गॢमयों की छुट्टियों में मैंने अपने पति को बड़ी मुश्किल से मनाकर हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला घूमने जाने का प्रोग्राम बना लिया। इनके राजीनामे पर मैं तथा बच्चे बड़े खुश थे। इतने में ही जेठजी का फोन आ गया कि ऑफिस के काम से मुझे 15 दिन के लिए वहां आना है, इसलिए तुम्हारी भाभी और बच्चे भी आ रहे हैं। फोन रखने के बाद मैं भुनभुनाने लगी कि चलो हो गया घूमना-फिरना, इतनी मुश्किल से त प्रोग्राम बना था, हो गया सब चौपट। अगले दिन जेठजी परिवार सहित आ गए।
मैंने खुश होकर सबसे कुशल मंगल पूछने के बाद कहा कि बहुत दिन हो गए, आप लोगों से मिले, आप सबके आने की हमें बहुत खुशी है। वहीं पास खड़ा मेरा 5 वर्षीय बेटा बोला, ‘मम्मी झूठ क्यों बोल रही हो, आप तो कह रही थीं कि इनके आने से हमारा धर्मशाला घूमने जाने का प्रोग्राम चौपट हो गया।
बेटे के मुंह से अपनी असलियत सुनते ही मैं शर्म से लाल हो गई। उस समय मेरे मुंह से बोल ही नहीं निकल रहे थे।
