारों में नकारात्मकता का भाव मन को सकून दे रहा था। इसी उहापोह में मैंने ससुराल के गांव जाने की सोची। घर परिवार में बात ही अलग थी। ढेर सारा प्यार, मिलकर खाना-पीना बतियाना।सुबह शाम आसपास के खेत में बतियाते सुबह-शाम आसपास के खेत में बतियाते निकल जाते, ठंडी ताजी हवा मन के घर कोने को तरोताजा बना जाती। खेत पर जाना मेरा नियम बन गया था।कई दिनों से देख रही थी, एक बूढ़ा रोज सवेरे से खेती में लग जाता, उसे देखकर पैर ठिठक गए। ‘बाबा आपके बच्चे नहीं हैं क्या? मैंने बूढ़े से पूछा।   हैं क्यों नहीं, शहर में पढ़ाई कर रहे हैं, शनिवार, एतवार टैम मिले, ट्रेक्टर से जुताई कर दें।पढ़कर कुछ बन जाएंगे तो जीवन… ‘पर बाबा आपकी उम्र नहीं है खेत पर काम करने की मैंने कहा। बेटी मैं तो हमेशा से जमीन से जुड़ा रहा, बच्चों पर दबाव नहीं बनाया।फिर कुछ सोचकर बोले, ‘बेटी, मैं समय से पहले मरना नहीं चाहता। काम नहीं करूंगा, तो हाथ पैर बेकार हो जाएंगे।खेत की माटी भी जब तक दम है फसल उगाती रहे, फिर हम तो ठहरे मानस। मेरी आंख खुली रह गई। अंतर्मन ग्लानि से भर गया। मुझे लगा पढ़-लिख कर भी मेरा ज्ञान तो अधूरा ही रहा। मन ही मन कुछ अच्छा करने का प्रण कर अपने शहर लौट गई।  यह भी पढ़ें-काश! अगले जन्म में पति बनूं – गृहलक्ष्मी कहानियां -आपको यह कहानी कैसी लगी? अपनी […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : सासू मां की अच्छी सीख

गृहलक्ष्मी की कहानियां : मेरी यह आदत थी कि मैं रसोई में खाना, नहाने से पहले बनाती थी क्योंकि मुझे लगता था कि अगर नहाकर खाना बनाऊंगी तो गर्मी के कारण पसीने से नहाना, ना नहाना बराबर हो जाएगा। इसलिए पहले खाना बनाना उसके बाद नहाना ही सही है। एक बार मेरी सासू मां, ज्यादा दिनों के लिए […]

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मैं अपनी मम्मी को बूढ़ी नहीं होने दूंगा

बात अब से 22-23 साल पहले की है। हम संयुक्त परिवार में रहते थे। मेरे बेटे को मुझ से बहुत ज्यादा प्यार था इसलिए वह हमेशा मेरे आसपास रहता था। उसकी दादी, बुआ आदि उसे छेड़ती, ‘तुम्हारी मम्मी अच्छी नहीं है, तुम्हें प्यार भी नहीं करती। बेटा कहता, ‘मेरी मम्मी बहुत अच्छी है, आप तो […]

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फ्रिज में सेब का पेड़

बात तब की है जब मैं चार वर्ष का था। मुझे सेब बहुत अच्छे लगते थे। मैंने पापा से कहा, पापा क्यों न हम अपने बाग में सेब का एक पेड़ लगवा लें। पापा ने कहा कि सेब सिर्फ ठंडे स्थानों पर ही फलता है, यहां गर्मी में नहीं। यह सुनते ही मैंने कहा, तो क्यों नहीं हम इसे […]

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सोने पर लोन

मैं गांव की रहने वाली सीधी-सादी, कम पढ़ी-लिखी लड़की थी। शादी होकर इलाहाबाद आई, एक दिन पति के साथ मैं बाहर घूम रही थी तो मैंने अपने पति से कहा, ‘सुनो जी, आज रात को हम लोग इस बैंक के पास ही सोएंगे। मेरे ऐसा कहने पर मेरे पति ने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा और बोले, ‘तुम […]

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डबल धमाल कर दिया

उन दिनों मैं मायके उन दिनों मैं मायके  गई हुई थी। अचानक, एक दिन मेरे पति देव अपने एक जिगरी मित्र के साथ वहां आ धमके। कुछ ही देर में मैं उन दोनों के लिए चाय बनाकर ले आई। इनके मित्र महोदय पहला घूंट लेते ही तपाक से बोल पड़े, ‘अच्छा खासा मजाक कर लिया भाभी आपने! क्या हम […]

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जिसने बांधा, वही खोले

बात तब की है, जब मैं तकरीबन तीन-चार साल की थी। मेरे पिताजी रोज सुबह ‘दुर्गा सप्तशती का पाठ करके ही ऑफिस जाया करते थे। एक दिन उनकी पूजा के समय मैं बहुत ही जिद कर रही थी। जिस पर उन्होंने गुस्से में मुझे चारपाई के पाये से बांध दिया और खुद पूजा करने लगे। […]

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इतना खाते हैं शर्म नहीं आती

हमारे घर पर पापा के कुछ दोस्त आए हुए थे तो मम्मी ने तरह-तरह के पकवान बनाए। मैं भी मम्मी का हाथ बंटा रही थी। जब मेहमान खाने पर आए तो वो लोग खाना खाने में सकुचा रहे थे, तो मैंने झट से बोला, इतना खाते हैं… शर्म नहीं आती। सभी मेहमानों का मुंह देखने […]

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पापड़ गायब हो गए

एक बार मैं अपने मायके गई हुई थी, उसी समय मेरी दीदी और उनके दोनों बच्चे भी वहां आए हुए थे। घर पर जब सब इकट्ठे होते तो बहुत खाते-पीते और मस्ती करते। एक दिन गली में पापड़ वाला आवाज देते हुए निकला, हम सभी को पापड़ खाना बहुत पसंद था। जैसे ही हमने पापड़ वाले की आवाज सुनी […]

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खूब पड़ी बारिश की मार

जब मैं 7-8 साल का था, मुझे बारिश में नहाना बहुत पसंद था। एक दिन की बात है, मैं स्कूल के लिए निकला। मैंने देखा बहुत जोर की बारिश आ रही है। सोचा घर जाऊंगा तो खाना नहीं मिलेगा और खेल भी नहीं। फिर मैं बस में चढ़ गया। जब स्कूल आने में 5 मिनट […]

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