Self Respect Story: शांति और भुवनेश्वर जी के दोनो बच्चे विदेश में रहते थे एक बार दोनों पति—पत्नी दिवाली पर वृद्धाश्रम गए,तब शांतिजी को वहाँ अपनी सहेली शांति भी दिखी। जिन्हें उनके एकलौते बेटे बहू ने घर से निकाल दिया था| अपनी सहेली शांति को शांति जी वृद्धाश्रम से अपने घर अपने साथ रहने के लिए लेकर आयी।
कुछ समय बाद शांति को पता चला कि उनको ब्लड कैंसर है और वो ज्यादा दिन जीवित नहीं रहेंगी तब उन्होंने दोनों से वादा लिया। उन्होंने भुवनेश्वर से कहा,”सुनिएजी,वादा कीजिए आप मेरी आखिरी इच्छा पूरी करेंगे ,मेरे ना रहने पर आप शांति को घर से नहीं जाने देंगे” और शांति तुम कभी ये घर और भुवनेश्वर को छोड़कर किसी के भी कहने पर कही नही जाओगी। आप दोनों मुझसे वादा करो। भुवनेश्वर जी रोते हुए कमरे से बाहर निकल गए तब शांति ने अपनी सहेली का हाथ पकड़कर कहा “देख शांति तू तो जानती है मेरे जाने के बाद भुवनेश्वर बिल्कुल अकेले हो जाएंगे|
बचपन जवानी तो हम अकेले भी काट लेते है क्योंकि बचपन मौज मस्ती और जवानी जिम्मेदारियों के बोझ तले कब गुजर जाती है पता ही नही चलता। लेकिन बुढ़ापे में हमें सबसे ज्यादा एक साथी के सहारे की जरूरत होती है। जिससे हम अपने पुराने दिनों की बातें और अपने मन की हर बात साझा कर सके। क्योंकि बुढ़ापे में हम हर चीज से मुक्त हो चुके होते है। तब बुढ़ा इंसान परिवार और समाज के लिए बोझ बन जाता है।जिसे ज्यादातर लोग सुनना पसंद नहीं करते। और मेरे बाद तू ही वो इंसान है जो भुवनेश्वर को अच्छी तरह से जानती है जिस पर मैं आंख बंद करके भरोसा कर सकती हूं।
और भुवनेश्वर के लिए तुझ से अच्छा साथी कोई और हो भी नहीं सकता। मैं तो उनकी जीवनसाथी होकर भी उनका साथ नही दे पायी। भगवान ने शायद हमारी किस्मत में यही तक हमारा साथ लिखा था लेकिन तु सच्चे दोस्त की तरह उनका साथ हरदम निभाना। वादा कर मुझ से वरना मरने के बाद भी मेरी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी ।”
शांति ने रोते हुए अपनी सहेली से वादा किया। ब्लड कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से पचास वर्ष की उम्र में ही हो गया।
तीन साल बाद इस बार गर्मी की छुट्टियों में घर आए दोनों बेटे बहुओं को शांति जी रास नहीं आ रही थी।
एक दिन सुबह छोटी बहू सुमन ने व्यंग मुस्कान भरते हुए कहा “भाभी ,मैं कमरे में चाय देकर आती हूँ लैला मजनू की जोड़ी को……क्योंकि वो दोनो साथ चाय पीते है ,कुछ समझी आप।” रश्मि भी इतना सुनकर बोलने में कहाँ पीछे रहने वाली थी? उसने तुरंत कहा “क्या कहा….तुमने साथ-साथ… कमरा ….. वाह भाई वाह अभी तक तो बाहर बरामदे में सबके सामने चाय पी जाती थी अब कमरे में ….हाँ भाई अपनी किस्मत कहाँ ऐसी है कि हम बैठ जाए और कोई हमारे लिए सुबह सुबह चाय बनाकर हमारे कमरे में लेकर लाए.. मुँह बोली सासुमां के तो दोनों हाथों में लड्डू है। कहने को बाबूजी और माँजी उनके बचपन के दोस्त है, लेकिन बाबूजी से सेवा का असली मजा तो वही ले रही है। खुद के बेटे बहू ने तो रखा नहीं यहाँ हमारे सिर पर बिठाकर खुद सासुमां स्वर्ग सिधार गयी”
बिना शादी के साथ मे रहना, साथ मे चाय पीना , क्या मजाल जो कभी चाय छूट जाए “ह्म्म्म” बुढ़ापे में दोनों लोग सठिया गए है? अब राम नाम जपने की उम्र हुई उनकी ……लेकिन अभी भी वही जवानी वाले रोमियो जूलियट वाले जोड़े के मिजाज है।
“अरे! अब ये सब अच्छा थोड़ी ना लगता है लेकिन समझाए कौन?पूरे समाज मे थू थू करा रखी है। अब इनको कौन समझाए ये अमरीका नही, मुझे तो लगता है आंटी के इसी खराब चरित्र की वजह से इनके पति ने भी इनको छोड़ कर दूसरी शादी कर ली थी “
“अच्छा,भाभी मैं चाय देकर आती हूँ लेकिन इस समस्या का समाधान हमें निकालना ही होगा है।” कहते हुए चाय ट्रे लेकर सुमन कमरे में जाती है। जहाँ शांति जी अपने चिरपरिचित अंदाज में नहा धोकर तैयार अपने कमरे की बालकनी में कुर्सी पर बैठी हुई थी
दरवाजे के खोलने की आवाज सुनकर शांति जी ने पलटकर देखा सुमन हाथ में चाय का ट्रे लिए खड़ी थी
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा “आओ,बहु!अंदर आ जाओ”
सुमन ने चारो तरफ नजरें घुमाई तो देखा ससुर जी वहाँ नहीं थे
“आंटीजी !बाबूजी की चाय ले जाती हूं वो तो यहाँ है नहीं”
तभी भुवनेश्वर जी ने पीछे से कमरे में दाखिल होते हुए कहा “मैं आ गया बहु !…..तुम चाय यही रहने दो … शांति जी अब आपकी तबियत कैसी है?”
