Kartavya ka Palan: डॉक्टर- डॉक्टर – डॉक्टर कहां हैं डॉक्टर, सिस्टर- सिस्टर हॉस्पिटल के कॉरिडोर में स्ट्रेचर पर लेटे अपने पति सतीश के सिर पर अपनी साड़ी के पल्लू के टुकड़े को बांधे अपनी आखों से बह रहे आंसुओं की परवाह ना करते हुए पागलों की तरह कीर्ति हॉस्पिटल में डॉक्टर को ढूंढ रही थी।
तभी हॉस्पिटल में इस शोर को सुनकर आस-पास के सभी लोग वहां एकत्रित हो जाते हैं, हॉस्पिटल का स्टाफ कीर्ति को शांत रहने के लिए कहते हुए स्ट्रेचर पर लेते हुए मरीज को ऑपरेशन थियेटर की ओर ले जाने के लिए कहता है, और कीर्ति के शोर के कारण आस- पास बैठे मरीज परेशान होने लग जाते हैं। तभी कुछ डॉक्टर्स वहां आ जाते हैं डॉक्टर्स को देखकर कीर्ति की जान में जान आ जाती है।
डॉक्टर्स मरीज को ऑपरेशन थिएटर में ले जाते हैं, जहां वह उसके उपचार में लग जाते हैं, मगर हालत ज्यादा खराब हो जाती है ,यह देखकर डॉक्टर्स अपने सीनियर डॉक्टर्स के साथ में परामर्श लेने के लिए नर्सेज और कंपाउंडर को ऑपरेशन थियेटर में छोड़कर मीटिंग रूम की ओर चल पड़ते हैं, बाहर निकलते ही कीर्ति डॉक्टर्स से अपने पति सतीश के बारे में पूछने लग जाती है। डॉक्टर्स कीर्ति से कहते हैं – हालत बहुत गंभीर है, गहरी चोटें आई हैं, बड़ा ऑपरेशन करना होगा, बाहर से डॉक्टर्स को बुलाना पड़ेगा। कीर्ति डॉक्टर्स से कहती है – डॉक्टर्स कुछ भी कीजिए ,जहां से भी डॉक्टर्स को बुलाना पड़े बुला लीजिए, जितना पैसा चाहिए मैं आपको सब दूंगी। जो मांगोगे आपको सब मिलेगा। मगर मेरे पति को बचा लीजिए, मैं उनके बिना नहीं रह पाऊंगी। डॉक्टर्स कीर्ति को धीरज देते हुए कहते हैं – हम आपके पति को बचाने का हर संभव प्रयास करेंगे। ऐसा कहते हुए डॉक्टर्स कीर्ति को वहीं छोड़ते हुए मीटिंग रूम की ओर चल पड़ते हैं। कीर्ति वहीं जमीन पर बैठे – बैठे ही रोने लग लगती है।
मीटिंग रूम में डॉक्टर्स हॉस्पिटल मेनेजमेंट के साथ में इस केस को लेकर बात करते हैं , फिर मैनेजमेंट आपस में बात करते हैं और इस नतीजे पर पहुंचते हैं, कि मरीज की जान बचाना ज्यादा ज़रूरी है इसलिए इस केस को किसी अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टर को ही सौंपना चाहिए। फ़िर सभी एक डॉक्टर का नाम साझा करते हैं जिसने ऐसे बहुत सारे केसेज को देखा है और मरीज को ठीक भी किया है, मैनेजमेंट उनसे बात करके अपॉइंटमेंट ले लेते हैं ,मीटिंग खत्म हो जाती है।
डॉक्टर्स मीटिंग रूम से बाहर आते हैं कीर्ति उनसे पूछती है,वो डॉक्टर आ गए क्या ? डॉक्टर्स कहते हैं – “हमने उनसे बात कर ली है वह दो घंटे में यहां आ जायेंगे, फ़िर हम ऑपरेशन शुरू करेंगे”। दो घंटे से ज्यादा का समय हो जाता है,कीर्ति बैचेन होने लग जाती है साथ में ही उसे आने वाले डॉक्टर पर गुस्सा आने लग जाता है। तभी रिसेप्शनिस्ट तेजी से ऑपरेशन थियेटर की ओर भागता हुआ कहता है, कि डॉक्टर शर्मा आ गए हैं ऑपरेशन थिएटर में सभी पहुंच जाएं। कीर्ति अपना पूरा गुस्सा डॉक्टर शर्मा पर उतारने के लिए उनकी कॉलर पकड़कर ज़ोरदार