तुम्हारे जैसी-गृहलक्ष्मी की कहानियां
Tumhari Jesi

Hindi Kahani: राहुल ने बहुत मुश्किल से अपने पिता अमित को अपनी शादी प्रीति से करने के लिए मनाया था। अमित जात पात को लेकर थोड़ा बहुत दकियानूसी थे। वह अग्रवाल परिवार से है और लड़की पंजाबी परिवार की थी। अमित इसी बात पर अड़े थे कि अग्रवालों में ही शादी करेंगे। राहुल की ज़िद और पत्नी के समझाने पर उसने लड़की के बारे में सोचने के लिए जबर्दस्ती हां कर दी थी। खुश होकर राहुल ने अमित के सामने एक लिफ़ाफ़ा रखा जिसमें प्रीति की फ़ोटो और बायोडाटा था। “आप यह देख लीजिए पापा फिर हम लोग बाद में बात करेंगे”।
राहुल ने कह तो दिया पर मन ही मन उसको पूरा डर था कि अमित मना कर देंगे। राहुल के जाने के बाद अमित ने लिफ़ाफ़ा खोला और प्रीति की जैसे ही तस्वीर निकाली वह एकटक उसकी फोटो देखता रहा और उसके मुंह से निकला “स्वाति”। कुछ सेकंड बाद हड़बड़ा कर प्रीति का बायोडाटा निकालता है और उसकी मां का नाम पढ़ता है। मां का नाम स्वाति अग्रवाल अरोड़ा पढ़ते ही वह उनकी पढ़ाई देखता है- बीकॉम दिल्ली कॉलेज। यह सब देखते और पढ़ते ही अमित दिए हुए फोन नंबर पर कॉल करता है (शायद वो वहां किसी की आवाज़ सुनना चाहता था) लेकिन वहां कोई फोन नहीं उठाता। अमित फोन काट देता है। वह दोबारा से फोटो देखने लगता है और उसकी आंखों में पानी आ जाता है। अमित मन ही मन बड़बड़ाता है “प्रीति स्वाति की बेटी है! स्वाति…
कुछ देर बाद अमित राहुल को बुलाता है और खुशी-खुशी हां कर देता है, “अगले रविवार प्रीति और उसके परिवार को खाने पर बुला लो”। राहुल और उसकी मां दोनों चौंक जाते हैं कि बिना कुछ कहे अमित ने एक ही बार में खुशी-खुशी कैसे हां कर दी। उनके कमरे से जाने के बाद अमित अपने बचपन के दोस्त अजय से शाम को मिलने के लिए कहता है।

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शाम को जब दोनों मिलते हैं तो अमित अजय से कहता है, “ मैंने राहुल को प्रीति के लिए हां कर दी”। “ क्या बात कर रहा है यार, बहुत बढ़िया! पर तू तो जात पात….अजय की बात बीच में काटते हुए अमित कहता है, “ वह स्वाति की बेटी है”। अजय अमित को चौंक कर देखता है, “स्वाति की बेटी, तेरा पहला प्यार?” फिर अजय उन दिनों की बात शुरू करता है…
“मुझे आज भी सब याद है। काॅलेज में क्लास शुरू हुए कुछ महीने बीत गए थे। एक दिन सर ने सबको प्रोजेक्ट दिया था जो चार लोगों के ग्रुप में करना था। स्वाति और अमन हमारे ग्रुप में थे। हम चारों ने प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। अक्सर हम लोग कॉलेज की कैंटीन में काम करते थे। नोट्स और बाकी की चीज़ें शेयर करते-करते तू और स्वाति कब एक दूसरे को पसंद करने लगे यह तुम दोनों को शायद पता ही नहीं चला था। मुझे और अमन को तो यह बात कुछ ही दिन में समझ आ गई थी। तू और स्वाति काम के बहाने मिलने लगे थे। धीरे-धीरे पूरे कॉलेज में यह बात करीब करीब सबको पता लग गई थी। हम लोग तो बहुत खुश थे कि तुम लोगों को अपना पहला प्यार आसानी से मिल जाएगा। दोनों अच्छे पढ़े-लिखे, खूबसूरत और सबसे बड़ी बात दोनों ही अग्रवाल परिवार के थे। न होने की तो कोई सूरत दिखती ही नहीं थी।
