Hindi Social Story: आज सरला बहुत खुश है, उसके प्यारे बेटे अमित के लिए बहुत अच्छे घर से रिश्ता आया है,लड़की पढ़ी लिखी और सुदंर है,परिवार भी सभ्य और प्रतिष्ठित है|पिछले साल जब बेटे की जॉब लगी.तभी से वह उसके लिए एक अच्छा रिश्ता ढूंढ रही थी, इकलौता बेटा है उसका, वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है, उसने पंडित जी से साफ कह दिया, ‘पंडित जी हमें कुछ नहीं चाहिए बस लड़की संस्कारी हो, एक ही तो बेटा है मेरा, सारी उम्मीद उसी से है|
पंडित जी ने अमीषा की फोटो दिखाई, जिसे देखकर वह बहुत खुश हो गई थी, अमित को भी अमीषा की बड़ी- बड़ी आंखें भा गईं थीं, बात आगे बढ़ी, मिलना- मिलाना हुआ, अमीषा शांत थी, बहुत कम बोल रही थी, ज्यादातर बात उसके माता पिता ही कर रहे थे, उसे कुछ अजीब लगा, उसके पति रमेश ने उसे समझाया तुम ज्यादा सोच रही हो, उसे लगा शायद ऐसा ही है, अमित और अमीषा में काफी देर तक बात हुई, उसने बेटे को हंसते हुए आते देखा, लड़की भी मुस्कुरा रही थी,उसने इशारे से पूछा तो बेटे ने हामी भर दी, अब वो खुश थी, सब अच्छी तरह हो गया, वह जैसी बहू चाहती थी आखिरकार उसके घर वैसी ही बहू आ रही थी,
सरला शादी की तैयारियों में जुट गई, एक एक चीज उसने अपने मन से खरीदी, रमेश उसे चिढ़ाते,’तुमको तो अमित से ज्यादा बहु का इंतजार है,
हाँ, क्यों न हो, आखिर मेरी बहू नही, सहेली आ रही हैं, तुमको तो अपने काम से फुरसत नहीं, मैं तो अपनी बहू के साथ शापिंग करूंगी,
रमेश हंस पड़े, वो बड़बड़ाते हुए किचन में चली गई,
शादी के कार्ड छप कर आ गए, बहुत सुंदर बने थे, उसने बेटे को दिखाया, उसने कहा ‘ मेरी माँ की पंसद सबसे अच्छी है,
शाम को अमित ने दबी आवाज़ में कहा ‘माँ कार्ड नये छपवा लेते हैं, उसने चौंक कर पूछा, लेकिन क्यों, क्या हुआ?
‘माँ अमीषा को कार्ड पंसद नहीं आये, वो कह रही है कि ये ऑल्ड फैशन है,
‘अच्छा ऐसी बात है तो बदल देते हैं’ सरला को कुछ और कह नही पायी,
उसने बेटे के चेहरे पर अनमने भाव देखें, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था,
जैसे जैसे शादी का दिन नजदीक आ रहा था, वैसे वैसे उसका उत्साह बढ़ रहा था, वो दिन में भी सपने देख रही थी, अचानक उसने नॉटिस किया अमित कुछ बुझा सा है, पहले की तरह चंचल नहीं रहा, उसका मन आशंकित हो गया, आजकल का समय हमारे समय जैसा नहीं रहा कहीं कोई बात तो नहीं, उसने अमित से पूछा, ‘तुम्हारे और अमीषा के बीच सब ठीक तो है हाँ माँ सब ठीक है,
नहीं, कुछ तो है, देखो मुझसे मत छुपाओ, सरला ने बेटे का हाथ पकड़ते हुए कहा,
अमित रूआंसा होकर बोला’ वैसे तो सब ठीक है लेकिन कभी बिना बात के नाराज हो जाती है, कभी छोटी सी बात पर बहस करती है, मुझे समझ नहीं आता कि आखिर उसका स्वभाव कैसा है,
ऐसा सुनकर उसका मन बैठ गया, ‘ये तुम क्या कह रहे हो बेटा,
कभी तो मुझे लगता है कि मैं उसके साथ निभा भी पाऊंगा या नहीं, अमित उसकी ओर देखते हुए बोला, शायद कोई सहारा चाहता था,,
‘लेकिन बेटा सारी तैयारियां हो गई, कार्ड बट गए, उसने बूझे मन से कहा,
