मैं अपने घर का सामान अपने पति से ही मंगवाती थी। पर जब भी कोई सामान खरीद कर लाते तो मैं उसमें मीनमेख निकालने लगती। कभी आलू अन्दर से काले  हैं तो कभी सेब फीके हैं, नारियल तोड़ने पर खराब निकल जाते हैं। मेरी इस आदत से ये इतने खीजते रहते हैं। एक दिन जब ये सब्जियां खरीद कर लाये तो मैं चालू हो गई । घर में सास-ससुर, देवर नन्द सबके सामने इन पर बरस पड़ी-ये कैसे करेले उठा लाए एकदम कड़वे हैं। न जाने कैसी खरीदारी करते हैं। एक भी सब्जी ठीक से नहीं ला पाते। मेरे पति खीजकर बोले अरे श्रीमती जी- ये करेले आपसे तो काफी कम कड़वे हैं बल्कि ये तो काफी मुलायम व नरम भी हैं। इनकी बात सुनकर मेरे सास-ससुर और देवर व नन्द सभी हंसने लगे । मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मैं शर्म से लाल हो गई और सारी सब्जी समेटकर चुपचाप रसोई में ले गई। 

 

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