Dada dadi ki kahani :चीन का नाम तुमने जरूर सुना होगा। यह एक सुंदर देश है, जहाँ बहुत से लोग घूमने जाते हैं।
बहुत साल पहले की बात है। चीन घूमने आनेवाले पर्यटक वहाँ की सुंदरता देखकर बहुत खुश होते थे। लेकिन जो चीज़ उन्हें सबसे ज़्यादा अच्छी लगती थी-वह थी एक मैना की मीठी आवाज़। यह मैना राजा के बगीचे में एक पेड़ पर बैठकर गाती थी। जो लोग इस बगीचे में घूमने आते थे, उनका मन करता था कि बस मैना का गीत सुनते ही जाएँ।
यह बात राजा ने भी सुनी। उन्होंने कभी भी इस मैना को गाते हुए नहीं सुना था। उन्होंने अपने सैनिकों से कहा कि वे मैना को ध्यान से पकड़कर लाएँ। उसे कोई चोट नहीं लगनी चाहिए।
सैनिक जब मैना को लेकर आए तो राजा को बहुत निराशा हुई। यह तो किसी साधारण चिड़िया जैसी ही दिखाई देती थी। लेकिन जैसे ही मैना ने गाना शुरू किया, राजा इतने मंत्र-मुग्ध हो गए कि उनकी आँखों से आँसू गिरने लगे।
मैना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसका गाना सुनकर इतना अधिक प्रसन्न होते हुए उसने कभी किसी को नहीं देखा था। राजा ने मैना को राजमहल में रख लिया। वहाँ उसकी बहुत देखभाल होती थी।
लेकिन कुछ दिनों के बाद किसी ने राजा को उपहार भेजा। जब डिब्बा खोला गया तो उसके अंदर से एक मैना निकली। यह एक मशीनी मैना थी, जो देखने में असली लगती थी। उसके अंदर चाबी भरने से वह गाने लगती थी। उसकी आवाज़ भी बहुत मीठी थी। इस मशीनी मैना को न तो खाना देना पड़ता था न ही उसकी ज़्यादा देखभाल करनी पड़ती थी। साथ ही यह जब चाहो तब गाना सुनाने लगती थी। चाबी भरने की देर थी। धीरे-धीरे असली मैना सबको बेकार लगने लगी और उसे राजमहल से निकाल दिया गया।
मैना बहुत दु:खी हुई। लेकिन वह क्या कर सकती थी! चुपचाप अपने पुराने पेड़ पर चली गई। वह अकसर राजा के कमरे की खिड़की के पास आकर अंदर देखती थी। राजा रात को जब कमरे में आते थे, तब मशीनी ना का गाना सुनते-सुनते सो जाते थे।
फिर एक दिन मशीनी मैना ने गाना बंद कर दिया। उसके अंदर एक स्प्रिंग थी, जो टूट गई थी। इसीलिए उसमें चाबी ही नहीं भरी जा सकती थी। राजा को मैना का गाना सुनकर सोने की इतनी आदत पड़ गई थी कि उसके बिना उनको नींद ही नहीं आती थी। मशीनी मैना को ठीक करने की बहुत कोशिशें की गईं, लेकिन सब बेकार। राजा नींद न आने के कारण बीमार रहने लगे। उनकी हालत दिन-पर-दिन ख़राब होती जा रही थी।
मैना ने खिड़की से यह सब देखा। उसे याद था कि कैसे उसे राजमहल से निकाल दिया गया था। लेकिन उसे यह भी याद था कि उसका गाना सुनकर राजा को इतना अच्छा लगा था कि उनकी आँखों में आँसू आ गए थे। वह जानती थी कि राजा उसके गाने को बहुत पसंद करते थे।
इसलिए एक रात को जब राजा को सुलाने की कोशिश की जा रही थी, तब वह उड़कर राजा के सिरहाने पर बैठ गई। उसने अपनी मीठी आवाज़ में गाना शुरू किया। राजा ने तुरंत अपनी आँखें खोलकर देखा। अपनी प्यारी मैना को वापिस पाकर वे बहुत खुश थे। गाना सुनकर उन्हें तुरंत नींद आ गई। कुछ ही दिनों में उनकी तबियत ठीक हो गई।
उसके बाद राजा ने कभी किसी मशीनी मैना को अपने पास नहीं आने दिया। वह तो हमारी मैना ही थी, जो हमेशा उनके साथ रहती थी।
मशीन तो आख़िर मशीन ही होती है न! उसका क्या भरोसा, कब बिगड़ जाए। असली चीज़ हमेशा भरोसेमंद होती है। बोलो सही या ग़लत?
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