पर न जाने किसकी नज़र लग गई थी कि तुम दोनों का पहला प्यार अधूरा रह गया।
स्वाति की मां की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी। अपने पिता के अकेलेपन का वह बस एक ही सहारा थी। वह अपने पिता को अकेला नहीं छोड़ सकती थी और दूसरी तरफ तुम्हारे माता-पिता उससे सिर्फ़ बहू बनने की उम्मीद रखते थे। वह पिता को अकेला छोड़ नहीं पाई और तू भी तो कोई ठोस कदम नहीं ले पाया। आखिरकार तेरी मां ने तेरी शादी कहीं और कर दी।
स्वाति अकेले अपने पिता का ध्यान रखती रही। कुछ दिनों बाद जब उसके पिता बीमार पड़े तो उसने उनका इलाज सिटी हॉस्पिटल में कराया। कुछ साल बाद तुम लोग शहर छोड़ गए। यहां तक तो तू जानता है लेकिन तू यह नहीं जानता कि अंकल अपने आखिरी वक्त को देख पा रहे थे। जो डॉक्टर उनका इलाज कर रहा था उन्होंने स्वाति की तरफ उसके मन की बात को समझ लिया था। दूसरी जात का होते हुए भी उससे उन्होंने स्वाति की शादी तय कर दी। वह जानते थे कि उनके बाद स्वाति के लिए वो डॉक्टर उनका सही फ़ैसला है। मैं यह सारी बातें इसलिए जानता हूं क्योंकि वह डॉक्टर अरोड़ा मेरे पड़ोसी थे। स्वाति ने अपने पिता का बहुत अच्छे से ध्यान रखा और उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार कर वो डॉक्टर की पत्नी के रूप में उनके घर आ गई। कुछ समय बाद वह लोग भी शहर छोड़ कर चले गए थे। तब से स्वाति के बारे में कुछ पता नहीं था।
कुछ वक्त बाद मैं भी तेरे इसी शहर में शिफ्ट हो गया। यह बात न तो तू जानता था ना मैं की स्वाति भी इसी शहर में रह रही थी। आज जब उसकी बेटी का रिश्ता अपने राहुल के साथ तय होने की बात सुनी तो बहुत अच्छा लगा।”
आखिरकार इतवार को प्रीति अपने पिता डॉक्टर अरोड़ा के साथ आई। अमित की नज़रें दरवाज़े पर टिकी हुई थीं अपने पहले प्यार स्वाति को देखने के लिए। “आपकी मां नहीं आईं बेटे?” अमित ने प्रीति से पूछा। “ जी, मां को तो गुज़रे हुए तीन साल हो गए हैं” प्रीति ने कहा। अमित की आंखों में आंसू वहीं रह गए, वह अपना दुख किसी को दिखा नहीं सकता था। “ लेकिन बायोडाटा में तो कुछ नहीं लिखा था। क्या हुआ था उनको?” अमित ने पूछा। डाक्टर अरोड़ा ने कहा, “प्रीति को अच्छा नहीं लगता कि वह अपनी मां के नाम के साथ स्वर्गीय लिखे। स्वाति कोरोना की बीमारी के चलते संभल नहीं पाई और हमें छोड़ गई। उसके जैसी अच्छी बहु, पत्नी और मां बहुत किस्मत वालों को मिलती है। मैं और प्रीति उसे बहुत याद करते हैं।”
अमित के आगे स्वाति का चेहरा घूमने लगा। अपने माता-पिता की संस्कारी बेटी, बहु, अच्छी पत्नी और मां। स्वाति के लिए प्यार तो था ही पहले पर आज डॉक्टर की बातें सुनकर अमित का दिल स्वाति के लिए आदर से भर गया था। अमित ने प्रीति को अपने पास बुलाया और सर पर हाथ रखकर कहा, “ मुझे पूरी उम्मीद है तुम अपनी मां की परछाई बनोगी”।
सब लोग मिलकर राहुल और प्रीति को आशीर्वाद देते हैं। अजय मुस्कुराकर अमित की तरफ देखता है। अमित की आंखों से साफ़ झलक रहा था कि आज वह बहुत खुश है। बरसों पहले उसने जो खो दिया था आज प्रीति के रूप में स्वाति की छवि, उसका पहला प्यार उसे वापस मिल गया था।