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आपसे कम कड़वे हैं

मैं अपने घर का सामान अपने पति से ही मंगवाती थी। पर जब भी कोई सामान खरीद कर लाते तो मैं उसमें मीनमेख निकालने लगती। कभी आलू अन्दर से काले  हैं तो कभी सेब फीके हैं, नारियल तोड़ने पर खराब निकल जाते हैं। मेरी इस आदत से ये इतने खीजते रहते हैं। एक दिन जब […]

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एक और पापा आए थे…

बात उन दिनों की है, जब मैं ढाई- तीन साल की थी। तब मैं अपनी मम्मी को तो मम्मी ही पुकारती थी, लेकिन पापा या किसी भी जेंट्स को पापा कह दिया करती थी। मैं मम्मी के साथ दुकान, मार्केट, लिफ्ट, प्लेग्राउंड आदि जहां भी जाती तो सभी मेल मेम्बर को पापा पुकारने लगती। मां बहुत इम्बेरेसिंग फील […]

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आइब्रो का मुंडन

बात है पुरानी लेकिन मन की गहराई में उतर कर आज भी मुझे गुदगुदाती है। मेरी उम्र होगी आठ या नौ साल, बचपन में नानी-मामा के यहां अपरिहार्य कारणों से रही। एक दिन मेरे मामाजी शेव करके ब्रश साफ करने बाथरूम गए, रेजर में ब्लेड लगा हुआ था। जब मामाजी शेव कर रहे थे, मैं उनको बहुत गौर से […]

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मम्मी पापा की चटनी बना रही हैं

मैं छह सात साल का था। मेरे पापा को खाने के साथ अदरक धनिये की चटनी बहुत पसंद थी। एक दिन भी अगर मम्मी चटनी नहीं बना पाती तो पापा सारा घर सर पर उठा लेते थे और मम्मी को डांटते हुए कहते, ‘तुम्हारे पास इतना भी समय नहीं रहता कि तुम चटनी बना सको, […]

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झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

यह किस्सा 3 साल पुराना है मैं अपने परिवार के साथ वैष्णोदेवी दर्शन करने के लिए गई थी। मैं वहां पहले नहीं गई थी और न कोई अनुभव था और न ही कोई विशेष जानकारी। मेरे पति ने सुझाव दिया कि यदि हम पैदल जाने की वजह टटटू पर जाएं, तो जल्दी दर्शन कर जल्दी […]

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चोटी में डोरी फंसाकर खिड़की से बांध दी

बात तब की है जब मैं चौथी कक्षा में पढ़ रही थी। मैं अपने ननिहाल में रहती थी। नानी जी एक दिन दोपहर में चारपाई पर लेटी और सो गई। मैंने उनके खुले बाल की चोटी बनाकर उसमें डोरी फंसाकर खिड़की से बांध दिया। और कमरा बंद करके बाहर चली गई। जब मैं बच्चों के […]

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अच्छे दिन आएंगे

बचपन में अक्सर पिताजी भाई से कहा करते थे, ‘पढ़ोगे-लिखोगे तो अच्छे दिन आएंगे। उस समय मैं सोचती थी, अच्छे दिन का पढ़ाई से क्या मतलब है। तभी मेरे बड़े भैया ने पढ़-लिख कर अच्छी सी नौकरी कर ली। इसके बाद उनकी शादी के लिए बात चलने लगी तो मुझे लगा कि इसे ही कहते हैं अच्छे दिन। एक […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : जब मुंह फूल गया

गृहलक्ष्मी की कहानियां : मेरी शादी को 2 महीने ही हुए थे। मुझे मीठा खाने का बहुत शौक है, पर मेरे पति को मीठा बिल्कुल भी पसंद नहीं है। खाना खाने के बाद बिना मीठा खाए मैं रह नहीं पाती। बात कुछ दिन पहले की है। रात को डिनर करने के बाद आदतानुसार मैंने पति से पूछा […]

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बाथरूम में बेसुरा गाना

शादी के बाद जब मैं बहू बनकर ससुराल आई तो वहां बाथरूम के दरवाजे के भीतर की कुंडी नहीं थी। सास ने मुझे हिदायत दे डाली कि तुम नहाने के लिए जाओ तो गाना गाने लगना ताकि पता चल जाए कि भीतर कोई है, फिर कोई अंदर नहीं आएगा। मैंने उनकी बात ध्यान से सुनी और नहाने चली गई। […]

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ढक्कन तो है ही नहीं

बात बहुत पुरानी है। मेरा प्यारा भतीजा पंकज बचपन में बहुत प्यारी-प्यारी बातें किया करता था। एक दिन उसे हर थोड़ी देर में बाथरूम जाना पड़ रहा था। उस समय उसे अपनी पेंट खोलने और बंद करने में दिक्कत होती थी। वो हर बार अपनी आया से सू-सू करवाने के लिए ले जाने को कहता था। आया बार-बार […]

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