भारत इतिहास, रहस्यों और कई संस्कृतियों को अपने में संजोए है। यहां के हर राज्य की अपनी अलग विशेषताएं हैं और हर राज्य में छिपे हैं इतिहास से जुड़े अचरज में डाल देने वाले राज। ऐसा ही अनोखा रहस्य अपने में समेटे है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। नैनीताल से करीब 170 किलोमीटर दूर स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर एक बार आप देखेंगे तो यह अनोखा अनुभव कभी भूल नहीं पाएंगे। समुद्र तट से करीब 90 फीट नीचे 160 मीटर लंबी इस लाइमस्टोन गुफा से कई पौराणिक कहानियां और आस्था जुड़ी हैं।  

स्कंद पुराण में है महिमा का वर्णन

कहा जाता है कि यह गुफा कभी देवताओं का घर था।
स्कंद पुराण में है महिमा का वर्णन

चारों ओर से ऊंचे ऊंचे पेड़ों और वादियों से घिरी यह गुफा अपने आप में अनोखी है। कहा जाता है कि यह गुफा कभी देवताओं का घर था। यहां सभी देवतागण भगवान शिव की पूजा करते थे। मान्यता के अनुसार मंदिर में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया है। माना जाता है कि गुफा में ​स्थापित शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। मान्यता के अनुसार जब यह गुफा की छत को छू लेगा, तब दुनिया का अंत होगा। इतना ही नहीं यहां आपको एक ही जगह पर चार धामों के दर्शन का लाभ मिलता है। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर की महिमा का वर्णन है।

गुफा से जुड़ी हैं ये मान्यता

इस गुफा और इसमें बने मंदिर से कई कहानियां और लोक कथाएं जुड़ी हैं। माना जाता है कि इस गुफा और इसमें बने मंदिर की खोज त्रेता युग में राजा ऋतुपर्णा ने की थी। यह भी कहा जाता है कि वे पहले इंसान थे जिसने इसे खोजा। यहां पहुंचने के बाद उन्हें नागों के राजा अधिशेष मिले। माना जाता है कि अधिशेष ही राजा ऋतुपर्णा को गुफा के अंदर लेकर गए थे। इसके बाद द्वापर युग में पांडवों ने इस गुफा को फिर से खोजा। साथ ही यहां  भगवान शिव की पूजा की। कहा जाता है कि कलियुग में आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने इस गुफा को फिर से ढूढा।

संकरे रास्ते के अंदर बसा है अनोखा संसार

इस गुफा में प्रवेश के लिए एक बहुत ही संकरा रास्ता है। लेकिन गुफा के अंदर आपको ऐसा बहुत कुछ देखने को मिलेगा, जिसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे। कहीं चट्टानों से पानी गिरता दिखता है, तो हीं जमीन पर पानी बहता नजर आता है। गुफा की काली दीवारों पर सफेद जटाओं सी आकृतियां आपका मन मोह लेंगी। इस संकरे रास्ते से आप जैसे ही अंदर पहुंचेंगे आपको एक बड़ा से स्पेस नजर आएगा। गुफा में प्रवेश करते ही आपको चट्टान पर हाथी के 100 पैरों जैसी आकृति नजर आएगी। गुफा में शेषनाग का फन भी है। माना जाता है कि इसी पर पूरी धरती टिकी है। हैरानी की बात तो यह है कि जमीन के इतने नीचे होने के बावजूद आपको यहां घुटन महसूस नहीं होती, बल्कि शांति का एहसास होता है। माना जाता है कि इस मंदिर में चार द्वार हैं, जिन्हें रण द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार नाम दिया गया है। माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार बंद हो गया था। वहीं कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रण द्वार बंद हुआ। इस बार समर हॉलीडे में आप यहां आने का प्लान बना सकते हैं।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...

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