सुमन ने ससुर जी की तरफ घूरते हुए देखा.. कुंठित मन से चेहरे पर मुस्कान लिए हुए उसने “जी बाबूजी”
कहकर कमरे से बाहर निकल गयी।
तभी उसके कानों में आवाज गयी “आपने रात की दवा क्यों नहीं खायी,अपना ख्याल रखा कीजिए ?”
रात को खाने की टेबल पर सब एक साथ बैठे थे तभी भवनेश्वर जी की नजर दोनो बेटों की तरफ गयी जो उन्हें गुस्से में घूर रहे थे। तभी वहां शांति जी टेबल पर सबके साथ बैठने आयी तो|
बहु रश्मि ने कहा,”आंटी आपको जरा भी शर्म नहीं आती।”
शांति सकपकाई हुई रश्मि की तरफ देखने लगी उनको समझ ही नही आया,कि आखिर हुआ क्या…और वो जवाब क्या दे?
तभी भुवनेश्वर ने कहा,”बहू ये क्या तरीका है बड़ो से बात करने का?”
“तो और कौन-से तरीके से बात की जाती है..आप ही बता दीजिए,पापा “बड़े बेटे रवि ने गुस्से में बोला
दोस्ती के नाम पर ऐसी छिछोरी हरकत करते हुए इस उम्र में आप दोनों को शर्म आनी चाहिए ।
बेटों की निगाहें और बहु की कही कड़वी बातों ने जैसे उनके कानों में जलते अंगारे डाल दिये।
“मतलब “
शांति जी ने कहा
गुस्से में दांतो को पिसते हुए हाथो की मुट्ठियों को भिजते हुए छोटे बेटे कवि ने चिल्लाते हुए कहा, “तो साफ साफ सुनिए….कब बंद होगा आप दोनो का ये दोस्ती वाला नाटक,हमारे घर से और जीवन से निकलने का आप क्या लेंगी?
“कौनसा नाटक और कैसा नाटक..तुम सब आज कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हो”?
रश्मि ने कहा,”अरे कुछ तो शर्म कीजिए, अपनी उम्र का हमे कहने में शर्म आ रही है,और आप है कि नाटक किये जा रही है। “
बेटे बहू प्रश्नों के तीर एक के बाद एक भुवनेश्वर शांति पर छोड़े जा रहे थे उनका दूसरे प्रश्न का तीर हर बार पहले तीर से ज्यादा घातक होता जा रहा था। आज भुवनेशवर और शांति के लिए ऐसे प्रश्नों के तीरो की चुभन से बचना नामुमकिन हो रहा था।
तभी दोनो बेटों ने चिल्ला के एक साथ बोला ,” कान खोलकर सुन लो!आप दोनों….हम सब आज आखिरी बार प्यार से बोल रहे है….. अपने कदम रोक लीजिए और अगर आपको हमारी बात समझ नहींं आयी तो हमें दूसरा तरीका भी आता है समझाने का,हमें वो करने पर मजबूर मत कीजिये “
बेटों के तेवर देखकर चुपचाप बैठे भुवनेश्वर भी आज गुस्से में बोल पड़े ,”चीखों मत….तुम भूल गए हो तो,मैं तुम्हे याद दिला दूँ मैं तुम्हारा बाप हुँ तुम मेरे नहीं…इसलिए तमीज से बात करना ….आखिर क्या समझना हैं हमें और क्यों?मैं आज तुम्हारा दूसरा तरीका भी जानना चाहूंगा। क्योंकि अगर बात निकली ही है तो पूरी भी होनी चाहिए। अब तुम मुझे समझाओगे ,कि मुझे किसके साथ और कैसे रहना है?
बहुओं ने चिल्लाते हुए कहा,” तो साफ साफ सुनिए। आंटी को बोलिए हमारा घर छोड़कर चली जाए,क्योंकि आप दोनो की इज्जत तो बची नही,लेकिन कम से कम हमारी इज्जत तो समाज मे बने रहने दीजिए। इनकी वजह से हम वो तो नहीं खराब कर सकते,वैसे भी सासुमां इनको यहाँ लेकर आयी थी और वो अब रही नहीं तो इनकी भी इस घर मे रहने कोई जरूरत नही।”
तभी रवि ने कहा”अगर आपको हमारी शर्त नहीं मंजूर तो आप भी इनके साथ जा सकते है। वैसे भी हम इस घर को बेचने वाले है।”
इतना सुनते शांति जी की आंखों से झरझर आंसू गिरने लगे।