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बरसात में प्राइवेट पार्ट रखें स्वच्छ

सब से पहले यह जान लेते हैं कि वजाइना (योनि) तकलीफ किस किस कारण से होती है। पहला कारण शरीर में हार्मोन के बढ़ना -घटना है। हार्मोन के बढ़ने -घटने से मासिक चक्र, बीमारी, मानसिक तनाव, अचानक आने वाला आघात, नए शारीरिक संबंध आदि अनेक कारण होते हैं। दूसरा कारण होता है एंटीबायोटिक दवाओं को लंबे समय तक लेते रहना। कैंसर, टीबी जैसी  बीमारी लग जाने पर या लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाएं खानी पड़ें तो इसका असर वजाइना पर पड़ता है। असुरक्षित सेक्स करने से वजाइना पर असर पड़ता है। गर्भधारण के दौरान अथवा प्रसव के बाद बच्चा स्तनपान कर रहा हो, तब भी वजाइना का स्वास्थ्य डिस्टर्ब होता है। 

ऐसा होना स्वाभाविक है। इनमें ज्यादातर गड़बड़ी ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली नहीं है। अगर बेचैनी सहन हो जाए तो कोई खास नुकसान नहीं होता है। जबकि कुछ समस्याएं ऐसी हैं, जिनके लिए तुरंत डाक्टर के पास जा कर उनका इलाज कराना जरूरी है।

 à¤²à¤•्षण दिखाई दे रहे हैं तो डाक्टर (गायनोकोलाॅजिस्ट) से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। अगर वजाइना में ये पांच लक्षण दिखाई दें तो जरा भी लापरवाही न करें। क्योंकि ये अपने-आप ठीक नहीं होते। आगे चल कर ये बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं। ये लक्षण हैं, शारीरिक संबंध बनाते समय वजाइना में खूब तेज दर्द होना। अगर ऐसा होता है तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। बाथरूम जाते समय (यूरीन करते समय) अगर तेज दर्द होता है तो तुरंत डाक्टर के पास जा कर अपनी इस समस्या का इलाज करा लेना चाहिए। अगर दो दिन से अधिक वजाइना में खुजली हो रही हो, वजाइना के बाहर का भाग लाल हो गया हो, वजाइना पर या उसके आसपास खुजलाने जैसे लाल निशान पड़ गए हों तो तुरंत डाक्टर के पास पहुंच जाएं और उन्हें पूरी बात बताएं। बहुत सी महिलाओं की वजाइना से गहरे रंग का सफेद रंग का पानी निकलता है, जो तेज बदबू करता है। अगर ऐसा है तो कोई देशी इलाज करने के बजाय तुरंत डाक्टर के पास जाएं। पेडू के नीचे अथवा वजाइना के अंदर के भाग में दर्द होने लगे तो भी तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। वजाइना के आसपास की त्वचा में जलन हो रही हो तो भी डाक्टर को दिखा लेना चाहिए।

ये पांच लक्षण किन कारणों से हो सकते हैं, यह भी जान लें तो कोई चिंता न रहे। यीस्ट इन्फेक्शन यानी खमीर संक्रमण। यह बहुत ही काॅमन इन्फेक्शन है। इसका कारण हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाना हो सकता है, गर्भधारण हो सकता है, बच्चा न हो, इसके लिए गर्भनिरोधक गोलियों को नियमित लेना भी हो सकता है, पीरियड्स भी हो सकते हैं, डायबिटीज हो सकती है, एचआईवी जैसे वायरस का संक्रमण हो सकता है, कभी-कभी जैसा नमी वाला वातावरण इस समय है, इस तरह का वातावरण भी कारण हो सकता है और वजाइना के आसपास खुजली करने के कारण हाथ की अंगुलियों या नाखून का इन्फेक्शन भी हो सकता है। 

दूसरा कारण होता है बैक्टीरियल वजाइनोसिस। घर की बड़ी-बूढ़ी या डाक्टर आते-जाते सलाह देते रहते हैं कि वजाइना के बाहर अथवा अंदर के हिस्से को कभी किसी चीज या रसायन का स्पर्श न कराएं। कपड़े से भी इस भाग को साफ न करें। इसका कारण यह है कि हर महिला की वजाइना में लेक्टोबाॅसिलाई नाम का बैक्टीरिया जरूर होता है। यह गुड बैक्टीरिया है, जो नुकसान करने वाले किसी अन्य बैक्टीरिया को वजाइना में विकसित नहीं होने देता। योनि में किसी तरह का नुकसान भी नहीं होने देता। अगर यह बैक्टीरिया कम हो जाता है तो वजाइना में होने वाले रिसाव के कारण अन्य बैक्टीरिया विकसित होते हैं अथवा त्वचा के अंदर रिसाव इकट्ठा हो कर जम जाता है। उसमें बैक्टीरिया विकसित होते हैं। इसकी वजह से सफेद गाढ़ा पानी डिस्चार्ज होता रहता है। उसमें से मछली जैसी गंध आती रहती है। 

