मुझे अपना कद बढ़ाना होगा—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Mujhe Apna Kadd Bdana Hoga-Grehlakshmi Kahani

कनिका का सुबह से ही मन बहुत घबरा रहा था ,उसका तैयार होने का बिल्कुल भी मन नही था|

वह अपनी मां से बोली- माँ यह सब क्या है,इस तरह के रोज-रोज के तमाशे मुझ से नही हो पाएंगे| जब आपको पता है लड़का भी मुझे रिजेक्ट कर चला जाएगा|फिर भी आप इतनी सारी तैयारिया कर रही हो|आपकी पुरी मेहनत बेकार हो जाएगी| हर बार आप इतनी उम्मीद तैयारी करती हो लेकिन…..

कनिका अपनी बात पुरी कर पाती उसके पहले ही उसकी माँ ने उसे रोका ओर कहा -तु कुछ ज्यादा ही सोच रही है, मेरा मन कह रहा है यह रिश्ता तेरे लिए ही बना है| आज सब कुछ सही रहेगा देखना लड़के वाले तुझे देख कर मना नहीं कर पाएंगे आखिर मेरी बेटी है ही इतनी सुंदर|

सुंदर, माँ यह तो तुम भी अच्छे से जानती हो की ये सच नही है, काश कोई मन की सुंदरता को समझता तो बात अलग थी मेरे छोटे कद को देखकर सब कोई तो मना कर के चला जाता है| फिर भी तुम यू सबके सामने मेरा प्रदर्शन करती हो ये मुझे पसंद नही| कहते हुए कनिका कुर्सी पर निढ़ाल होकर बेठ गई|

उसकी मां उसे समझाते हुए बोली- अरे तू भी ना कुछ भी सोच रही है ,थोड़ा पॉजिटिव सोच| पंडित जी के कहने पर तूने अभी सोलह सोमवार के व्रत किए थे ना देख उन व्रत का ही फल है, अभी कुछ दिन पहले ही तेरे व्रत पुरे हुए ओर देख तेरे लिए कितना अच्छा रिश्ता आगे से चलकर आया है, अब तु उदास मत हो उन लोगो के आने का समय हो रहा है जल्दी से तैयार हो जा मे खाने की तैयारी करती हूँ|

कनिका 25 साल की नवयौवना थी, जो सर्वगुण संपन्न थी |पढ़ाई से लेकर घर के कामो में उसकी मां ने उसे निपुण किया था। जो भी रिश्तेदारों से जानते हैं पहचानते थे सभी यह कहते कि जिस घर में भी उसकी शादी होगी वह घर एसी बहू को पाकर धन्य हो जायेगा| कनिका के माता—पिता भी दुसरे माता-पिता की तरह चाहते थे कि समय रहते उनकी बेटी की शादी हो जाए| इसके लिए वे यथा संभव प्रयासरत थे|

मगर हर रिश्ते में कनिका की छोटी हाइट के कारण दिक्कत आती थी|

शाम को अपनी मा के कहने पर कनिका तैयार तो हो गई मगर फिर वही सब कुछ सामने आया जो लड़का उसे देखना आया था उसके पापा कनिका के पापा से बोले- देखीये भाई साहब ये रिश्ता हमे मंजूर है मगर…..|

रिश्ता मंजूर हो जाने की बात सुनकर कनिका के पापा बहुत खुश ही गये – वाह यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप कोई रिश्ता पसंद है मगर फिर आप ने मगर बोल कर अपनी बात अधूरी क्यों छोड़ दी? कोई और बात है क्या आपके मन में?

