Priyanka Chopra Jonas Lessons On Motherhood
Priyanka Chopra Jonas Lessons On Motherhood

Overview: स्टारडम के बीच मां बनने की जर्नी और उससे जुड़े ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत सबक

प्रियंका चोपड़ा जोनास का मातृत्व को लेकर नजरिया आधुनिक, संवेदनशील और बेहद वास्तविक है। वह सिखाती हैं कि बच्चों को प्यार, सम्मान और आज़ादी देकर ही उन्हें एक मजबूत इंसान बनाया जा सकता है। उनका मानना है कि परवरिश का असली मकसद बच्चे को अपने जैसा बनाना नहीं, बल्कि उसे वह बनने देना है जो वह बनना चाहता है।

Priyanka Lessons on Motherhood: प्रियंका चोपड़ा जोनास न सिर्फ एक ग्लोबल स्टार हैं, बल्कि आज की तारीख में लाखों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा भी हैं। फिल्मों, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स और पर्सनल लाइफ के बीच जब उन्होंने मां बनने का अनुभव साझा किया, तो यह सफर कई मायनों में खास बन गया। प्रियंका का मातृत्व किसी परफेक्ट तस्वीर जैसा नहीं, बल्कि सच्चाई, भावनाओं और सीख से भरा हुआ है। उनके अनुभव यह दिखाते हैं कि मां बनना सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि खुद को नए रूप में जानने की प्रक्रिया भी है। आइए जानते हैं प्रियंका चोपड़ा जोनास से मातृत्व के ऐसे सबक, जो हर मां के लिए मायने रखते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से यह जानकारी दी गयी है।

मां बनने का कोई एक सही तरीका नहीं होता

प्रियंका चोपड़ा जोनास का मानना है कि मातृत्व की कोई तय परिभाषा नहीं होती। हर महिला का सफर अलग होता है और हर मां अपने बच्चे के लिए अपने तरीके से बेस्ट करने की कोशिश करती है। उन्होंने कई बार यह बात कही है कि दूसरों से तुलना करने की बजाय खुद की परिस्थिति और भावनाओं को समझना ज्यादा जरूरी है। यह सीख खासतौर पर उन महिलाओं के लिए अहम है जो समाज के बनाए मानकों में खुद को फिट करने की कोशिश करती हैं। मां बनना परफेक्ट होने की दौड़ नहीं, बल्कि दिल से जुड़े फैसलों की कहानी है।

बच्चे के साथ-साथ खुद का ख्याल रखना भी जरूरी

प्रियंका यह मानती हैं कि एक खुश मां ही अपने बच्चे को खुश रख सकती है। मातृत्व के दौरान खुद को पूरी तरह नजरअंदाज करना सही नहीं है। चाहे वह मानसिक सेहत हो, शारीरिक आराम या फिर अपने लिए थोड़ा समय निकालना—ये सब उतना ही जरूरी है। प्रियंका का यह संदेश कई महिलाओं को सिखाता है कि खुद की जरूरतों को समझना स्वार्थ नहीं, बल्कि समझदारी है। जब मां खुद मजबूत होती है, तभी वह अपने बच्चे के लिए बेहतर सहारा बन पाती है।

बच्चे को उसकी अलग पहचान बनाने की आज़ादी दें

प्रियंका का मानना है कि हर बच्चा एक स्वतंत्र व्यक्तित्व लेकर इस दुनिया में आता है। वह अपनी बेटी पर अपने सपने, डर या अधूरी इच्छाएं थोपने के पक्ष में नहीं हैं। उनके अनुसार, बच्चे को खुद को समझने, अपनी रुचियां खोजने और अपनी राह चुनने का पूरा हक होना चाहिए। एक मां का काम दिशा दिखाना है, रास्ता तय करना नहीं। यही सोच बच्चे में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता पैदा करती है।

धैर्य और समझ ही मां बनने की असली कुंजी है

मातृत्व में धैर्य सबसे बड़ा गुण होता है और प्रियंका चोपड़ा जोनास इसे खुले दिल से स्वीकार करती हैं। बच्चे की परवरिश में हर दिन नई चुनौतियां आती हैं—नींद की कमी, चिंता और जिम्मेदारियां। प्रियंका का अनुभव बताता है कि इन हालात में खुद को दोष देने की बजाय शांत रहना और स्थिति को समझना ज्यादा जरूरी है। मातृत्व एक दिन में नहीं सीखा जाता, बल्कि हर दिन थोड़ा-थोड़ा सीखने की प्रक्रिया है।

परिवार और पार्टनर का साथ बेहद अहम होता है

प्रियंका हमेशा अपने पति निक जोनास और परिवार के सपोर्ट की बात करती हैं। उनका मानना है कि मां बनने के सफर में अकेले सब कुछ संभालना जरूरी नहीं है। मदद लेना कमजोरी नहीं, बल्कि मजबूती की निशानी है। यह सबक उन महिलाओं के लिए खास है जो हर जिम्मेदारी अकेले उठाने की कोशिश करती हैं। जब परिवार साथ खड़ा होता है, तो मातृत्व का सफर थोड़ा आसान और ज्यादा खूबसूरत बन जाता है।

बच्चों से भी सीखने के लिए तैयार रहें

प्रियंका कहती हैं कि मातृत्व एकतरफा सीख नहीं है। बच्चे भी हमें धैर्य, संवेदनशीलता और वर्तमान में जीना सिखाते हैं। उनकी बेटी ने उन्हें छोटी-छोटी खुशियों की अहमियत समझाई है। मां होने के साथ-साथ एक इंसान के तौर पर भी वह खुद को लगातार विकसित होते हुए देखती हैं।

मेरा नाम वंदना है, पिछले छह वर्षों से हिंदी कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हूं। डिजिटल मीडिया में महिला स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, बच्चों की परवरिश और सामाजिक मुद्दों पर लेखन का अनुभव है। वर्तमान में गृहलक्ष्मी टीम का हिस्सा हूं और नियमित...