मेरे दादा और चाचू (दादाजी के भाई) पटना में रहते थे। जब कभी भी वो दिल्ली आते तो हमारे घर महीना भर तो रहते ही थे। वह टोका-टाकी बहुत करते थे। मेरे दादा जी ने मेरी मां को कभी सिर ढकने को नहीं कहा था लेकिन चाचाजी तो छोटा सा घूंघट निकालने के लिए मजबूर करते। हमारे खाने को […]
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शादी पर भी हाथ जोड़े थे
मेरे पति भगवान को बहुत मानते हैं, ऐसे ही मैं भी भगवान को बहुत मानती हूं। मैं रोज सुबह नहा- धोकर पूजा करती हूं, और पति भी भगवान जी को हाथ जोड़कर ही निकलते हैं। एक दिन हम दोनों की रात में खूब लड़ाई हुई। सुबह उन्होंने मनाने की खूब कोशिश की लेकिन मैं नहीं […]
इकलौता चांद गायब
शादी से पहले मुझे खाना बनाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। शादी तय हुई तो मेरी भाभी ने किचन से संबंधित कुछ टिप्स दिए ताकि ससुराल में शर्मिंदगी न उठानी पड़े। इनमें एक टिप भाभी ने समझाया कि गरम मसाला डालने से रेसिपी स्वादिष्ट हो जाती है। ससुराल के किचन में पहले दिन […]
खुजली वाला डांस
बात तब की है जब मैं 12 वर्ष की थी। मेरी छोटी बहन 10 वर्ष की थी। हम गर्मी की छुट्टियां बिताने ननिहाल गए। वहां मेरे मामाजी का जड़ीबूटियों व औषधियों का व्यापार था। हमारे घर में ही एक गोदाम था, जहां पर जाने से मामाजी ने मना किया था। वहां हम उम्र बच्चे थे। एक दिन हम सभी […]
गृहलक्ष्मी की कहानियां -फेस पैक का झटका
गृहलक्ष्मी की कहानियां – नाश्ते के काम काम से निबट कर जब मै ́ने घड़ी देखी तो दस बज रहे थे। अभी सफाई वाली के आने मे ́ एक घंटा है। पति देव ऑफिस, बच्चे कॉलेज चले गए थे। नया फेस पैक लाई थी, बहुत तारीफ की थी दुकानदार ने। चलो यही लगाया जाए। चेहरा साफ […]
दादी की मिली सीख
तब मैं चौथी कक्षा में पढ़ती थी। गरमी की छुट्टियों में मेरी कॉलोनी की सहेलियां मेरे घर खेलने आया करती थी। मेरी दादी मां छुट्टियों में चावल और उड़द के पापड़ बना छत पर सुखाती थी। एक दिन मम्मी ऑफिस गई हुई थी। दादी मां ने चावल के पापड़ बनाए थे। मेरी सहेली सुप्रिया बोली, ‘मुझे चावल के पापड़ […]
कबूतर दीदी
ये वाकया काफी पुराना है, पर आज भी ताजा है मेरे जेहन में। मैं अपनी मम्मी के साथ सूट के लिए कपड़ा लेने बाजार गई। दुकानदार ने कई सूट दिखाए पर उनमें से मुझे कुछ भी पसंद नहीं आया। तब उसने कुछ और सूट दिखाए कि ये अभी आए हैं, लेटेस्ट हैं। उनमें से […]
तेरे हाथ का पानी मीठा
घटना तब की है जब मेरी आयु लगभग 9-10 वर्ष की रही होगी। मेरे मामाजी छुट्टियों में आए हुए थे। वे हमेशा मेरे हाथ से ही पानी मंगवा कर पीते थे। पानी मांगते वक्त मुझे बहलाने के लिए वे कहते थे, ‘सोनिका तेरे हाथ का पानी मीठा लगता है, तू ही मुझे पानी लाकर पिलाया कर। ये सुनकर […]
गाने के बजाए लिप्सिंग करना
बात उन दिनों की है जब मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ा करती थी। हमें अपने सीनियर्स को फेयरवेल देना था। फेयरवेल के कार्यक्रम में लगभग सभी लड़कियों को डांस, नाटक, गाना जैसी विविध एक्टिविटी में हिस्सा लेना था। जो लड़कियां कहीं भी सलेक्ट नहीं हुई, उन्हें पानी-नाश्ता आदि सर्व करने का काम दिया गया था। मेरा भी किसी […]
गोटा लेने की जिद
मैं तब लगभग तीन वर्ष की थी और शब्दों को स्पष्ट नहीं बोल पाती थी। मुझे बर्फ का गोला बहुत पसंद था। एक दिन मैं पापा से बोली, ‘मुझे ‘गोटा (बर्फ का गोला) चाहिए। बहुत जिद करने पर पापा मेरे लिए गोटा (हनुमान जी वाला गोटे का खिलौना) ले आए। उसे देखकर मैं और ज्यादा […]
