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बंटवारा-गृहलक्ष्मी की कहानी

Hindi Story: कमला घर की बड़ी बहू है हिंदी मीडियम की पढ़ी बेहद सौम्य सरल सीधी साधी और सभी को जोड़ कर चलने वाली सास ससुर की सेवा करने वाली थी, कमला जब से ब्याह करके गुप्ता परिवार में आई थी तभी से गुप्ता परिवार को ही अपना सब कुछ मानकर रात दिन सभी की […]

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मेरा घर है-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Mera Ghar: सुनैना अपने घर से ऑफिस जाने के लिए निकली थी, कि गुरमी साहूकार ने रोक लिया | बहन इस महीने का किराया | सुनैना सकपका गयी, किराया का घर, और रोज़- रोज़ गुरमी का आकर किराया मांगना उसे बहुत खलता था | उसने ५०० के ८ नोट निकाले और बड़े बेमन से उसकी […]

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रिश्तों की ठिठुरन-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Relation Story: सर्द हवाओं से मदन का पूरा जिस्म कांप रहा था।बुढ़ापे की मार ओर कमर दर्द ने उसे ओर कमजोर बना दिया था। गोमती ने खाट पर लेटे मदन को हिलाते हुए पूछा..,”आज दाड़की पर नही जानो का..?मदन ने आँख खोली चरमराती खाट पर करवट बदल कर गोमती को ओर देख बोला।“आज तो जबरदस्त […]

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कटी पतंग-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Kite Story: ससुराल में मेरी पहली मकर संक्रांति थी ठंडी की छुट्टियों पर पूरा परिवार इकट्ठा था मेरी ननद भी अपने दोनों बच्चों और पति के साथ आयी हुई थी छत पर सब पतंग उड़ा रहे थे। उन्हें एक साथ पतंग उड़ाता देख कर मुझे मेरा बचपन याद आ गया । अपने मायके में बचपन […]

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जाते हुए साल—गृहलक्ष्मी की कहानी

Last Year Story: “मधुरम..ओ..मधुरम…!,”दादी की आवाज सुनकर मधुरम चौंका। “जी,दादी..!” “अरे ले ले बेटा..ये तेरा लिफाफा आया है..।” “मेरा…!”मधुरम ने दादी से  लिफाफा लिया और  अपने कमरे में चला आया। बेड पर लैपटॉप पहले से ही खुला हुआ था। उदास मधुरम ने अपने बेड पर बैठकर लिफाफा खोलने लगा। “अरे दादी…!!मधुरम ने बड़े जोर से […]

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खबरदार—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

Hindi Stories: उमा दीदी आपका फोन, लीजिये ना, कब से नहीं देखा आपने।”,”अरे,अब ये बुढ़ापा, अब क्या करना फोन का ?”,”अरे,, अरे,, ये कैसी बातें कर रही आप । अभी तो पचपन ही है आपकी उम्र, ”अच्छा, मुझे लगा अस्सी बरस की हो गई ।” उमा ने ऐसा कहकर अपनी सहायिका से मजाक— मजाक मे […]

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सिकुड़ते रिश्ते-गृहलक्ष्मी की कहानी

Hindi Story: शाम होते ही सोसायटी में लोगों की चहल पहल दिखाई देने लगती।बच्चे बगीचे और मैदान घेरे लेते और बुजुर्ग बेंच पर बैठ धीरे- धीरे बातों में समय बिताने लगते। महिलाएं शाम की सैर करते करते अपनी सहेलियों से मन की बातें कर जी हल्का कर लेती। ऐसी ही एक शाम में अलका  ने […]

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आधी अधूरी मां-गृहलक्ष्मी की कहानी

Mother Story: जब से मैंने उसे स्कूल के प्रांगण में बिंदास खेलते देखा था तब से वह मुझे बहुत ही भा गई थी।चंपई रंग की,गोल शक्ल , छरहरा बदन और एक दम ही आत्मविश्वास से भरी चाल किसी का भी मन मोह लेती थी तो भला मैं कैसे बचूंगी।नई नई आई थी में शहर में,अभी […]

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न्यू असाइंटमेंट —गृहलक्ष्मी की कहानियां

न्यू असाइंटमेंट-महिलाओं को अलग पागलखाने में रखा जाता है, पुरुषों को अलग..यह उसे पता था और वह महिला मानसिक चिकित्सालय के सामने थी। उस दिन प्रिया किसी स्टोरी के सिलसिले में वहाँ गई थी…हाँ उसके लिए तब तक वह महज़ अख़बार की दृष्टि से की जाने वाली मानवीय दृष्टिकोण की कोई अगली ख़बर या कहानी […]

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‘बदलते रिश्ते’—गृहलक्ष्मी की कहानियां

बदलते रिश्ते-“सारा सामान समेट कर क्यों जा रही हो?” सरला ने बेटी की आंखों में देखते हुए बड़ी ही सरलता से पूछ लिया। “मुझे पता था कि आप ये सवाल करेंगी!”सोनिया ने बड़ी ही बेपरवाही से कहा और अपने सामान रखने लगी तो सरला से रहा न गया और वह बिफर पड़ी।“नौकरी लगी है शादी […]