यह किस्सा 3 साल पुराना है मैं अपने परिवार के साथ वैष्णोदेवी दर्शन करने के लिए गई थी। मैं वहां पहले नहीं गई थी और न कोई अनुभव था और न ही कोई विशेष जानकारी। मेरे पति ने सुझाव दिया कि यदि हम पैदल जाने की वजह टटटू पर जाएं, तो जल्दी दर्शन कर जल्दी आ जाएंगे और थकावट भी नहीं होगी। हम सब घोड़ों पर बैठकर दर्शन के लिए चल दिए। मंदिर तक पहुंचते-पहुंचते हम सब बहत थक चुके थे। किसी तरह दर्शन कर हम वापस कटरा के लिए चल दिए। मुझे घोडे पर बैठते हुए तकलीफ हो रही थी। मेरी भावभंगिमा देखकर मेरे पति और बच्चों ने कहा ठीक से बैठो। थोड़ा तो खुश नजर आओ। लेकिन मैं बहुत परेशान थी, सोच रही थी कि कब पहुंचू और कब घोड़े से उतरूं। जब कटरा के काफी नजदीक पहुंच गए, तब पैदल यात्रियों में से एक लड़के ने मेरी तरफ इशारा करके कहा- देखो-देखो झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को देखो, कैसी घुड़सवारी कर रही है। उसका कमेंट सुनकर पति और बच्चे तो हंस पड़े और मैं सुनकर शर्म से लाल हो गई। 

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