अधूरा प्रेम- गृहलक्ष्मी की कहानी: Hindi Love Story
Adhura Prem

Hindi Love Story: रूही नन्ही सी बिटिया जो एक छोटी सी लकड़ी की बनी डोली देखते हुए सुबह आंख खोलती आँखे मीजते हुए उसको चाची की आवाज़ सुनाई दी ,अरे महारानी अब उठोगी के डोली में बैठ अभी अपने सासरे जाना चाहती हो,
धीरे-धीरे समय बीतता गया अब रूही अपने पूर्ण यौवन में अपने शादी के सपने संजोए अपनी ही दुनिया में मस्त रहती ।
चाची बार बार ताना मारती अरे, तुझे पाल पोस के बड़ा किया अब तेरी शादी का भी खर्च करना पड़ेगा क्या? कभी कुछ काम भी किया करो,
जब देखो लिपस्टिक काजल करती रहती है ,घर के काम में मन लगा नही तो सासरे में तेरी आरती नही उतरेगा
“रूही आज फिर चाची की बात सुन रोते हुए खाना बनाने चली गई .
चाचा रूही को आवाज़ लगाते हुए अंदर से ही,”अरे रूही कहाँ हो बिटिया एक अच्छा रिश्ता मिला है शाम को वो लोग देखने आएंगे तुम तैयार हो जाना।
रूही की खुशियों का ठिकाना नही रहा वो भागते हुए अपने कमरे में अपनी उसी बचपन की डोली को जल्दी से हाँथो में ले ख़ुशी से नाचने लगी
रूही!बेशर्म अपनी ही शादी की बात पर इतनी ख़ुश हो रही अरे हम लोग तो शादी के बाद भी इतने खुश नही हुए,चाची कौंधते हुए बोले जा रही थी।
दूसरे रोज चाचा मायूस होकर आँगन में बैठ गए ,चाची फिर गरम मिजाज में होकर बोली फिर टूट गया क्या रिश्ता अरे ये है ही मनहूस कौन करेगा इससे शादी
रूही सुबह उठी तो पड़ोस की लड़की को बैंक में खाता खोलने जाना था उसके बार—बार बोलने और चाची से पूछने के बाद रूही भी बैंक गई आज वो बाहर निकली थी बिना चाची की रोक टोक के ,”अरे मुनिया सब कागज़ लिया है कि नही,
खाता खोलने के लिए’,
हा दीदी सब लिया है।
बैंक के अंदर जाते ही सामने शीशे के बने कैबिन में एक सुन्दर सा लड़का बैठा दिखा रूही अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली ,
“सर क्या मै अंदर आ सकती हूं।
“बैंक मैनेजर’
हाँ
“सर खाता खोलना है बैंक में ” नजरे झुकाए रूही बोल रही थी
“यस मैडम”आप सभी कागज लगा कि ये फ्रॉम भर दीजिये आपका खाता खुल जाएगा।
बैंक के साहब अच्छे है न दीदी
सभी काम आसानी से हो गया मुझे तो बहुत डर लग रहा था मुनिया बोले जा रही थी ।
लेकिन रूही की तो जैसे नज़रे बैंक के शीशे वाले कैबिन में ही थी
जब दोनों बैंक से निकलने लगी तभी पीछे से आवाज़ आयी,
सुनिये मैडम मेरा नंबर ले लीजिए कभी कोई काम पड़े तो मुझे बता दीजिएगा मै करवा दूंगा।

“रूही” धन्यवाद सर कहते हुए नम्बर लेकर घर आ गई।
चाची घर पर आते ही गुस्से से पागल हुई !
अरे मोबाइल चार्ज में लगा देती हूं चाचा का फ़ोन आने वाला है
रूही फ़ोन उठाती है और मैनेजर का नंबर सेव करने लगती है तभी गलती से उस नंबर पर रिंग चली गई .
