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बॉलीवुड हसीनाओं के नयनों के राज़

आंखें मेकअप की जान होती हैं। बॉलीवुड एक्ट्रेसेज भी अपने आंखों के मेकअप पर खास ध्यान देती हैं। इनमें से अधिकतर स्मोकी आई लुक फॉलो करती हैं लेकिन वह भी अलग-अलग लुक वाले होते हैं। कुछ बॉलीवुड एक्ट्रेस तो बिना स्मोकी आई मेकअप के भी कमाल की लगती हैं। यही वजह है कि आम लोगों को इनसे मेकअप के बारे में सीखने को बहुत कुछ मिलता है।

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एस्ट्रो स्ट्रेटेजी के साथ दें करियर को उड़ान

आपका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। एस्ट्रो स्ट्रेटेजी आपके जीवन और व्यवसाय को अंधेरे से उजाले की ओर ले जायेगा, निराशा में आशा की किरण दिखाएगा और दु:खों को सुखों में बदल देगा।

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मजाकिया मनोज – गृहलक्ष्मी लघुकथा

बाप के जाने के कुछ ही दिनों बाद मनोज को अकेला छोड़ कर मां भी स्वर्ग सिधार गई थी। पूरे गांव को उसकी इस अचानक हुई मौत का पता नहीं चला। मनोज अकेला पड़ गया था, इस बात का सभी को दुख था। 15 साल का लड़का अकेला कैसे जीवित रहेगा। अकेला पड़ गया यह लड़का अंदर से टूट जाएगा। हर किसी के मन में अलग-अलग विचार घूम रहे थे। पर ऐसा कुछ हुआ नहीं।

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नवग्रह और उनकी धार्मिक शांति के उपाय

मनुष्य भले ही जन्म धरती पर लेता है परंतु उसके जीवन में सुख-दुख, उतार-चढ़ाव, लाभ-हानि आदि ग्रहों की चाल व उनकी दिशाओं पर निर्भर करते हैं। इसलिए यदि हमें स्वस्थ व सुखी रहना है तो हमें ग्रहों के प्रकोप से बचने के लिए उनके उपायों का भी ज्ञान होना चाहिए।

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क्या हम धार्मिक हैं? – ओशो

एक बहुत पुराने नगर में एक बहुत पुराना चर्च था। वह चर्च इतना पुराना था। कि उस चर्च में भीतर जाने से, उसमें प्रार्थना करने वाले भयभीत होते थे, तो चर्च के अस्थि-पंजर कांप जाते थे। हवाएं चलती थीं, तो लगता था, चर्च अब गिरा, अब गिरा! ऐसे चर्च में कौन प्रवेश करता, कौन प्रार्थना करता? धीरे-धीरे उपासक आने बंद हो गये।

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प्रेम जोड़ता है अहंकार तोड़ता है – परमहंस योगानंद

मन अहंकार का एक अंग है जिसे पता है कैसे बन्द हुआ जाए परन्तु उसे खुलना कैसे है यह पता ही नहीं है। प्रेम करने का अर्थ खुलना, समर्पण करना है।

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जप का माहात्म्य और विधि – स्वामी चिन्मयानंद

एक ही विचार-बिन्दु पर मन को केंद्रित करने के अभ्यास को जप कहते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि हम किसी शब्द का उच्चारण करें और उसका वैचारिक रूप हमारे मस्तिष्क में न उदय हो अथवा वैचारिक रूप तो आये, किंतु नाम न आये। नाम और रूप के इसी सिद्वांत पर जप की प्रक्रिया टिकी है।

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सद्गुरु के समान कोई नहीं – श्री मुरारी बापू

गुरु की वाणी से, गुरु के आचरण से भगवान ही तो बोलता है, भगवान ही तो चलता है। ऐसा कोई संत मिल जाए तो फिर प्रभु मिले या न मिले, वो चिंता छोड़ दो।

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वास्तुशास्त्र का महत्त्व और योगदान

अर्थात् गृहनिर्माण की वह कला जो भवन में निवास कर्ताओं की विघ्नों, प्राकृतिक उत्पातों एवं उपद्रवों से रक्षा करती हैं। देवशिल्पी विश्वकर्मा द्वारा रचित इस भारतीय वास्तु शास्त्र का एकमात्र उद्देश्य यही है कि गृहस्वामी को भवन शुभफल दे, उसे पुत्र-पौत्रादि, सुख-समृद्धि प्रदान कर लक्ष्मी एवं वैभव को बढाने वाला हो।

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