बस एक सनम चाहिये-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Hindi Love Story
Bas Ek Sanam Chaiye

Hindi Love Story: शोभा, साढ़े पांच बज गये हैं आज उठोगी नहीं क्या? सोहम अपनी पत्नी से बोले।

अरे आज घुटनों के दर्द ने सोने ही कहां दिया। कितनी देर से सोच रही हूं कि उठूं और तेल गर्म करके लाऊं पर हिम्मत ही नहीं हो रही है।

मुझे जगा दिया होता बेकार परेशान होती रहीं।

आप सर्दी में वैसे ही अस्थमा से परेशान रहते हो। नींद की गोली लेकर सोते हो। ऐसे में कैसे उठा देती आपको।

अब तो उठ गया हूं अभी लाया मैं तेल गर्म करके, ऐसा कहकर सोहम जी उठे और जल्दी से कटोरी में तेल गर्म करके ले आये। फिर खुद ही जबरदस्ती शोभा जी के घुटनों में तेल लगा भी दिया। अपने पति को परवाह करते देख शोभा जी प्रफुल्लित थीं। वो सोचने लगीं कि जवानी के दिनों में तो सोहम उसके प्रति एकदम लापरवाह थे। कभी उसे कुछ हो जाता तो डॉक्टर के यहां भी अकेले ही जाना पड़ता था ,पर अब बुढ़ापे में तो व्यवहार एकदम ही बदल गया है । बिना कहे ही मन की बात भी समझने लगे हैं।

वो सोचने लगी कि एक बार उनका बेटा आशु अपने छोटे बच्चे को उनके पास छोड़कर एक हफ्ते के लिए पत्नी के साथ बाहर घूमने जाना चाहता था। उसने तो अपनी स्वीकृति दे दी थी पर सोहम जी उसकी दुविधा समझ गये थे। वो आशु से बोले तुम्हारी मम्मी सारा दिन तो बच्चे को संभालती ही हैं पर रात में इसके घुटने एकदम अकड़ जाते हैं । रात को वाॅशरूम जाने के लिए खुद ही बड़ी मुश्किल से उठती है। ऐसे में बच्चे के जागने पर उसे कैसे संभालेगी। ‌तुम ऐसा करो कुछ दिन के लिए इसकी बुआ को बुला लो वो रात में शोभा की मदद भी कर देगी और हमारा मन भी बहल जायेगा। बेटा उनकी बात से सहमत हो गया था। शोभा जी को बहुत आश्चर्य हुआ कि सोहम जी कैसे उसके दिल की बात भांप जाते हैं।

ऐसे ही अभी दो महीने पहले की ही बात है । उसकी भतीजी बीना की शादी थी। आशु ने पत्नी के साथ अकेले ही वहां जाने का फैसला कर लिया क्योंकि उसके अनुसार सबके चलने में बहुत खर्च हो जाता वैसे ही घर में मरम्मत में अभी बहुत पैसा लगा था। शोभा भी शादी में जाना चाहती थी पर आशु के बनाये प्रोग्राम के आगे उसने शादी में जाने की कोई बात ही नहीं की पर वो तो उस समय हैरान रह गई जब ऑनलाइन चार कांजीवरम की साड़ी और एक चैन सैट आया।

जब उसने सोहम जी से इस बाबत पूछा तो वह बोले अब शादी में जाओगी तो नई साड़ी तो पहनोगी ही और बीना को कुछ देना भी पड़ेगा ,इसलिए दो साड़ी तुम्हारे लिए और दो साड़ी और चेन सैट बीना के लिये मंगवा दिया है।

मुझे याद था एक बार तुमने बीना की शादी में चेन सैट देने की मंशा प्रकट करी थी। बेटे से बात करके सबके लिये फ्लाइट भी बुक करा दी है। बाकी तैयारी तुम कर लेना। वो दो-तीन दिन अकेले मैनेज कर ही लेंगे यह सब सुनकर उसे तो सहसा विश्वास ही नहीं हुआ था। अरे कहां खो गईं, ये लो गर्मागर्म अदरक की चाय पियो, सोहम जी की आवाज़ सुनकर शोभा का ध्यान भंग हुआ।

अरे थोड़ी देर में मैं ही बना लाती, आपको भी बहुत जल्दी रहती है।

कभी-कभी अच्छी चाय भी पी लिया करो।

मेरी बनाई हुई चीजों में तो तुम बहुत खामियां निकालते हो और अपनी बनाई चाय की खुद ही तारीफ करने में लगे हो।

देखो, शोभा तुम्हारे साथ कोई बनावटीपना नहीं रखता हूं,असलियत बता देता हूं। जब अच्छा बनाती हो तो तारीफ भी करता हूं और खराब बनाती हो तो खामियां भी निकाल देता हूं। मुझे पता है कि तुम बुरा नहीं मानोगी ना बात को अन्यथा लोगी। तुमने नोटिस किया होगा कि वो बहू के बनाये खाने में कभी मीनमेख नहीं निकालते हैं ना ही कोई फरमाइश करते हैं। जो वो परस देती है उसे खुश होकर खा लेते हैं ।साथ ही झूठी तारीफ भी कर देते हैं।

बातें बनाना तो कोई आपसे सीखे।

अब मन बहलाने का एक यही ज़रिया तो रह गया है। मोबाइल और टी.वी.पर समय बिताता हूं तो तुम अकेली पड़ जाती हो। तुम्हें टी.वी. देखने का शौक है ना मोबाइल चलाने का। अब तुम्हारा ख्याल भी रखना ही पड़ता है।

