Summary: क्या आप एक अच्छी माँ हैं? जानिए परवरिश के ये सकारात्मक संकेत
अगर आप खुद से सवाल करती हैं, पछताती हैं और हर दिन थोड़ा बेहतर बनने की कोशिश करती हैं, तो आप सही दिशा में हैं। अच्छी परवरिश प्यार, समझ और भावनात्मक जुड़ाव पर टिकी होती है – न कि परफेक्शन पर।
Parenting Self Doubt: हर माँ कभी न कभी इस सवाल से गुज़रती हैं, “क्या मैं अपनी बच्चे/बच्ची की सही परवरिश कर रही हूँ?” यह सवाल खुद में इस बात का संकेत है कि आप एक जागरूक और संवेदनशील अभिभावक हैं क्योंकि जिन माता-पिता को फर्क नहीं पड़ता, वो ये सवाल ही नहीं पूछते। सही परवरिश का मतलब परफेक्ट होना नहीं है। इसका मतलब है सीखना, जुड़ाव बनाए रखना, और हर दिन थोड़ा बेहतर बनना। तो आइए जानें कुछ संकेत जो बताते हैं कि आप शायद सही दिशा में हैं:
अगर आप खुद से सवाल पूछती हैं
जब आप सोचती हैं कि कहीं कुछ गलत तो नहीं कर दिया तो आप अपनी भूमिका को लेकर गंभीर हैं। यह शर्म का नहीं, संवेदनशीलता का संकेत है।
आप बच्चे की भावनाएं समझना चाहती हैं

सिर्फ ये नहीं कि वो पढ़ाई करे या अनुशासित हो, बल्कि ये भी कि वो क्या महसूस कर रहा है, क्या सोचता है, यह समझना चाहती हैं।
गलती के बाद पछतावा होता है
कभी-कभी गुस्सा आना, चिल्ला देना मानवीय है। लेकिन इसके बाद पछताना और सुधारने की कोशिश करना ही आपको एक अच्छा अभिभावक बनाता है।
आप जुड़ाव को महत्व देती हैं
बच्चे के साथ पढ़ाई करना, साथ खाना खाना, उसका मन जानना ये सब छोटी बातें नहीं, बल्कि भावनात्मक नींव हैं।
आप तुलना नहीं करतीं (या कर भी लें तो खुद को रोक लेती हैं)
“शर्मा जी का बेटा…” जैसे वाक्य से आप बचती हैं। आप जानती हैं कि हर बच्चा अलग है, और आप अपने बच्चे को उसकी पहचान में देखना चाहती हैं।
आप सुधार के लिए तैयार रहती हैं
आप चाहती हैं कि बच्चा सिर्फ डर के कारण अच्छा न बने, बल्कि समझ और प्रेम से सीखे। इसके लिए आप खुद भी लचीलापन अपनाने को तैयार हैं।

सही परवरिश का मतलब क्या नहीं है?
हर समय शांत रहना, हर सवाल का जवाब देना, खुद को खत्म कर देना बल्कि इसका मतलब है हर दिन अपने बच्चे के साथ एक भरोसेमंद रिश्ता बनाना।
आप थकी हुई महसूस करती हैं, कभी कमजोर पड़ती हैं, या कभी खुद पर शक करती हैं तो रुकिए और याद रखिए आप वही कर रही हैं जो एक अच्छा माता-पिता करता है ईमानदारी से प्रयास। सही परवरिश कोई एक नियम नहीं, बल्कि एक निरंतर संवाद है खुद से, और अपने बच्चे से।
हर माँ की परवरिश अलग होती है
हर माँ का तरीका अलग होता है कोई सख्ती से प्यार दिखाती है, कोई गले लगाकर। लेकिन अंत में अगर आपके इरादे में प्यार, समझदारी और सुरक्षा है, तो आपका तरीका आपके बच्चे के लिए सबसे सही है। परवरिश कोई प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक यात्रा है जिसमें आप भी सीखती हैं, और बच्चा भी। इसलिए खुद को दोष देने की बजाय, खुद को स्वीकार कीजिए – क्योंकि आपकी मौजूदगी, आपका साथ, ही आपके बच्चे की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
कभी-कभी अच्छा माता-पिता बनने का मतलब है खुद को भी समझना
हमारे अपने बचपन के अनुभव, अधूरे जज़्बात या अपूर्ण इच्छाएं अक्सर अनजाने में हमारी परवरिश में झलकने लगती हैं। अगर कभी आप खुद को अपने माता-पिता की तरह व्यवहार करते हुए पाती हैं और फिर रुक जाती हैं तो वो रुकना ही बदलाव की शुरुआत है। अच्छा माता-पिता बनना सिर्फ बच्चे की नहीं, खुद की भी देखभाल और हीलिंग की प्रक्रिया है। जब आप खुद से दयालुता से पेश आती हैं, तब आप अपने बच्चे को भी दयालु बनना सिखाती हैं।
