बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ ना करें, इन अंधविश्वासों पर ना करें यकीन
कौन था वो जिसने ऐसे नियम बनाए, इस तरह का अंधविश्वास फैलाया।
Myths about New Born Babies: अंधविश्वास की जड़ें आज भी काफी मजबूती से हमारे समाज को जकड़े हुए हैं। खासतौर पर जब ये अंधविश्वास पैदा हुआ बच्चे या छोटे छोटे बच्चे के बारे में हों। हम में से बहुत से लोग इन पूरी तरह से विशवास करते हैं। क्या कभी आपने सोचा है ऐसी सोच के पीछे आखिर वजह क्या हों सकती है। कौन था वो जिसने ऐसे नियम बनाए, इस तरह का अंधविश्वास फैलाया। शायद कोई भी नहीं जानता ऐसे दकियानूसी नियम और सोच किसने बनाई। लेकिन हां आज हम सब मिल कर ऐसे अंधविश्वास को सिरे से नकार कर इन्हें पूरी तरह से खत्म भी कर सकते हैं।
आइये जानते हैं इन के बारें में कुछ बातें।
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काल धागा

अक्सर आपने बच्चों के गले में काला धागा बंधे हुए देखा होगा जिसमे कई बार कोई लॉकेट भी होता है। अब सोचिये आपने अपने बच्चे को ये सब पहना तो दिया, लेकिन क्या उसके बारे में आपने एक बार भी सोचा। इतना छोटा बच्चा जिसकी त्वचा इतनी मुलायम है की शायद हल्के से पकड़ने पर भी हमें ये डर बना ही रहता है की उसे कुछ परेशानी न हों जाए, लेकिन ऐसे में भी हमने उसे वो मोटा काल धागा पहना दिया जिस से उसे कई तरह का इन्फेक्शन हों सकता है, और वो मासूम कुछ कह भी नहीं पायेगा।
जन्म से पहले कुछ न खरीदना

महीनों के इन्तजार के बाद आपके घर में एक नन्हा बच्चा आने वाला है, उसके लिए अलग अलग तरह की तैयारी करने की जगह आप इस तरह के दकियानूसी ख्यालों पर अड़े हुए हैं। पुराने ज़माने में मेडिकल की अच्छी सुविधा ना होने पर बच्चों का मृत्यदर बहुत ज्यादा था इसलिए ऐसा कुछ किया नहीं जाता था। लेकिन आजकल मेडिकल की एक से एक सुविधा है। पुरानी बातों को छोड़ें और बच्चे के आने से पहले ही उसके लिए ढेर सारी शॉपिंग करें।
शहद चटाना

इस परंपरा में नवजात शिशु को जन्म के बाद, उसके सबसे पहले स्तनपान से भी पहले घर के सबसे बड़े बुजुर्ग शहद चटाते हैं। उनका मान लेना होता है की शहद मीठा होता है लेकिन 6 महीने से काम उम्र के बच्चों के लिए ये मीठा नही माना जाता है। आपकी इस तरह की लापरवाही आपके बच्चे की जान को जोखिम में डाल सकती है।
रात में कपड़े बाहर न छोड़ना

पहले के समय में न बिजली की इतनी सुविधा थी ना ही कोई मॉडर्न फैसिलिटी थी। रात में कोई कीड़ा , चींटी आदि आ कर बच्चे के कपड़े में ना रह जाए इसलिए उनके कपड़े शाम होते ही अंदर रख दिए जाते थे। ताकि उजाले में देखा जा सके की अगर ऐसा कोई जिसव् या चींटी हैं तो उन्हें निकाल दिया जाए। लेकिन आजकल इस बात का कोई मतलब नहीं, कृपया इस तरह की सोच से बाहर निकलें।
शीशे से दूरी बनाना
बहुत सी जगह ये माना जाता है की बच्चे को शीशे के सामने नहीं रखना है। बच्चा अपना चेहरा शीशे में ना देख पाए काम से काम साल भर तक इस बात का काफी ख्याल रखा जाता है। लोगों का मानना है की बच्चा अगर शीशा देख लेगा तो उसके दांत निकलने में काफी परेशानियां आएंगी। अगला लॉजिक तो बहुत ही बेबुनियादी है की शीशे के अंदर से बच्चे को कोई बुरी आत्मा दिखेगी और वो उसे अपने वश में कर लेगी।