हाय!अब क्या होगा अगर सर ने फ़ोन किया तो क्या बोलूंगी इतना सोच ही रही थी,
तभी फ़ोन में घण्टी बजी ,बहुत घबराते हुए एक ही साँस में रूही ने अपना परिचय दिया सॉरी सर मैं अभी बैंक आयी थी। आपके नम्बर पर कॉल चली गई मुझे माफ़ कर दीजिए।
“बैंक मैनेजर “ने हँसते हुए कहा अरे नही हम तो कस्टमर की सेवा में बैठे ही है
रूही!धन्यवाद सर………
उधर से आवाज़ आयी अरे मै भी इंसान ही हूँ आप मुझे सर नही शोभित बुला सकती हैं
रूही तब तो आप हमारे मेहमान हुए और हमारे यहाँ तो मेहमान को भगवान माना जाता है
आपका क्या नाम है मैडम ,
जी सर रूही.. रूही कांपते हुए
‘अरे !फिर से सर मेरा नाम शोभित है शोभित
“रूही”जी ….. शोभित सर जी ..
मेरा नाम रूही है आप रूही बोल सकते हैं शोभित जी….
दोनों एकसाथ हँसने लगते हैं. अच्छा रूही जी अच्छा लगा आपसे बात करके मुझे अब खाना भी बनाना है फिर खा के कुछ काम भी करना है ऑफिस का ,
जी सर धन्यवाद ..
रूही ,अरी !ओ रूही कहाँ मर गई कब से खाना बना के नही तेरा अब खाने को भी देगी के भूखों ही रखना है
“हा!चाची आई बस बन गया खाना
खाना लगाते हुए गुंगनाने लगती है ,चाचा अरे रूही बेटा क्या बात खाने की खुशबू तो आँगन तक जा रही है।
सभी खाना खा ही रहे होते है कि फ़ोन बजा,रूही दौड़ के जाती है लेकिन अरे कंपनी का फ़ोन चाची हँसते हुए अरे तेरे मोबाइल कंपनी के आशिकों का है ,, रूही भी हंसती है सभी खाना खा के सोने लगते हैं।
रात के 12 बजे फ़ोन बजने की आवाज़ से रूही की नींद टूटी अब इस टाइम कौन होगा ।
रूही उठ कर अलमारी में फ़ोन ढूंढते हुए अलमारी में अपनी लकड़ी की डोली उठा लेती है, फिर से फ़ोन की आवाज़ से उसने जल्दी से फ़ोन उठाया अरे चाची उठ गई तो अभी हंगामा करने लगेगी ।
हेलो!कौन..अरे ये तो बैंक मैनेजर का नंबर है ,
इतने में ही शोभित बोल पड़ा सॉरी इतनी रात को फोन किया सोने जा रहा था तो सोचा गुड नाईट बोल दूँ।
रूही को अजीब सी बेचैनी हो रही थी किसी लड़के ने पहली बार उससे इतनी रात को बात की थी।
रूही काफी देर खुद को रोकते हुए उससे रहा नही गया उसने शोभित को फ़ोन किया।
“हेल्लो!मै रूही जो आज बैंक आयी थी।
शोभित गुस्से में ,अरे क्या यार बार—बार मै बैंक आयी थी लगा रखा है आपने ,मैंने आपका नम्बर सेव किया है रूही जी …
बोलिये ,,
जी वो गुड नाईट नही बोला था मैंने ,इस लिए वापस फोन किया आपको दोनों ने कुछ मिनट तक बात किया फिर सो गए।
रूही सुबह देर से उठी चाची के तानों ने उसकी नींद खोली
“रूही जल्दी जल्दी काम करने लगी
“तभी फ़ोन की घण्टी बजी रूही सहम सी गई जाकर देखा तो मैसेज था शोभित का,
रूही जी ,गुड मॉर्निंग क्या आप मेरी दोस्त बनेंगी।
रूही के चेहरे में मुस्कुराहट ने दस्तक दी तभी दरवाज़े की घण्टी ने उसका ध्यान खींचा बिना मैसेज का जवाब दिए वो दरवाजा खोलने चली गई ,फिर दिन भर काम करने के बाद जब शाम हुई तो याद आया कि शोभित का मैसेज पड़ा था उसका उत्तर तो दिया ही नही जल्दी से भागते हुए अलमारी की तरफ जाती है और रखी हुई मेज़ से टकरा जाती है पैर में चोट लग गई
रूही पैर पर गर्म तेल लगा ही रही थी कि फ़ोन की घण्टी बजी,अरे शोभित जी का फ़ोन, हैलो! उधर
से आवाज़ आयी ,
शुभ संध्या रूही जी!
