घटना तब की है जब मेरी आयु लगभग 9-10 वर्ष की रही होगी। मेरे मामाजी छुट्टियों में आए हुए थे। वे हमेशा मेरे हाथ से ही पानी मंगवा कर पीते थे। पानी मांगते वक्त मुझे बहलाने के लिए वे कहते थे, ‘सोनिका तेरे हाथ का पानी मीठा लगता है, तू ही मुझे पानी लाकर पिलाया कर। ये सुनकर मैं खुश हो जाती थी तथा रसोईघर से एक गिलास पानी लाकर उन्हें दे देती थी। एक दिन उन्होंने फिर कहा, ‘तेरे हाथ का पानी मीठा लगता है, जल्दी पानी लेकर आ। रसोईघर में उस समय कोई नहीं था, इसी बात का फायदा उठाते हुए मैंने पानी के गिलास में 2-3 चम्मच शक्कर घोल दी, जिससे पानी और अधिक मीठा हो जाए और मामाजी खुश हो जाएं। जब मामाजी ने पानी पिया तो उन्हें वह काफी मीठा लगा। मामाजी ने घर के सभी सदस्यों को वह पानी चखाया तो सभी मेरी नादानी पर सब हंस-हंसकर लोटपोट हो गए। घटना याद आते ही मैं आज भी हंस पड़ती हूं।

 
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