शादीशुदा महिलाएं अथवा शारीरिक संबंध बनाने वाली युवतियों की वजाइना में सेक्स के कारण ट्रायकोमासिस वजाइनेलिस वैक्टेरिया आ जाते हैं। इससे उनकी वजाइना में जलन होती है, सूजन आ जाती है, बाथरूम जाते समय (यूरिन करते समय) दर्द होता है और वजाइना के अंदर के हिस्से में लालिमा आ जाती है। 

बरसात के मौसम में इन बातों का ख्याल रखें-

 à¤¬à¤°à¤¸à¤¾à¤¤ का मजा लेने के बाद भीगी अंडरवियर ज्यादा देर न पहनें

 à¤µà¤°à¥à¤•िंग वुमन के लिए मानसून इंटिमेट हाइजिन में भीगी पैंटी (अंडरवियर) सब से बड़ी समस्याओं में एक है। भीगे गारमेंट्स स्वास्थ्य को अनेक तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं। बरसात में कपड़े सुखाना बड़ी समस्या है। ड्रायर में कपड़े सूख तो जाते हैं, पर पूरी तरह नमी नहीं जाती। इससे उनमें कीटाणुओं का खतरा रहता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि बरसात के मौसम में इंटिमेट हाइजिन बहुत ज्यादा खतरा लाता है। बरसात के मौसम में जब वातावरण में नमी हो तो इंटिमेट हाइजिन के मामले में किनकिन बातों का ध्यान रखना है, जान लीजिए।

सफेद काॅटन का अंडरवियर पहनें

महिलाओं को अंडरवियर पसंद करते समय बहुत ही सावधानी रखनी चाहिए। काॅटन का सफेद अंडरवियर एक बेस्ट विकल्प साबित हो सकता है। काॅटन एक ऐसा फैब्रिक है, जो आपकी त्वचा को सूखी तथा ठंडी रखती है। काॅटन की अंडरवियर पहनने से वैक्टेरिया पैदा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसकी वजह यह है कि इसमें हवा आतीजाती रहती है, जिससे इसमें नमी नहीं रहती। इस अंडरवियर को बहुत ज्यादा माइल्ड डिटर्जेंट से धोना संभव न हो तो सभी कपड़ों से अलग धोएं।

एक्सरसाइज के बाद अंडरगारमेंट बदल दें

बरसात के सीजन में एक्सरसाइज के दौरान बहुत ज्यादा पसीना होता है। इसलिए एक्सरसाइज करने के बाद पहनी गई अंडरवियर और स्विमसूट को उतार कर वजाइना को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। जिससे किसी भी तरह का संक्रमण होने से रोका जा सके।

 à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤Ÿ पैंट या लेगिंग खतरनाक है

बहुत ज्यादा चुस्त (टाइट) अंडरवियर, पैंट्स या लेगिंग्स पहनने से बचना चाहिए। इसमें हवा कम आतीजाती है। जिससे गुप्तांग में पसीना होता है। अधिक पसीना और नमी की वजह से वैक्टेरिया अथवा यीस्ट पैदा हो सकता है। जिससे वजाइना में संक्रमण हो सकता है और स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ सकता है।

 à¤—ुनगुने पानी से सफाई करें

महिलाओं को अपने इंटिमेट एरिया को खूब माइल्ड साबुन तथा पानी अथवा मात्र गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ करना चाहिए। सुगंधित साबुन या जेल का उपयोग न करें। क्योंकि इसके रसायन से वजाइना का पीएच (पावर आफ हाइड्रोजन) बदल सकता है। जिसके कारण वहां वैक्टेरिया या यीस्ट पैदा हो कर समस्या बढ़ा सकते हैं। संभव हो तो तौलिया भी बदलते रहना चाहिए। क्योंकि नम या बारबार उपयोग में लाई गई टुवाल भी संक्रमण का स्रोत हो सकती है।

 à¤ªà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¡à¥à¤¸ में पैड्स बदलती रहें

बरसात के दौरान या सामान्य दिनों में भी समय समय पर सेनेटरी पैड्स बदलते रहना चाहिए। अगर लंबे समय तक सेनेटरी पैड नहीं बदला गया तो इससे त्वचा पर रेशिस हो सकते हैं और दुर्ग॔ध भी आ सकती है। सामान्य प्रवाह वाली महिलाओं को 6 से 8 घंटे में पैड बदलते रहना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान मेंस्टुअल कप अथवा टेम्पून का भी उपयोग किया जा सकता है।

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