Parvarish: “जिन पौधों की परवरिश,
हमेशा छांव में होती है
वह अक्सर कमजोर होते हैं,
और जिन पौधों की परवरिश
धूप में होती है वो हर
मौसम को झेल लेते हैं” मतलब की आप अपने बच्चों को जैसी परवरिश देंगे वे वैसे ही होंगे। कहते हैं न की बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। सिर्फ़ बच्चों को जन्म देना ही आपकी ज़िम्मेदारी नहीं है उन्हें अच्छा जीवन देना भी आपकी ज़िम्मेदारी है।
क्या आपको पता है कि आपका बच्चा सारा दिन क्या करता है? आपके बच्चे के दोस्त कैसे हैं? आपके ऑफिस जाते ही आपका बच्चे के साथ नैनी कैसा बरताव करती हैं? आज का सबसे बड़ा सवाल है कि क्या आपके बच्चे की परवरिश सही तरीक़े से हो रही है कि नहीं ? सवाल तो बहुत हैं पर जवाब देना बेहद ही कठिन है । अपने बच्चों की देखभाल कैसे करनी है आपको
गृहलक्ष्मी पूरी जानकारी देगी।
सोशल मीडिया के ज़माने में बच्चों को सिर्फ़ दिखावे की ही नहीं बल्की एक अच्छी परवरिश की बहुत ज्यादा जरुरत है। कुछ लोग अपना प्यार बस सोशल मीडिया तक ही दिखाते हैं वे स्टोरी स्टेटस में अपने बच्चों को कैप्शन के साथ माय लव , माय लाइफ लिखेंगे लेकिन असलज़िंदगी वो बच्चो को देखते तक नही है कि वो कहां जा रहा है क्या कर रहा है। लोग अपने काम में इतने ज्यादा व्यस्त रहते हैं की वो अपने बच्चों को या तो नैनी के भरोसे छोड़ जाते हैं या फिर पड़ोसियों के भरोसे पर वे ये गौर नहीं करते हैं की इस बीच उनका बच्चा कही गलत संगत में तो नहीं पड़ गया है।
टेक्नोलॉजी और लाइफस्टाइल में कई तरीके से बदलाव आए है तो अब बच्चों की परवरिश में भी कई तरह की विभिन्नता देखने को मिलती है। आप किस तरह से अपने बच्चो का आज के ज़माने में पालन पोषण कर सकते हैं आइए एक नज़र में देखते हैं:
1.ज़रूरी है कीमती वक्त देना:

पहले के टाइम में औरते सारा दिन घर पर रहती थी जिससे वो अपने बच्चो को पूरा समय देती थी। सही गलत की समझ विकसित करती थी। बच्चों में पूरा अनुशासन उनकी मां का होता था लेकिन आज के समय में ज्यादातर महिलाएं जॉब्स करती हैं जिससे वे अपने बच्चों को समय नहीं दे पाती हैं। वक्त मिलते ही आप अपने बच्चों को ख़ास समय जरूर दे। ज्यादा नहीं तो रात में सोने से पहले बच्चों के साथ उनके सारे दिन की बातें जरुर सुने इससे न केवल आपको आपके बच्चे के बारे में जानकारी मिलेगी बल्कि अपके और बच्चे की बीच रिश्ता भी हेल्दी रहेगा।
2. आपकी और बच्चे की दोस्ती हो सबसे पक्की:

अगर बच्चों को घर पर ही खुशनुमा माहौल मिलेगा तो भला वो बाहर क्यों जायेंगे। आप अपने बच्चों के हमेशा बेस्ट फ्रेंड्स बनकर रहें , उनकी हर बात को सुने और समझें उनके साथ खेलें और उनके साथ सीक्रेट्स शेयर जरूरी करें।
3. रोक टोक भी ज़रूरी:
इसमें कोई शक नही है कि आप अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चों की गलती को नज़र अंदाज़ कर दें। जब भी उनको गलत करते पाएं उन्हे उसी वक्त टोक दें और उस गलती के नुकसान से तुरंत प्यार से अवगत कराएं।
4. जैसा देखेंगे वैसा ही तो सीखेंगे बच्चें:
छोटे बच्चे कुम्हार की उस मिट्टी की तरह होते हैं जिसे आप जेसे ढालना चाहेंगे वो वैसे ही ढल जायेगें। कुछ लोगों के बच्चें बहुत छोटी सी उम्र से ही गलत भाषा के प्रयोग के साथ-साथ उल्टे सीधे तरीके से बात करने लगते हैं। इसमें गलती उनकी नहीं है गलती है उनके माहौल की इसीलिए बच्चों के सामने हमेशा अच्छा व्यवहार ही करें और उन्हे गलत माहौल में पढ़ने से रोकें।
5. न करें हमेशा ज़िद्द पूरी:

कुछ लोग बच्चों के मोह मे इतने ज्यादा पागल हो जातें हैं की उनको अपने बच्चे की हर ज़िद्द सही लगती है जिससे बच्चे दिन पर दिन और जिद्दी हो जातें है जो आगे चलकर भविष्य में उनके लिए ही संकट उत्पन्न करता है। इसीलिए अपने बच्चों को ज़िद्द होने से बचाना बहुत ज़रुरी है।
6. अपनी सपनों का बोझ बच्चों पर न डालें:
कुछ लोग जो काम अपने जीवन में नही कर पाते हैं वो अपने बच्चों से करवाने की ज़िद्द ठान लेते हैं। जरूरी नहीं की जो आपका सपना हो वही आपके बच्चे का भी हो। शायद आपको अभी अंदाज़ा भले ही न हो लेकिन आपका ऐसा करना बच्चों को चिड़चिड़ा और कमजोर बना सकता है। इसीलिए बच्चों को आज़ाद पक्षी की तरह आसमान में उड़ने दे ताकि वो अपने सपने ख़ुद देखें और खुद ऊंची उड़ान तय कर सकें।
7. बचपना हो अनुशासित:

किसी भी व्यक्ति की सफलता में उसका अनुशासित जीवन ही प्रमुखता से सहायक होता है। अपके बच्चे बेशक आपके जिगर का टुकड़ा होंगे लेकिन उनमें अनुशासन का होना भी बेहद जरूरी है। उन्हे हर सही गलत बात के साथ समय का महत्व बचपन से ही सीखना जरूरी है।
ये मात्र कुछ बेसिक से तरीके हैं इन सब के अलावा आप अपने बच्चों को पुराने समय या आपने बचपन की कुछ मोटिवेशनल स्टोरी भी बता सकते हैं। बच्चों को साइंस के साथ-साथ थोड़ा धर्म पूजा पाठ का ज्ञान देना भी ज़रूरी है। बच्चों को दूसरों की सहायता और ख़ुद से ज्यादा किसी पर ज्यादा भरोसा न करना जैसी सीख जरुर दे सकते हैं।
