ये वाकया काफी पुराना है, पर आज भी ताजा है मेरे जेहन में। मैं अपनी मम्मी के साथ सूट के लिए कपड़ा लेने बाजार गई। दुकानदार ने कई सूट दिखाए पर उनमें से मुझे कुछ भी पसंद नहीं आया। तब उसने कुछ और सूट दिखाए कि ये अभी आए हैं, लेटेस्ट हैं। उनमें से मैंने एक सूट पसंद किया जो ग्रे कलर का था। कपड़ा वैसे तो प्लेन था, पर आधा लाइट व डार्क था। मम्मी ने कहा कि ये सूटपीस अच्छा नहीं लग रहा, लेकिन मुझे पसंद आया था इसलिए मैंने ले लिया। सिलवाने के बाद मैंने उसे बड़े ही चाव से पहना। एक दिन मैं वही सूट पहनकर मम्मी के साथ कहीं जा रही थी कि रास्ते में छह सात बच्चों का झुंड मेरे पीछे-पीछे चलने लगा। बच्चे कहते जा रहे थे कबूतर, कबूतर दीदी। मैंने उन्हें बोलने से मना किया, उन्हें डांट कर भगाना चाहा पर बच्चे नहीं माने। तब मम्मी ने कहा कि मैंने इस कलर का सूट लेने के लिए इसीलिए मना किया था, लेकिन तुम नहीं मानी। मेरे दिमाग में कबूतर के कलर वाली बात आई ही नहीं थी। लेकिन मेरा शर्म से बुरा हाल था। उन बच्चों के झुंड ने काफी दूर तक मेरा पीछा किया। उसके बाद मैंने वो सूट कभी नहीं पहना।
ये भी पढ़ें-