क्षमा कीजिएगा मेरे पैरों में चोट लग गई थी तो आपके मैसेज का उत्तर नही दे पाई “शोभित जी’…
इतना सुनते ही जैसे ही दोस्त के रूप का प्रेम निकल पड़ा हो शोभित का,
“रूही जी ,आप खुद का ध्यान नही रख सकती आप ,चोट लगवा लिया आपने,
अचानक से एक दिन रूही का फोन बंद आया लगातार कई दिनों तक रूही का फ़ोन बन्द पाकर शोभित बहुत परेशान हो गया जैसे उसका कोई अहम हिस्सा उससे दूर था .
आज जब रूही के फ़ोन की घण्टी बजी तो वो कुछ बोलती उसके पहले ही जैसे शोभित उसका अधिकारी हो बड़ी तेज़ी से अपनेपन के साथ डांटे जा रहा था,कहाँ थी तुम हा कुछ परवाह है किसी कि तुमको ,
ठीक हो न तुम,
शोभित जी ,वो मेरा फ़ोन खराब हो गया था; रूही ने उत्तर दिया…
अरे तो मुझे क्यों नही बताया मै भेज देता न,
इतने बोलते ही शोभित रोने लगता है जैसे वो रूही को बहुत टूट के चाहता हो और रूही को बहुत सालों के बाद पाया हो और अब उसे खोना नही चाहता हो।
रूही उसको रोता देख परेशान तो हुई लेकिन अचानक शादी की बात पे उसको हँसी आ गई ।
शोभित रूठते हुए बोला ,मना लो तुम भी मेरा मजाक…मुझ जैसे सीधे लड़को के लिए ये दुनिया नही बनी ,
लड़कियों को वो अय्यास टाइप लड़के ही अच्छे लगते हैं।
बाय !अब आपको परेशान नही करूंगा ।
खुश रहिए हमेशा ,यही कहते हुए शोभित फ़ोन काट चूका था।
तभी चाची की आवाज़ से उसका ध्यान काम पर गया लेकिन काम के बीच भी उसके दिमाग में शोभित की बातें चल रही थी ।
आज पहली बार ज़िन्दगी में किसी लड़के ने उसको इतने प्यार अधिकार से डांटा था किसी ने पहली बार शादी की बात की थी
तभी शोभित का फ़ोन फिर से ,
हेल्लो रूही मुझे आपकी याद आ रही काम में मन नही लग रहा मेरा
तभी उधर से शोभित हँसते हुए आप बहुत खूबसूरत लगती हैं रूही ,
मन करता है आपको अपने सामने बैठा के बस देखता ही रहूं।
रूही एकदम से चुप हो गई।
उसको ये एहसाह अच्छा तो लग रहा था लेकिन ,झिझक भी थी
ये सब ठीक है या नही ।
अब तो चाची के ताने भी मीठे लगते थे अब तो रोज जल्दी जल्दी काम करके शोभित के फ़ोन का वेट करती रहती,
आज जैसे ही शोभित का फ़ोन आया ,वो कुछ नराज सा था ,क्या बात है आप परेशान है,
शोभित ,,नही
रूही,तब क्या बात है
“शोभित” एक बार बात नही कर सकती थी आप पूरा दिन निकल गया।
“रूही” अरे शोभित जी,हँसते हुए बोली।
“शोभित ” शादी कर लीजिए मुझसे ,रूही जी
रूही बस शोभित की बात सुने जा रही थी ,शायद मन से वो भी शोभित को पसन्द करने लगी थी अपने सपने के राजकुमार को वो अब शोभित में देखने लगी थी ।
लेकिन चाची चाचा से कैसे बात करे यही समझ नही आ रहा था शोभित ने वादा किया मै आपके घरवालो को मना लूंगा ।
“शोभित “आप तो मुझे इतनी मानती हो आपके लिए तो पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगा।
आज रूही बहुत खुश थी जैसे बचपन का सपना अब साकार होने को है तुंरत भगवान के पास जा कर धन्यवाद देती है,
