कहीं आप भी तो नहीं कर रहे नवजात के साथ यह 5 गलतियां: Child Care Myths
Child Care Myths

Child Care Myths: घर में छोटे बच्चे का आना खुशियों को लेकर आता है। हर कोई चाहता है कि वो अपने बच्चे की बेहतरीन देखभाल और परवरिश करें। लेकिन कई बार जाने-अनजाने में हम नवजात शिशु को कभी दुलार में तो कभी उनकी विशेष देखभाल के लिए वो गलतियां कर देते हैं जो उनकी सेहत के लिए सही नहीं होती। जानते हैं कि वो कौन सी बातें हैं जिनका हमें ध्यान रखना चाहिए।

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काजल लगाना

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अरे बच्चे के काजल लगाया करो, नहीं तो उसकी आंखें छोटी रह जाएंगी। यह बात आपने न जाने कितनी पुरानी औरतों से सुनी होंगी। सुबह बच्चे की मालिश और नहलाकर तैयार करने के बाद आंखों में काजल लगाना कुछ घरों में एक परंपरा सी है। कुछ लोग लॉजिक देते हैं भई हम तो घर का काजल लगाते हैं लेकिन आपको पता है कि वो बच्चा बहुत छोटा है घर के बने हुए काजल भी उसके लिए फायदेमंद नहीं हैं। वहीं बाहर के काजल की बात करें तो उसमें लिड होती हैं। बच्चा कह भी नहीं पाता और उसकी आंखों में इन चीजों से इरिटेशन और रेडनेस हो जाती है। आप यह बात जान लें कि काजल लगाने से बच्चों की आंखों की बनावट पर कोई असर नहीं पड़ता। यह तो डीएनए पर निर्भर होता है।

शहद चटाना

बहुत घरों में नवजात बच्चों को शहद चटाने की एक परंपरा होती है। अच्छी बात है शहद बहुत अच्छी चीज होती है। इसका सेवन करना चाहिए लेकिन हम बड़ों के लिए यह अच्छा है। छोटे बच्चों के लिए नहीं। बच्चों को इससे एलर्जिक रिएक्शन होता है। इससे बोटोलिज्म हो सकता है। यह उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

आटे की लोई से मालिश

बहुत घरों में छोटे बच्चोंको रगड़- रगड़ आटे की लोई से मालिश की जाती है। इस मालिश को करने का औचित्य होता है कि बच्चों की स्किन से बाल साफ किए जाएं। लेकिन इस तरह से बाल हटाने से बच्चों को बहुत तकलीफ होती है। यह बाल वैसे भी अपने आप ही हट जाते है। लेकिन जब इस तरह से रगड़- रगड़ कर लोई की जाती है तो बच्चों को रैश या स्किन इंफैक्शन का भी सामना करना होता है।

बच्चे के निपल से दूध निकालना

आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यह प्रैक्टिस हमारे भारत में बहुत जगहों पर की जाती है। नवजात शिशु के निपल को दबाकर दूध निकाला जाता है। यह प्रैक्टिस तुरंत बंद करने की जरुरत है। इससे निप्पल टिशू नष्ट होते है। वहीं बच्चे की वेदना को आप समझ नहीं सकते।

ग्राइप वाटर पिलाना

बच्चा रो रहा है तो उसे ग्राइप वॉटर दे दो। उसे घुट्‌टी पिला दो। अगर आप भी अपने बच्चे को शांत करने के लिए घुट्‌टी या ग्राइप वॉटर दे रहे हैं तो ऐसा करना तुरंत बंद कर दें। आपको जानकर हैरानी हसेगी कि कुछ ग्राइप वॉटर में तो एल्कोहल या मॉरफाइन भी पाया गया है। अब आप खुद सोचें कि क्या अपने बच्चे को इस उम्र में एल्कोहल देना पसंद करेंगे? यह किस हद तक आपके बच्चे के ब्रेन के डवलपमेंट पर नकारात्मक असर डालेगा, आप सोच भी नहीं सकते।