जीते जी-गृहलक्ष्मी की कहानियां: Life Lesson Story
Jeete Jee

Life Lesson Story: आज रामसहाय की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। उसकी पत्नी की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। वह अपनी पत्नी कान्ति के गुणों का बखान कर बहुत तेज रो रहा था। 
वह ऐसी थी उसके रहते हुए मुझे कभी किसी बात की चिंता नहीं थी । उसने अपने जीवन में मुझसे कई गुना अधिक जिम्मेदारियां उठाई, सबकी सेवा की, बच्चों का खयाल रखा, घर परिवार सबको संभाला। मैं उसके बिना आज कुछ भी नहीं हूं। वो मुझे भी अपने साथ ले जाती तो अच्छा होता।
अब हम सबका क्या होगा ?
इतने में कान्ति की जेठानी आई और रामसहाय को ऐसे रोता देख बोली, ” देवरजी अब आपको रोने की बिलकुल भी जरूरत नहीं।
और न ही कान्ति के बारे में कुछ कहने की जरूरत है।

क्योंकि यही बात आपने कांति के जीते जी उससे कही होती तो शायद वह दिल के दौर से नहीं मरती, अभी तो वह बहुत साल जीती। लेकिन आप हमेशा इधर-उधर के आकर्षण में भागते रहे। और आपने  कभी उसकी कद्र नहीं की।
यह सुनते ही रामसहाय की आंखों के आसूं सूख गए। और उसका हृदय आत्मगिलानी से भर गया। वह मन ही मन सोचने लगा। सचमुच मैंने कान्ति के जीते जी उसे सुख दिया होता उससे मीठे दो बोल बोले होते उसे वह खुशी दी होती जिसकी वह हकदार थी उससे  कहा होता मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं। तुम कितना काम करती हो । तुमने ही तो सब संभाल रखा है तो शायद वह अभी नहीं मरती। 

लेकिन मैं इन सब बातों की बजाए अन्य आकर्षणों की तरफ भागता रहा । मैं कितना गलत था। आज उसके पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचा था।

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