प्रेम की भाषा: Prem Kahani
Prem ki Bhasha

Prem Kahani: प्रेरणा टहलती हुई अपनी फ्रेड अनन्या से बात कर रही थी। उसके  साथ उसका पालतू कुत्ता (रोबिन)भी टहल रहा था।अचानक से एक कबूतर उसके पैरों के पास की कुछ दूरी पर आ गिरा, एका एक वह सकपका गई। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ था , उसके घर की छत बहुत बड़ी है ,ऐसा कई बार हुआ ,लेकिन उस समय  प्रेरणा के पास राॅबिन(कुत्ता) नही था। अब उसके पास राॅबिन है, उसे लगा कहीं राॅबिन ने उस कबूतर को नुकसान न पहुँचाया हो।

प्रेरणा ने उस कबूतर को उठाने की कोशिश की,लेकिन वह उसके हाथों की ग्रिप से निकल कर इधर-उधर होने लगा।छोटी -छोटी उडान तो वह भर रहा था, लेकिन जरा सा उड़ते ही वह बैठ जाता। 

प्रेरणा के साथ-साथ रॉबिन भी उसको पकड़ना चाह रहा था, प्रेरणा कबूतर को रॉबिन से बचाने की कोशिश कर रही थी। प्रेरणा को  डर था कहीं रॉबिन कबूतर को खा न जाए।बहुत कोशिश के बाद कबूतर प्रेरणा की पकड़ में आ गया। प्रेरणा ने कबूतर को प्यार से सहला कर उसका एग्जामिन किया, उसे कोई जख्म नजर नहीं आया। प्रेरणा कुछ देर कबूतर को प्यार से सहलाती रही। प्रेरणा ने महसूस किया कि उसके हाथ फेरने से कबूतर की छटपटाहट कुछ कम हुई।

      यह सोच, हो सकता है कबूतर को कोई अंदरूनी चोट हो, कबूतर को  सेफ करने के लिए एक बड़े से पिंजरे में उसे रखा, साथ में एक बर्तन में पानी, एक बर्तन में बाजरा रख कर, पिंजरा बंद कर दिया। राॅबिन प्रेरणा की सारी गतिविधियाँ बड़े ध्यान से देख रहा था। उचक-उचक कर कुछ समझने की कोशिश कर रहा था।उस समय घर में राॅबिन के साथ प्रेरणा अकेली थी,यह सोच कर, सुबह देखती हूँ, सीढियों से नीचे उतर आई, उसके साथ- साथ रॉबिन भी उतर आया।

प्रेरणा को रात भर चैन से नींद नहीं आई। उसकी आँखो के सामने वह कबूतर घूम रहा था, सोच रही थी, पता नहीं कबूतर को चोट कहाँ लगी ,वह उड़ नहीं पा रहा है।कहीं रात में वह कबूतर मर गया तो? 

सुबह के पाँच बजते ही प्रेरणा ने झट-पट बिस्तर छोड़ा और सीधे छत पर पहुँच गई,उसके पीछे-पीछे रॉबिन भी आ गया। देखा ,वह कबूतर पिंजरे में इधर-उधर टहल रहा था, यह देख प्रेरणा के हृदय को कुछ चैन आया। पिंजरा काफी बड़ा था, उस कबूतर को स्पेस मिल रही थी।

प्रेरणा  ने पिंजरा खोल कर, कबूतर को निकालना चाहा, लेकिन कबूतर उसके हाथ बढ़ाने पर और पीछे सरक जाता,ऐसा कई बार होता रहा, प्रेरणा को  लगा कि अभी भी कबूतर उससे डर रहा है। प्रेरणा ने कबूतर को पुचकारा और पिंजरा खोल कर साईड हो गई, देखा कबूतर फटाफट निकल कर ,ऊँची उड़ान भरता हुआ उड़ गया।

कबूतर को उड़ता हुआ देख , प्रेरणा के दिल को बहुत तसल्ली हुई,वह  बहुत खुश थी, सोचा- –  वह कबूतर चोट खाया था,रात में उसको कुछ आराम मिला होगा, अब वह उड़ पाने की स्तिथि में होगा- इसलिए वह उड़ गया..,चलो अच्छा हुआ, वर्ना कोई बिल्ली या राॅबिन ही उसे खा जाता।

