Posted inआध्यात्म

क्या है ब्रज की चौरासी कोस यात्रा?

हिन्दू मान्यताओं में ईश्वरीय धामों की यात्राओं से घर-परिवार को बुद्धि, समृद्धि, निर्मलता, एवं ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी ही एक पुण्यदायी यात्रा है ब्रज की चौरासी कोस यात्रा।

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कैसे रखें जन्माष्टमी का व्रत?

कहते हैं कोई भी व्रत करने के लिए मन में श्रद्धा का होना परम आवश्यक है। मन के आन्तरिक भाव से किया गया व्रत सीधा भगवान तक पहुंचता है, परन्तु शास्त्रों के अनुसार विधिपूर्वक किया गया व्रत ही अधिक फलता है। इसलिए जानें कैसे करें जन्माष्टमी का व्रत।

Posted inउत्सव

जन्माष्टमी मनाने के परम्परागत रूप

जन्माष्टमी का पर्व हिंदुओं में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भले ही इस पर्व को मनाने के तरीके हर सम्प्रदाय में थोड़े-थोड़े भिन्न हैं, पर भाव बिल्कुल एक ही है कि अपने बाल रूप प्रभु का अन्तर्मन से खूब लाड़ लड़ाना और आनन्दित होना।

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क्यों मनाई जाती है नागपंचमी?

भारतीय संस्कृति में नाग को देवता का स्थान प्राप्त है। नागपूजन हमारी परंपरा का संबद्ध भाग है। भारतवर्ष के अलावा अन्य पुरातन सभ्यताओं वाले देशों में भी नागपूजा के तथ्य मिलते हैं। लोक विश्वास और लोक कथाएं नागों से संबंधित समाज में पाई जाती हैं। आदिवासियों की आराधना प्रणाली में नागों का विशिष्ट स्थान है। वे नागों और सर्पों के उल्लेख से भरा पड़ा है।

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बरसात में प्राइवेट पार्ट रखें स्वच्छ

बरसात में हवा में नमी बनी रहती है। यह नमी तरह – तरह के बैक्टीरिया को विकसित करने में मदद करती है। ऐसे में शरीर की त्वचा का ध्यान रखना, खास कर प्राइवेट पार्ट का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। बीच बीच में जो धूप निकलती है ,उसके कारण नमी और बढ़ती है। गरमी थोड़ी और बढ़ती है तो गरमी की वजह से पसीना होता है। उसमें नमी मिल जाती है तो बैक्टीरिया के लिए स्वर्ग जैसी स्थिति बन जाती है। यह प्राइवेट पार्ट्स में तुरंत समस्या खड़ी करता है।

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प्रेम परीक्षा – गृहलक्ष्मी कहानियां

देखो राघव ! मैं आज भी वही हूँ, जैसी तुम छोड़कर गए थे।तुमने तो पलटकर भी नहीं देखा कभी मैं किस हाल में हूँ पर मैंने तो प्यार किया था तुमसे जो फिर किसी और इन्सान से नहीं हुआ । अपने लक्ष्य से प्यार कर लिया मैंने और अब मैं फॉरेस्ट ऑफिसर स्नेहा शुक्ला हूँ ।

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अगर हरिवंशराय बच्चन जी ‘मधुशाला’ आज लिखते, तो ये चार छंद उसमें अवश्य होते

मदिरालय के द्वार पड़ा है आज कोरोना का ताला। रो धो जैसे तैसे सबने सवा माह का दिन टाला।। जाने किसने पाप किये जिसका मदिरा को दंड मिला, तरस रहे हैं पीने वाले, सिसक रही है मधुशाला॥ दो हफ्ते का लॉक पीरियड फिर से आगे कर डाला। भूल गए सब किसने किसके साथ कहां और […]

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आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प है जिनकी पहचान…

मिलिए कुछ ऐसी महिला शख्सियतों से, जिन्होंने मुश्किल हालातों पर अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर विजय हासिल की और इस समाज में अपनी पहचान बनाई, पहचान भी ऐसी, जिसमें देश, समाज और जरूरतमंदों के लिए कुछ बेहतर करने की जिद ठान ली और अपने साथ-साथ उनके जीवन की भी नैया पार लगा दी।

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जि़ंदगी पर भारी डिप्रेशन और एंग्जाईटी

विश्व स्वास्थ्य संगठन से संबद्ध अधिकांश विश्व स्तरीय डॉक्टर, समाजशास्त्री, चिंतक, दार्शनिक और विचारकों को अंदेशा है कि अगली विश्वव्यापी समस्या जो तन और मन दोनों स्तरों पर इंसान की प्रगति का रोड़ा बनेगी, वह होगी डिप्रेशन और एंग्जाईटी।

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कोविड में हुए बच्चे अनाथ कौन पकड़े उनका हाथ

कोविड महामारी ने न जाने कितने ही बच्चों से उनके माता-पिता का साया छीन लिया और उन्हें ‘अनाथ’ की श्रेणी में ला खड़ा किया। बेसहारा और बेघर हुए इन नन्हे-मुन्नों को मानवीय संवेदनाओं और अपनापन की आस है और उनकी ये आस तभी पूरी हो सकती है जब हम आगे बढ़कर उनका हाथ थामें।

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