Turtle: कछुए की अंगूठी पहनने से पहले बरतें ये सावधानियां – चाहे फैशन कहें यां वास्तु शास्त्र आजकल ज्यादातर लोग कछुए के आकार की अंगूठी पहने हुए नज़र आते हैं। कोई पीतल की अंगूठी पहनता है, तो कोई सोने की। किसी में राषि के नग जड़ होते हैं, तो किसी में डायमंड। खासतौर से लोग इसे मन मुताबिक बनवाकर पहन रहे हैं। वास्तु के मुताबिक कछुआ रिंग पहनने से धन का मार्ग खुलता है। साथ ही वास्तु शास्त्र में भी इसको शुभ बताया गया है। कछुए के फायदे शास्त्रों में भी बताए गए हैं। लेकिन बहुत से लोग बिना जानकारी के कछुए की अंगूठी को धारण कर लेते हैं, जिससे यह आपकोे शुभ प्रभाव नहीं दे पाती है। आइए जानते हैं कछुआ अंगूठी से जुड़े फायदे, नियम और अन्य जानकारी और इन नियमों के पालन करने से जीवन में कई तरह के सुखद बदलाव देखने को मिलते हैं। नज़ डालते हैं कछुए की अंगूठी से संबंधित नियमों पर
अंगूठी पहनने के नियम
कछुए की अंगूठी को हमेशा चांदी में बनवाना चाहिए। जिससे वो शीतलता प्रदान कर सके। इसको पहनते समय ध्यान रखें कि कछुए का मुंह आपकी तरफ हो,आपके उंगली के पोर या नाखूनों की तरफ नहीं रखें।
शनि की उंगली मध्यमा है इसलिए इस अंगूठी को दाहिने हाथ की मध्यमा यानी कि मिडिल फिंगर में पहनना चाहिए। बाएं हाथ में इस रिंग को पहनने से किसी भी तरह का लाभ प्राप्त नहीं होगा। इस अंगूठी को पहनने से पूर्व कोई विशेष पूजा की आवश्यकता नहीं है। फिर भी अगर आप चाहें तो पानी से धोकर इसे धूप दिखा कर और अपने पूजा घर में स्थापित देवी.देवताओं की तस्वीर या प्रतिमा से इसको स्पर्श करके पहन सकते हैं।
कछुए की अंगूठी को पहनने के बाद उसे घूमाना नहीं चाहिए क्योंकि अंगूठी को घुमाने से कछुए के मुख की दिशा बदल जाती हैए जो धन में रुकावट ला सकता है। बहुत से लोगों में आदत होती है कि अगर हाथ में अंगूठी है तो उसे घूमाते रहते हैं। कछुए की अंगूठी को घुमाने से वह फायदा नहीं देगी। ऐसा करने से धन का मार्ग रुक जाता है।
किसी भी पूर्णिमा के दिन यह अंगूठी घर लाएं और गाय का दूधए दहीए गंगाजलए शहद और तुलसी पत्र को मिलाकर पंचामृत बना लें। अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने गाय के घी का दीया जलाकर ष्ओम भगवते कुर्मायै ह्रीं नमःष् मंत्र का एक माला जप करें।
ज्योतिष के अनुसार कर्कए वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को कछुए के आकार की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। ऐसा करना इन राशि के लोगों के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इन्हें माता लक्ष्मी की श्रीहरि के साथ नियमित पूजा करनी चाहिए।
कछुए के आकार वाली अंगूठी सदैव चांदी में पहननी चाहिए। अगर किसी अन्य धातु में पहनें तो अपनी राशि का रत्न जड़वाकर पहननी चाहिए। इस अंगूठी को इस तरह पहनें की कछुए का मुख आपकी तरफ होना चाहिए। इसस धन आपकी तरफ आकर्षित होगा। अगर आप इसे इस तरह पहनेंगे की कछुए का मुख बाहर की तरफ हो तो धन एकत्र करने और धनवृद्धि में बाधा आ सकती है।
वास्तु और फेंग शुई में भी कछुए की इन्ही विशेषताओं को सराहा गया है। घर के मुख्यद्वार पर कछुए का चित्र लगाने से परिवार में शांति बनी रहती है। यह क्लेश व नकारात्मक चीजों को घर से दूर करता है।
फेंगशुई और वास्तु के अनुसार धातु, मिट्टी, लकड़ी और स्फटिक के बने कछुए वास्तु में बहुत अच्छे माने जाते हैं।
पत्थर से बना कछुआ
वास्तु में आपको पत्थर से बना कछुआ घर के पश्चिम या मध्य में रखने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से आपका परिवार दीर्घायु रहता है और आपका व्यवसाय स्थिर और निरंतर प्रगति के पथ पर रहता है।
मिट्टी के बने कछुए
घर में मिट्टी के बने कछुए को उत्तर.पूर्व दिशाए मध्य या दक्षिण.पश्चिम दिशा में रखा जाना चाहिए। ऐसा करने से यह सर्वोत्तम परिणाम देता है। ऐसा कछुआ घर में रखने से जीवन में ऊर्जा का प्रवाह एक समान होने से स्थिरता बनी रहती है और जीवन में उतार चढ़ाव कम आते हैं।
स्फटिक निर्मित कछुआ
कछुआ एक प्रभावशाली यंत्र हैए जिससे वास्तु दोष का निवारण होता है और खुशहाली आती है। वास्तु और फेंगशुई में स्फटिक निर्मित कछुआ घर में रखना ज्यादा असरकारी माना जाता है। इसे घर में रखने से कामयाबी के साथ.साथ धन.दौलत का भी समावेश होता है।
पीठ पर बच्चे वाला कछुआ
कछुए को घर में गुड लक के लिए रखा जाता है। लेकिन एक खास प्रकार की मादा कछुआए जिसकी पीठ पर बच्चे कछुए भी होंए यह प्रजनन का प्रतीक होता है। जिस घर में संतान ना हो या जो दंपत्ति संतान सुख से वंचित होए उन्हें इस प्रकार का कछुआ अपने घर में रखना लाभकारी परिणाम दे सकता है।
धातु का कछुआ
वहीं पीतल, चांदी, तांबा या अष्ट धातु से बना हुआ कछुआ यानि धातु का कछुआ घर या व्यवसायिक स्थल पर लगाना शुभ माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है व वास्तुदोष भी दूर होता है।
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