देखो बेटा, दो अलग लोग अलग सोच के होते हैं कभी कभार उनमें विचारों का मेल नहीं होता,
आजकल के जमाने में फिर भी मिलना जुलना होता है, मैंने तो तुम्हारी माँ से शादी के दिन ही बात की थी, रमेश बोले,
जी पापा, आप ठीक कहते हो, लेकिन बस मुझे अमीषा का नेचर समझ नहीं आता, उसका मुड कभी भी उखड़ जाता है, अमित जमीन की ओर देखते हुए बोला,
अगर ऐसा है तो रिश्ते के लिए न कह दो, अभी कुछ नहीं बिगड़ा है, जिदंगी तुम्हारी है, फैसला तुम्हारा है, रमेश चितिंत होकर बोले,
उसने कहा था, रिश्तेदार क्या कहेगें, सारी तैयारी हो गई, मै बहू से बात करती हूँ,
उसने बहू को फोन लगाया, वह बडे़ नार्मल होकर बात कर रही थी, उसने उल्टा अमित की शिकायत की, देखो मम्मी जी ये मेरी बात नहीं मानता’
समधी, समधन से भी बात हुई, उसने बेटे को समझाते हुए कहा, बेटा मुझे तो सब ठीक लग रहा, आजकल के बच्चे भी अजीब है इनके अंदर सहनशक्ति नहीं है, अमित कुछ नहीं बोला, लेकिन सरला ने उसके चेहरे पर बेचारगी के भाव देखें थे,
शादी धुमधाम से हो गई, उसने बडे़ उत्साह से बहू का स्वागत किया, लेकिन उसका मुड उखड़ा हुआ था, सरला बहू से जी भर बातें करने के लिए तरस रही थी, लेकिन बहू सारा दिन अपने कमरे में बंद रहती, अमित के चेहरे पर वो खुशी नहीं थी, अगले दिन अमित और बहू गोवा घुमने चले गए, उसका मन शांत हुआ, कि शायद अब सब ठीक होगा, एक महीने बाद दोनों घर लौटे, बहू सीधे कमरे में चली गई, थोड़ी देर में दोनों के लड़ने की आवाज़ आने लगी, वो घबरा कर उनके कमरे में गई उसने देखा बहू सामन पैक कर रही है उसने कहा अभी तो आये होअब कहाँ जा रही हो बेटा,,
मैं अपने घर जा रही हूँ, मैंने इससे 20 हजार ही तो मांगे, मुझे शापिंग करनी है लेकिन इसने मुझे मना कर दिया,’ उसने अमित की ओर देखा, अमित रूआंसा होकर बोला, माँ गोवा में इतना पैसा खर्च हो गया है कहाँ से दूं,
देखो बेटा, सही तो कह रहा अमित, तुम थोड़ा रूक जाओ,
नहीं, कभी नहीं, अगर ये मेरा खर्चा नही उठा सकता था तो इसने शादी क्यों की,, मैं इसके साथ नहीं रह सकती, अमीषा दनदनाते हुएघर से निकल गई, अमित सिर पकड़ कर बैठ गया, वो असहाय महसूस कर रही थी,
रमेश ने बहू के पिता को फोन किया, उन्होंने साफ कह दिया गलती अमित की है, हमारी बेटी जो कहेगी वही होगा, ज्यादा कहोगे तो दहेज एक्ट लगा देगें, वो ऐसा जवाब सुनकर सन्न रह गए,
बहू एक हफ्ते बाद सारा सामान ले गई, कॉर्ट में केस चल रहा है, अमित ने कितनी कोशिश की, लेकिन अब रिश्ता नहीं बचाया जा सकता हैं, बेटे को दुखी और पति को परेशान देखकर उसका मन रोता है, किसी तरह इस से उबर पाये यही प्रार्थना करती है, काश, उसने सही समय पर सही फैसला लिया होता, जबकि उसके बेटे ने अपनी समस्या बता दी थी,
