Naturopathy
Naturopathy

 प्राकृतिक चिकित्सा में दवाओं का सहारा न लेकर प्रकृति का सहारालिया जाता है और ज्यादातर रोग मिट्टी और जल के उचित प्रयोग तथा उपवास एवं खानपान में सुधार के माध्यम से दूर किये जा सकते हैं। हमारा शरीर पंचतत्व अर्थात् आकाश, अग्नि, वायु, जल और पृथ्वी से मिलकर बना है। इन्ही तत्वों से मेल से बनी है प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली।यह बिना दवाई और बिना विशेष खर्च के अधिकांश रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के लिये अपनाने योग्य चिकित्सा प्रणाली है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली की खासियत यही है कि इसमें दवाओं का सहारा न लेकर प्रकृति का सहारा लिया जाता है और ज्यादातर रोग मिट्टी और जल के उचित प्रयोग तथा उपवास एवं खानपान में सुधार के माध्यम से दूर किये जा सकते हैं। यही वजह है कि प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से वजन कम करना कुछ लोगों के लिए जहां बेहद आसान है वहीं कुछ लोगों के लिए बेहद मुश्किल भी।

असीम क्षमता-
इस बारे में दिल्ली के बापू नेचर क्योर हॉस्पिटल एंड योगाश्रम की संस्थापक डॉ. रुकमणि नायर का कहना है कि प्राकृतिक चिकित्सा की खासियत यह है कि इसमें असीम क्षमता है और इस प्रणाली में हमेशा प्राकृतिक रूप से बैलेंस बनाते हुए बीमारी को ठीक करने की कोशिश की जाती है। इसमें डाइट, एक्सरसाइज, आराम, ताजी हवा और पानी के इस्तेमाल से चिकित्सा की जाती है।कोशिश की जाती है कि मरीज को जितना हो सके उसकी स्वस्थ स्थिति में वापस लाया जाए।

स्वयं करें उपचार-
डॉ. रुकमणि का मानना है कि व्यक्ति स्वयं भी अनेक उपाय आजमाते हुए स्वस्थ और फिट रह सकता है। प्राकृतिक चिकित्सा में वजन घटाने के लिए व्यक्ति विशेष की अवस्था के अनुसार अलग-अलगा थेरेपीज का सहारा लेते हुए उपचार किया जाता है। देखा जाता है कि व्यक्ति को क्या-क्या बीमारियां हैं और फिर ऐसी थेरेपी दी जाती हैं जिनसे उस पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े। आमतौर पर प्राकृतिक चिकित्सा वजन घटाने के लिए एक सीधे से सिद्धांत पर चलती है जिसमें मसाज यानी मालिश, योग और डाइट पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। व्यक्ति को उसके अपने शरीर, मोटापे और व्याधियों के अनुसार नियमित रूप से अलग-अलग मसाज प्रणालियां और योग की अलग-अलग मुद्राएं करने के लिए कहा जाता है। व्यक्ति के वजन और स्वास्थ्य संबंधी अन्य बातें देखते हुए उसे डाइट करवाई जाती है। व्यक्ति की स्थिति को देखते हुए हल्का गर्म नीम का पानी पिलाया जाता है।

डाइटिंग के लिए परीक्षण जरूरी-
वजन घटाने के लिए व्यक्ति के वजन के अलावा अनेक परीक्षण करवाए जाते हैं जिनमें रक्त परीक्षण, ब्लड प्रेशर, थायरॉइड इत्यादि प्रमुख हैं।इसके बाद मरीज को अलग-अलग अवधि के अलग-अलग डाइट प्लान की सिफारिश की जाती है। इनमें एक सप्ताह से लेकर छह महीने तक के विभिन्न लान शामिल हैं एक सप्ताह में ज्यादा से ज्यादा कितना वजन घट सकता है, यह आमतौर पर किसी भी व्यक्ति की इच्छाशक्ति और डाइट कार्यक्रम को झेल सकने की ताकत पर निर्भर करता है। प्राकृतिक चिकित्सा या नैचुरोपैथी के डाइट प्लान में कुछ-कुछ दिनों के लिए तीन अलग-अलग तरह की डाइट पर रखा जाता है।इनमें सबसे पहले आती है फास्टिंग थेरेपी। इस डाइट को एलिमिनेटेड डाइट भी कहा जाता है।

एलिमिनेटेड डाइट-
फास्टिंग थेरेपी में व्यक्ति को सबसे पहले बिना अन्न के रखा जाता है। इसे शोधन भी कहा जाता है। यह उसके वजन और क्षमता पर निर्भर करता है कि वह कितने दिन तक फास्टिंग की अवस्था में रह सकता है और उसे कितने दिन तक इस अवस्था में रखा जाना चाहिए। एलिमिनेटेड डाइट में व्यक्ति को सिर्फ नींबू पानी और शहद पर रखा जाता है और दिन में उसे कम से कम चार लिटर पानी पिलाया जाता है। डॉ. रुकमणि का कहना है कि किसी भी व्यक्ति को बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसी फास्टिंग नहीं करनी चाहिए क्योंकि किसी-किसी स्थिति में ऐसी फास्टिंग करना स्वास्थ्य के लिए खतरा भी बन सकता है।

soothing diet

सूदिंग डाइट-
कुछ दिन की एलिमिनेटेड डाइट के बाद मरीज को सूदिंग डाइट पर रखा जाता है। इस डाइट में उसे शुरूआत में कच्चे फल, फलों या सब्जियों का रस,अंकुरित अनाज इत्यादि दिया जाता है।