थप्पड़ बार – बार लगाते हुए कहती है-“आप डॉक्टर हैं फ़िर भी इतनी लेट मरीज की जान की परवाह आपको है कि नहीं, डॉक्टर हो तो क्या अपनी मनमानी करोगे”। कीर्ति के इस व्यवहार को देखते हुए डॉक्टर्स कहते हैं -” मैडम आप संभालो अपने आप को”। डॉक्टर्स सिस्टर्स को कीर्ति को पकड़ने को कहते हैं,सिस्टर्स कीर्ति को बेंच पर बिठा देती हैं। डॉक्टर्स कहते हैं -” मैडम यह हॉस्पिटल है आपका घर नहीं, डॉक्टर शर्मा माफ कीजिएगा,यह मरीज की पत्नी हैं, बहुत परेशान हैं, माफ कर दीजिए”। सभी डॉक्टर्स आपरेशन थिएटर में चले जाते हैं और ऑपरेशन शुरू हो जाता है।
कुछ ही पलों के बाद वहां पुलिस इंस्पेक्टर और दो हवलदार साथ में आ जाते हैं, और फ़िर कीर्ति से पूछताछ शुरू कर देते हैं यह एक्सीडेंट कब हुआ ? कहां हुआ ?कैसे हुआ ? सवाल- जवाब के दौरान ही इंस्पेक्टर बताते हैं, कि आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट जिस बाइक के साथ हुआ है वह डॉक्टर शर्मा के बेटे की थी जो अब इस दुनिया में नहीं है, आप अगर चाहते तो उसे भी हॉस्पिटल लेकर आ जाते,शायद उसकी जान बच जाती , आपके पति पर नशे में तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने के आरोप हैं। हमें उनका बयान लेना होगा।
कीर्ति पुलिस इंस्पेक्टर से यह सब कुछ सुनकर स्तब्ध रह गई । थोड़ी देर पहले वह जिस व्यक्ति के साथ में दुर्व्यवहार कर रही थी, उस व्यक्ति का बेटा उसके और उसके पति की गलती के कारण इस दुनिया में नहीं है, कीर्ति को अब आत्मग्लानि होने लगती है वह स्वयं को दोषी मानने लग जाती है। वह अब खुद से आंखें चुराने लगती है। कुछ घंटों के बाद ऑपरेशन खत्म हो जाता है ,ऑपरेशन थिएटर में से सभी डॉक्टर्स बाहर आ जाते हैं , डॉक्टर शर्मा कीर्ति के पास जाकर कीर्ति के कन्धों पर हाथ रखते हुए कहते हैं -” तुम्हारे पति अब खतरे से बाहर हैं,कुछ दिनों बाद वह फिर से समान्य जीवन जीने लगेंगे”।
कीर्ति डॉक्टर शर्मा का धन्यवाद करती है , कि उन्होंने उसके पति को बचाया डॉक्टर शर्मा इसे अपना कर्त्तव्य कर्म बताते हैं। कीर्ति डॉक्टर शर्मा के पैरों पर गिर जाती है और रोते हुए डॉक्टर शर्मा से माफी मांगने लग जाती है कि उसके और उसके पति की गलती के कारण आपके बेटे की मौत हो गई है हमें माफ कर दीजिए ,हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई है।
डॉक्टर शर्मा कीर्ति को अपने हाथों से उठाते हैं और उसको अपने गले से लगाकर शांत हो जाने को कहते हैं। वह कीर्ति से कहते हैं – “यह सच है कि तुम लोगों से गलती हुई है जिसके कारण मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। मगर तुम और तुम्हारा पति भी तो मेरे बच्चे ही हैं क्या इनकी जिंदगी बचाना मेरा फर्ज नहीं है”।
एक महीने बाद सतीश को होश आता है,कीर्ति सतीश को सब बता देती है, उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है।
अपनी गलती का पश्चात करने के लिए डॉक्टर शर्मा से माफी मांगकर उनके बेटा – बहू बनकर उनकी देखभाल करने लगते हैं।