दोनों मिलकर अंडों की रक्षा के बारे में सोचने लगे। उन्होंने मम्मी को भी इस बारे में बताया। यह सुन कर मां को एक उपाय सूझा। उसने घर में रखे तार को शू रैक से इस तरह लपेटा कि कबूतर आसानी से अंडों तक पहुंच जाए लेकिन बिलौटा लाख कोशिश करने पर भी अंडों तक न पहुंच पाए।
कुछ दिन बाद अंडों से छोटे-छोटे चूजे भी निकल आए। रिशु काफी खुश था। मगर एक दिन जब रिशु स्कूल से आया तो उसे चूजे नहीं मिले। वह डर गया, उसने सोचा आखिर बिलौटे ने उनका शिकार कर ही लिया।
तभी उसने देखा कि कबूतर दोनों बच्चों को लेकर पेड़ पर बैठा था। वह उदास हो गया। फिर मां ने उसे समझाया कि उदास होने की बात नहीं है, कबूतर ने दोनों बच्चों को अब उडऩा सिखा दिया है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। मां ने पम्मी और रिशु को उनके नेक काम के लिए बधाई दी, साथ में हमेशा जीव-जंतुओं की रक्षा करने की सीख भी दी।
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