उस लड़के के पिताजी ने अपनी पत्नी की ओर देखा और इशारे में दोनों के बीच कुछ बातें हुई|

उन्होंने के पापा की ओर देखकर कहा देखिए- भाई साहब आपको तो पता है हमारा बेटा सिविल इंजीनियर है |इसके हाथ नीचे कई सारे लोग काम करते हैं| सरकारी नौकरी और अच्छी तनख्वाह ,इसके लिए तो कई सारे रिश्ते आ रहे थे ,मगर हमें लड़की सुसभ्य और सरल चाहिए थी जो हमारे परिवार में आसानी से निभ सके| आपकी बिटिया के बारे में बहुत तारीफ सुनी थी इसलिए हम यहां आए| मगर आपकी बिटिया का कद बहुत छोटा है, उसे ऊंचा करने के लिए आपको मेहनत करनी होगी|

उनकी घूमी फिरी बातें कनिका के पापा को कुछ समझ नहीं आई उन्होंने कहा -जी आप खुलकर कहिए क्या कहना चाहते हैं|

लड़के के पिताजी मुस्कुरा कर बोले- देखिये भाई साहब बात को घुमाना मुझे नहीं आता| सीधी सी बात है, हर माता-पिता की इच्छा होती कि ससुराल में बेटी को मान सम्मान मिले, तो आपको उसके लिए कुछ दान दहेज तो देना होगा| हमारी ज्यादा डिमांड नहीं है सिर्फ 25 लाख रुपए नगद और एक बढ़िया सी कार| बाकी जो कुछ आपको अपनी बेटी को देना हो हमें उसमें कोई एतराज नहीं|

कनिका के पापा इतनी बड़ी डिमांड सुनकर बोले- देखिए भाई साहब इतनी मेरी हैसियत नहीं आप कुछ बाजीब रकम बोलिए|

आपको शायद पता नहीं अपने समाज में एक सरकारी इंजीनियर की कीमत क्या होती है । हमारे बेटे को पढ़ा लिखा कर इस काबिल बनाया है, आपकी बेटी सारी उम्र राज करेगी तो क्या हमें उसकी शादी में कुछ पाने की उम्मीद करना गलत है, क्या ?इसके लिए तो कई घरों से रिश्ते आ रहे हैं थे। लोग 50 लाख रुपए नगद तक देने को तैयार थे, मगर हमें आपकी बेटी पसंद आ गई इसलिए कम रुपए की डिमांड कर रहे हैं|

इस पर कनिका के पापा ने कहा- आपका बेटा इंजीनियर है तो मेरी बेटी भी आईएस की तैयारी कर रही है |जल्दी ही वह भी सरकारी नौकरी की हकदार हो जाएगी| ऐसे में तो दोनों बराबर के होते हैं फिर दहेज की बात कैसे?

किस जमाने में जी रहे हैं भाई साहब ,सरकारी नौकरी मिलना कोई हंसी खेल नहीं मिल भी गई तो कोई क्लर्क की नौकरी मिलेगी| ऐसे में इंजीनियर और क्लर्क का क्या मुकाबला !यदि आप हमें मनचाहा दहेज देने को तैयार है तो फोन लगा दीजिएगा अभी हमें आज्ञा दीजिए|

उनके जाने के बाद कनिका के पापा उदास होकर बैठे थे ।कनिका उनके पास आई और बोली- पापा आप आज तक मेरे छोटे कद के कारण परेशान हो रहे थे| मगर अब मुझे समझ आ गया कि मुझे अपना कद बढ़ाना ही होगा| मुझे सिर्फ 1 साल दे दीजिए आपकी बेटी इतनी काबिल ,है कि उसके लिए लड़कों की लाइन लग जाएगी|

अपनी अथक मेहनत और परिश्रम से कनिका ने आखिर अपने लिए एक मुकाम हासिल कर लिया| आज कनिका आईएएस के एग्जाम क्लियर कर कलेक्टर बन चुकी थी और वह इंजीनियर लड़का उसी के अंदर में काम कर रहा था |कनिका को वहां देख उसकी नजरें शर्म से झुक गई और कनिका के कद के आगे उसका कद बौना नजर आ रहा था|

दोस्तों हमारे समाज में अक्सर लड़कियों की शादी की बात कई बार उनकी सुंदरता, कद, रंग रूप देखकर तय की जाती है |मगर हम यह क्यों भूल जाते हैं की लड़कियां शो पीस नहीं जिसका प्रदर्शन लड़के वालों के सामने किया जाए|

आज समाज में लड़कियों को लेकर सोच बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है क्योंकि लड़कियां भी कंधे से कंधा मिलाकर लड़कों के साथ कार्य कर रही है।

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