‘‘मैं कैसे पता लगाऊं कि मेरे शिशु का मुँह किस ओर है? मैं तय करना चाहती हूँ कि वह डिलीवरी के लिए सही रास्ते पर है?”

हालांकि बाहर से शिशु के हाथ-पैर, कुहनियों व घुटनों का अंदाजा लगाना काफी मनोरंजक हो सकता है लेकिन यह शिशु की सही स्थिति का पता लगाने का तरीका नहीं है। डॉक्टर आपको शिशु के अंगों की सही स्थिति का अंदाजा दे सकते हैं।

शिशु के दिल की धड़कन से भी उसकी स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। यदि उसका सिर पहले है तो दिल की धड़कन पेट के निचले आधे हिस्से में सुनाई देगी। यदि शिशु की पीठ आपके आगे की ओर है तो यह तेज सुनाई देगा। यदि कोई संदेह हो तो अल्ट्रासाउंड से काफी कुछ पता लगा सकते हैं।

  • वैसे आप दिलबहलाव के लिए ये साधन भी आजमा सकती हैं‒
  • शिशु की पीठ का हिस्सा सपाट होता है तथा इसके नन्हे हाथ-पांव होते हैं।
  • आठवें महीने उसका सिर आपके पेल्विस के करीब होता है।
  •  उसके नितंब सिर से ज्यादा नरम होते हैं।

 ब्रीच बेबी 

‘‘पिछली मुलाकात में डॉक्टर ने मुझे बताया कि शिशु का सिर मेरी पसलियों के पास है।क्या इसका मतलब वह ब्रीच है?”

हो सकता है कि शिशु कुछ जिमनेस्टिक कर रहा हो दरअसल, अधिकतर शिशु 32 से 38 सप्ताह के बीच सही स्थान पर आ जाते हैं।कुछ शिशु ही जन्म से कुछ दिन पहले तक सही तरीके से स्थिर नहीं हो पाते। उसका निचला हिस्सा नीचे की ओर है। इसका मतलब यह नहीं कि वह जन्म के समय में भी ब्रीच होगा।

यदि उसने डिलीवरी से पहले भी ब्रीच स्थिति रखी तो डॉक्टर आपसे पूछ कर इसका कोई न कोई उपाय कर सकते हैं इसलिए घबराने वाली कोई बात नहीं है।

ब्रीच बेबी को पलटना

कुछ डॉक्टर ब्रीच बेबी को पलटने के लिए व्यायाम करने की सलाह देते हैं अपना सिर नीचा करके हाथों व घुटनों के बल बैठें व आगे-पीछे घूमें पेल्विक टिल्ट में लेकिन इन व्यायामों को करने से पहले डॉक्टर की राय लेना न भूलें।

चेहरा कहाँ है

शिशु की पोजीशन की बात करें तो यदि शिशु का सिर नीचे, मुंह आपके पीछे व चिबुक छाती से लगी है तो आप किस्मत वाली हैं। यह ऑकीपुट एटीरियर पोजीशन जन्म के लिए आदर्श मानी जाती हैं क्योंकि प्रसव के समय उसका सिर आसानी से पहले बाहर आ जाता है। यदि शिशु का मुँह आपके पेट की तरफ है (ऑकीपुट पोस्टीरियर) तो या नुकसानदायक है। उसकी खोपड़ी आपकी रीढ़ की हड्डी पर दबाव डाल सकती है व उसे बाहर आने में भी देर लगेगी।

डिलीवरी के दिन पास आने पर डॉक्टर उसकी स्थिति जानने की कोशिश करेंगे यदि उसकी स्थिति पोस्टीरियर है तो चिंता न करें। कई शिशु प्रसव के समय सही पोजीशन में आ जाते हैं। कई जगह डॉक्टर अपने व्यायामों से भी स्थिति में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।