हालाँकि राॅबिन से तो उसने बचा लिया था, यह सोचती -सोचती वह सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गई।

शाम के समय प्रेरणा किचन में काम कर रही थी ,देखती क्या है- रॉबिन छत पर गया है,( दरवाजा खुला रहने के कारण, राॅबिन अक्सर छत पर चला जाया करता था) कुछ  समय बाद वह वापिस आया तो उसके मुँह में कबूतर था।

एक बार को प्रेरणा शाॅक्ड रह गई ,उसे लगा रॉबिन- -उस कबूतर को फिर पकड़ लाया, राॅबिन ने तो इस कबूतर को दाँतों से दबा कर मार दिया होगा।

प्रेरणा ने गुस्से से कहा- -राॅबिन- –  यह क्या है?

लेकिन ऐसा नहीं था, वह इस तरह पकड़ कर लाया जैसे जानवर ,नये पैदा हुए बच्चे को उठाते हैं,राॅबिन ने कबूतर को प्रेरणा के पैरों के करीब छोड़ कर, प्रेरणा की शक्ल देखने लगा, जैसे कुछ कहना चाह रहा हो। 

 प्रेरणा ने ध्यान से देखा, और उसे समझते देर नहीं लगी, उसने देखा यह दूसरा कबूतर है और मांझें से उलझा है और उड़ने की स्तिथी में नहीं है। यह देख उसे सारा माजरा समझ आ गया। राॅबिन छत पर गया था ,वहाँ यह कबूतर इस हालत में देख ,राॅबिन अपने मुंह में दबाकर उसके पास ले आया।

पक्षी को प्यार समझते देर नहीं लगती, राॅबिन प्रेरणा के पास कबूतर को बचाने लाया था, उसने प्रेरणा को कबूतर की सेवा करते देखा था, उसने कबूतर की जान बचाई थी, राॅबिन का प्रेरणा  को ईशारा था कि अब इसे भी बचाओ!!

उसने कबूतर को हाथ में थाम कर धीरे-धीरे माँझा हटाया, देखने पर उसे कोई चोट नजर नहीं आई,माँझा हटाते ही कबूतर एक्टिव हो गया,प्रेरणा ने कबूतर को पुचकार कर कहा, “चल जी ले अपनी जिंदगी”उसे उड़ने के लिए छत पर छोड़ कर आजाद कर दिया। वह कबूतर उड़ान भर अपनी मंजिल की ओर चला गया।

 जानवर भी प्रेम की भाषा समझते हैं।बेशक जानवर या पक्षी, हमारी भाषा न बोलते हों, लेकिन संवेदनाएं तो मानव जैसी है।जानवर और पक्षी भी खुश और दु:खी होते हैं।वह बोल नहीं सकते ,लेकिन उनमें भी मनुष्य की तरह दर्द, भावनाएं, प्यार होता है।वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते,जब खतरा महसूस करते हैं.. ,तो हिंसक हो जाते हैं।

कुत्ते भी इंसानो की तरह औरों का दु:ख दर्द महसूस करते हैं,वह किसी तरह की कोई मदद  नहीं कर सकते,लेकिन अहसास दिला देते हैं, वह अपने मालिक के ईशारे समझते हैं।

वह कबूतर एक ही रात पिंजरे में रह कर प्रेरणा को अपना सा लगने लगा,उसकी जब इच्छा होती ,वह पिंजरे पर आ कर बैठ जाता,और रोबिन तो उसका दोस्त बन चुका था।

जिस प्रकार हम इंसानो को प्रेम की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार पशु पक्षी  भी प्रेम की भाषा समझते  हैं और वो इंसान द्वारा किये जाने वाले प्रेम आसानी से पहचान लेते हैं।वह निस्वार्थ प्रेम करते हैं। सही और गलत का फर्क जानवर भी जानते हैं वह अलग बात है कि यह बोलकर समझा नहीं सकते।जानवर ऐसा जीव है जो सिर्फ और सिर्फ प्यार ढूँढता है जानवर मनुष्य की तरह बोल नहीं सकते ,लेकिन समझने में सक्षम हैं।

हम अपने प्यार और स्नेह से मनुष्य ही नहीं ,जानवर को भी अपना बना सकते हैं। प्रेरणा अपने आप में इस नेक काम से खुश थी,उसने दो कबूतरों की जान बचाई।

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