शाम को जब शोभित का फ़ोन आया तो उसने पूछा ,रूही आप मुझे बताओ कि चाचा का स्वाभाव कैसा है कल ही मै रिश्ता भेजता हु अब आप और अपने पति से आप दूर नही रहोगी मेरे पास आकर रहिए जल्दी से इस घर को सभालिये और नन्ही सी प्यारी सी अपनी जैसे गुड़िया मुझे दीजिए।
जानती हैं रूही आज ब्रांच में एक महिला अपनी बच्ची को लेकर आई थी उसको देख मुझे अपने परिवार की बहुत कमी खली है। मैंने आज उस बच्ची को अच्छा सा गिफ्ट दिया ।

जब मेरी बच्ची होगी उसको दुनिया भर की खुशियां दूंगा
दूसरे ही दिन शोभित ने बैंक से रिश्ता भेजा किसी कस्टमर के द्वारा उसने आकर चाचा को सुझाव दिया।
अरे चाचा लड़का अच्छा है बैंक में है रुपया पैसा खूब है और सबसे बड़ी बात दहेज के खिलाफ है पढ़ा लिखा है ,रूही के तो भाग्य खुल जाएंगे ,चाचा ने शोभित को घर बुलाया और बहुत प्रेम से रिश्ता तय करके उसको अपना ही घर समझने की इजाजत दे दी चाची भी रिश्ते से एतराज नही कर रही थी
समय बितने लगा अब रोज शोभित और रूही घण्टों बाते करते चाची चाचा से छिपकर अपने आने वाले परिवार के बारे में अपने बारे में रूही के लिए शोभित जैसे एक अनोखा सपना था।

जैसे जैसे रूही शोभित के तरफ समर्पित हो रही थी वैसे वैसे शोभित कुछ दूर दूर रहने लगा काम का बहाना बना कर फ़ोन कम करने लगा ,इधर चाचा भी इस अच्छे रिश्ते को जाने नही देना चाहते थे ,उन्होंने भी शोभित पर दबाव डाला बेटा अपने पिता जी को बुला लीजिए शादी की तारीख तय कर लिया जाए।
रूही भी अब शादी जल्दी करके अपने घर में जाना चाहती थी लेकिन शोभित उसको टालता रहता
एक दिन चाचा के ज्यादा दबाब डालने पर शोभित ने अपने पिता से बात करवाई ,लेकिन उनके पिता के तो सुर कही और ही लगे थे ये तो इनके परिवार का एक हिस्सा था
बेटा शोभित अलग—अलग लड़कियो के परिवार का हिस्सा बनता लड़की के साथ प्यार की बाते करके बाद में लड़की को ही बदनाम करके चले जाना इनका हमेशा का काम था।
रूही के चाचा ने जब शोभित के पिता जी से बात की तो वो तुंरत बात टाल गये ,और उन्होंने
बोला मेरा बेटा सरकारी जॉब में है मैं वैसी ही शहर की बहू लूंगा। दहेज़ भी लूंगा
रूही के चाचा अपना घर बेच के दहेज देने को तैयार हो गए थे।
रूही ने जब शोभित से बात की तो वो भी टाल गया ,,पापा जो फैसला लेंगे मै वही करूंगा
रूही चाचा को समझाते हुए बोली,चाचा मुझे 1 साल का समय दे दीजिए मै कुछ करना चाहती हूं
चाचा जी मुझे मात्र 1 साल का समय दीजिए मैं पढ़ना चाहती हूं और मैं एक अच्छी नौकरी ले करके मैं खुद इस लायक हो जाऊंगी कि घर भी नहीं बेचना पड़ेगा।
चाचा उसके बाद सुनकर के जरा रुआँसी हुई आवाज में बोले बेटी यह तो मेरा कर्तव्य है
रूही चाचा को मनाने का पूरा प्रयास करती रही जैसे तैसे करके उसने चाचा को मना ही लिया। अपने कमरे में आकर किताबों के बीच में उसने अपने आपको बैठा दिया.
8 महीने की मेहनत के बाद आज उसने परीक्षा दी और परीक्षा में पास हो कर के वह अफसर बन चुकी थी।
आज पहली बार चाची रूही के लिए चाय लेकर आई थी जैसे उनका ममत्व जाग उठा।