सही कहा तुमने। हम दोनों ही एक दूसरे का अच्छे से ख्याल रख सकते हैं। पचास साल से ज़्यादा हो गये साथ रहते हुए। अब हम एक दूसरे की रग रग से वाकिफ हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ती जा रही है वैसे वैसे एक दूसरे की एहमियत बढ़ती जा रही है। कभी-कभी सोचती हूं कि मेरे बाद तुम कैसे रहोगे या तुम्हारे बाद मैं कैसे रहूंगी। इसलिये भगवान से रोज़ ये प्रार्थना करती हूं कि जब तक जियें साथ जियें और साथ ही मरें।

बुढ़ापे में जीवनसाथी को खोकर जीना बहुत मुश्किल है। जीवनसाथी खोने के बाद जीवन में जो अकेलापन आ जाता है उसे कोई भी भर नहीं सकता। अपने तन-मन के दुःख सुख की बात नि: संकोच पति-पत्नी आपस में ही कर सकते हैं| सच में मरने वाला नहीं मरता है बल्कि जो ज़िंदा बच जाता है मरण तो उसका हो जाता है।

अक्सर देखने में आता है कि जीवनसाथी से जुदा होने के पश्चात पति/पत्नी एकदम चुप से रहने लगते हैं। जीवन से उमंग व उल्लास, अनगिनत ख्वाहिशें, ख्वाब, एहसास खत्म से हो जाते हैं बस बची हुई सांसों को पूरा करने के लिये मजबूरी में जीना ही पड़ता है।

आज तो तुम बड़ा ज्ञान बांट रही हो,ऐसा करो प्रवचन देना शुरू कर दो,सोहम जी मुस्कुराते हुए बोले।

तुम्हारे सिवा कोई प्रवचन सुनने नहीं आयेगा ऐसा कहकर शोभा मुस्कुरा दी। अच्छा बहुत बातें हो गयीं,अब मैं चली रसोई में नाश्ता बनाने ।तुम बिस्तर में बैठो ,आज बहुत ठंड है,शोभा ऐसा कहकर कमरे से चल दी।

थोड़ी देर बाद वो कमरे में वापिस आयी तो उसने देखा कि सोहम जी का मुंह टेढ़ा सा हो रहा था और वो बोलने में भी तुतला से रहे थे। शोभा समझ गयी कि सोहम को स्ट्रोक आया है। उसने जल्दी से आशु को जगाकर सारी बात बताई और तुरंत ही एंबुलेंस के लिये फोन कर दिया। एंबुलेंस के आते ही वो हाॅस्पिटल के लिये चल दिये।

वहां उन्हें इमरजैंसी में दिखाया गया,उनका सारा चैक‌अप हुआ। डाक्टर ने चैक‌अप के बाद बताया कि आप अतिशीघ्र इन्हें यहां ले आये तो हम इंजैक्शन देकर स्ट्रोक के प्रभाव को कम करने में सक्षम हो सके। दो एक दिन बाद छुट्टी मिल गई और वो घर आ गये पर असली परीक्षा तो अब शुरू हुई थी। अब सोहम जी अपने काम के लिये दूसरों पर निर्भर हो गये थे। आशु तो उनकी देखभाल के लिये नर्स रखना चाहता था पर शोभा जी इसके लिये तैयार ही नहीं हुई।

सोहम जी के हरेक काम की ज़िम्मेदारी उन्होंने उठाई। तीन महीने तक उन्होंने लगकर सेवा की और उस सेवा का ही नतीजा था कि सोहम जी काफी हद तक ठीक हो गये थे। शोभा अपने घुटनों का दर्द तो भूल ही ग‌ई थी। सोहम जी शोभा से बोले सच में बुढ़ापे में पति पत्नी को एकदूसरे की ज़्यादा ज़रुरत होती है। जिस तरह तुमने मेरी छोटी से छोटी चीज़ पर ध्यान दिया वैसा बेटा बहू भी नहीं दे पाते ना ही कोई नर्स। तुमसे तो किसी भी समय कोई काम कहने में कोई संकोच नहीं हुआ अधिकारपूर्वक हर बात कही जबकि किसी और से कहने में वो सौ बार सोचते।

ये सच बात है कि पति पत्नी एक दूसरे पर सबसे ज़्यादा अधिकार जमाते हैं। एकदूसरे द्वारा की गई सेवा सहज रूप में ली जाती है जबकि किसी और के द्वारा किये गये छोटे छोटे काम भी भारी दिखाई देते हैं।

शोभा,एक बात कहूं बुरा तो नहीं मानोगी।

कभी आपकी बात का बुरा माना है क्या?

शोभा,मेरी तुमसे विनती है कि अगर मैं तुमसे पहले विदा ले लूं तो तुम जीना नहीं छोड़ोगी। तुम अपना पहले से भी ज़्यादा ध्यान रखोगी क्योंकि मैं कहीं नहीं जाऊंगा बल्कि तुममें ही समा जाऊंगा।

अरे तुम्हें जी जान लगाकर क्या इसलिए ठीक किया है कि तुम मेरा जी दुखाओ। जाओ मैं नहीं बोलती तुमसे।

अब सोहम जी शोभा को मनाने का लुत्फ उठा रहे है और शोभा जी रुठने का। दोनों ही सोच रहे हैं कि जीवन के आखिरी क्षण तक ये सिलसिला यूं ही चलता रहे।

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