आये दिन अखबार में ऐसी खबरें पढ़कर उसका मन बैठ जाता, जहाँ दहेज के झूठे केस से परेशान होकर लड़के डिप्रेशन में आ जाते, या आत्महत्या कर लेते हैं. मोहल्ले वाले और रिश्तेदार भी उन्हीं को शक की नज़र से देख रहे थे, इतने सालों का उनका व्यवहार मेल – जोल कोई मायने नहीं रखता था, उन्होंने सबका साथ दिया था,लेकिन आज उनको ही दोषी माना जा रहा है,उसने सोच लिया था कि वह अपने बेटे को इंसाफ दिला कर रहेगी. भले ही समाज और कानून अक्सर लड़कियों को ही सताया हुआ समझ लेते हैं, वो अपने बेटे को इस तरह टूटने नहीं देगी. उसने अमित को अपनी सारी योजना बतायी, वो अपनी माँ की बात सुनकर चौंक गया,’ माँ क्या यह प्लान काम करेगा, अमीषा और उसके माता पिता बहुत होशियार है’
जरूर काम करेगा बेटा, बस तू वैसा ही कर, जैसा मैं कहती हूँ,
अमित ने अमीषा को फोन लगाया और कहा एक बार मिल लो, तुम्हारे ही लाभ की बात है, उसने हंसते हुए जवाब दिया, हाँ, जरूर, भला मुझे क्या दिक्कत है, वैसे भी तुम बचने वाले नहीं,
शाम को दोनों एक कॉफी शॉप में मिले, अमीषा कुटिल मुसकान से हंसी, ‘देखा आखिरकार तुम मेरे पास गिड़गड़ाने आ ही गए, सारे कानून मेरे हक में है,
देखो, मेरे माँ पिताजी परेशान है मै बात को ज्यादा नहीं खींचना चाहता, तुम्हें जो चाहिए बताओ, कोर्ट के बाहर ही समझौता कर लो, केस चलेगा तो सालों तक चलेगा,
ओह, अच्छा, ये तुमने समझदारी दिखाई, ठीक है मेरे नाम पर अपनी जमीन कर दो, और 25 लाख दो, अमीषा बेशर्म होकर बोली,
अमित ने कहा ‘ ठीक है’
अगले हफ्ते कोर्ट में पेशी हुई अमीषा और उसके माँ पिताजी ने उन पर फिर से आरोप लगाये, लेकिन जब वकील ने अमीषा की विडियो कोर्ट को दिखाई तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई वो रो- रो कर कहने लगी मेरे खिलाफ इन्होंने साजिश की है, लेकिन अदालत सबुत मांगती है जो साफ दिख रहा था कि कौन ब्लैकमेल कर रहा है, अदालत ने अमित के पक्ष में फैसला किया और नये सिरे से केस ऑपन करने का आदेश दिया, विडियो का संज्ञान लेते हुए पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए, अब उन्हें न्याय की उम्मीद थी, सबसे बड़ी बात अमित के चेहरे पर चमक थी, जैसे उसे एक नयी जिदंगी मिल गई थी, उधर अमीषा और उसके माता पिता के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था, जैसे यकीन न हो रहा हो कि पाशा कैसे पलट गया, रिश्ता टूटा और इज्जत भी चली गई,सरला बहु के पास आयी और कहा, काश! तुम मेरी बहु बनकर रहती,तो बेटी का सुख पाती,हम तुझे पलकों में बैठा कर रखते, लेकिन तुम ने ख़ुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार दी, अब भुगतों, अमीषा के चेहरे पर कुढ़न, गुस्सा, बेचारगी हर तरह के भाव आ – जा रहे थे,
दरअसल दोनों के मिलने से पहले ही सरला ने मोबाइल को मेज में रखे टीशू पेपर के बॉक्स में छुपा कर इस तरह रख दिया था कि उनकी पूरी विडियो बन गई, अपनी होशियारी पर अंधी अमीषा को पता भी नहीं चला,
रमेश अपनी पत्नी की समझदारी से बहुत खुश था, उसने अपने परिवार को इतनी बड़ी मुसीबत से निकाल लिया था,
सरला सोच रही थी कि दोषी कौन है अमीषा, या उसके माता पिता,या समाज की सोच, जो एक बंधी बंधायी सोच से बाहर नहीं निकल पाती, अन्याय तो किसी के साथ भी हो सकता है, फिर न्याय के लिए क्या पुरुष क्या महिला, उसे विश्वास है समाज ऐसे मामलों में लड़कों के प्रति भी संवेदनशील होगा