अनकुक्ड डाइट-
इसके बाद मरीज को बिना पके आहार पर रखा जाता है। इसमें दूध भी दिया जा सकता है। यह अवस्था व्यक्ति के अनुसार तीन दिन से लेकर तीन महीने तक चल सकती है।

कंस्ट्रक्टेड डाइट-
डाइटिंग की अंतिम अवस्था में मरीज को पका आहार दिया जाता है जिसमें एक रोटी, दाल और हल्का-फुल्का स्वस्थ आहार शामिल होता है। इस डाइट को व्यक्ति की अवस्था के अनुसार एक सप्ताह से लेकर एक-दो महीने तक चलाया जा सकता है। डॉ. रुकमणि का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति डाइटिंग की इन तीनों अवस्थाओं को पर्याप्त समय तक सही प्रकार से निभा लेता है तो उसका वजन दस दिनों में दस किलो तक कम हो सकता है जो बहुत कम मामलों में होता है। आमतौर पर वजन कम करने का पैकेज होता है जो 22 दिन के लिए होता है। इसमें एक सप्ताह की फास्टिंग, पांच दिनों की एलिमिनेटेड डाइट, पाच दिन की सूदिंग डाइट, पांच दिन की अनकुक्ड डाइट और अंतिम पांच दिन की कंस्ट्रक्टेड यानी कुक्ड डाइट दी जाती है। अगर इन 22 दिनों में लक्ष्य के अनुसार वजन कम नहीं होता तो इस प्लान को फिर से इसी तरह चलाया जाता है। 

डॉ. रुकमणि का मानना है कि यदि व्यक्ति सही प्रकार से इस प्लान पर काम करे तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि 22 दिनों में कम से कम 5 किलो वजन कम न हो। लेकिन ऐसा इसलिए नहीं हो पाता कि लोग इतनी हैवी डाइटिंग नहीं कर पाते। कभी उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या होती है तो कभी उनकी इच्छाशक्ति इतनी तीव्र नहीं होती यानी वे इस डाइट पर टिके नहीं रह पाते। मन मचल जाता है और कुछ न कुछ उल्टा-सीधा खा लेते हैं।

प्राणायाम-
डाइटिंग के अलावा वजन घटाने के लिए प्राणायाम और मेडिटेशन का भी योगदान है। इससे व्यक्ति की इच्छाशक्ति बढ़ती है और मन शांत होता है।

विभिन्न थेरेपीज-
वजन घटाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा में और भी बहुत कुछ है जिनमें मसाज थेरेपी, हाइड्रो थेरेपी, क्रोमो थेरेपी, मड थेरेपी और मैग्नेटो थेरेपी शामिल हैं। कई बार वजन घटाने के लिए एब्डोमेन मड पैक दिया जाता है जिसमें पेट पर मिट्टी का पैक लगाया जाता है। कई बार व्यक्ति को कोल्ड हिप बाथ दिया जाता है जिससे वजन पर काफी असर पड़ता है। कुछ लोगों को वजन घटाने के लिए एनिमा दिया जाता है जिससे शरीर के सारे विषैले पदार्थ मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

different types of therapies

बचाव पर जोर-

प्राकृतिक चिकित्सा में उपचार से ज्यादा बचाव पर जोर दिया जाता है। माना जाता है कि आजकल वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कारण बीमारियां बढ़ रही हैं इसलिए व्यक्ति को स्वयं को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जितने हो सके उतने प्राकृतिक उपाय आजमाने चाहिए।

आयुर्वेदिक तरीके-
मोटापे को आयुर्वेद में मेदुरोग कहा गया है जिसका अर्थ है एडिपोज टिश्यू की बीमारी। मोटापा एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में इतना वसा एकत्रित हो जाता है कि इसका स्वास्थ्य पर बुरा असर पडऩे लगता है। ठंडे, मीठे, भारी और तले-भुने भोजन का अत्यधिक सेवन मोटापे को जन्म देता है। आयुर्वेद में कहा जाता है कि गुरु आहार यानी भारी आहार और मधुर रस यानी मीठे के सेवन से कफ दोष और मेद धातु में बढ़ोतरी होती है। मोटापे का सबसे बड़ा कारण शरीर में बढऩे वाली और खर्च होने वाली कैलोरीज के बीच का असंतुलन है जिससे शरीर में वसा का जमाव होता है।

आयुर्वेद में मोटापे के कारण
– आमा का बनना (जब भोजन सही तरह से न पचे)
– पाचन क्षमता का कमजोर होना
– शारीरिक चैनल्स में ब्लॉकेज
– लाइफस्टाइल फैक्टर्स
-कसरत की कमी

शारीरिक समस्याएं
मोटापे से अन्य भी बहुत सी शारीरिक समस्याएं जन्म लेती हैं जैसे कोरोनरी धमनी डिज़ीज़ डायबिटीज़ मैलिटस, हायपरटैंशन, गाउट, हाइपोथायरॉइडिज़्म, साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर और गॉल स्टोन इत्यादि।

वजन को कैसे नियंत्रित करें
मोटापे को नियंत्रित करने के लिए किसी भी व्यक्ति को अपनी खानपान की आदतों पर नियंत्रण करना, रोजमर्रा में कसरत करना और इसके अलावा वजन बढ़ाने में सहायक कारणों से बचना चाहिए। –
(बापू नेचर क्योर हॉस्पिटल की संस्थापक डॉ. रुकमणि नायर और डाइटीशियन शिखा शर्मा से बातचीत पर आधारित)