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एक ईट से शुरू होकर-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: एक घर तक की कहानी नारी है|जहाँ दरवाजे से समृद्धि प्रवेश करती है|खिड़कियों से प्रेम और,रोशनदानो से कष्टों की हवाएँवातायन करती रहती है|दीवारों पर घर के प्राणियों के स्वप्न,किसी खुबसूरत पेंटिंग की तरह,वो अपने हाथों से सजाती है|एक चाय की प्याली से शुरू होकर,एक रोटी तक का हुनर स्त्री है|जहाँ हर कोर में […]

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मेरा शहर कोटद्वार..गृहलक्ष्मी की कहानी

Hindi Kahaniya: उत्तराखंड में स्थित कोटद्वार ,जिसे गढ़वाल का द्वार भी कहते हैं |इसी शहर में मैं अपने माता-पिता के साथ तब आई थी| जब मैं 10 साल की थी| यहीं एक सरकारी विद्यालय में मेरी शिक्षा शुरू हुई| उस स्कूल की यादें आज भी मेरे जहन में ज्यों कि त्यों बसी हैं|अपनी सहेलियों के […]

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दो सहेलियां—गृहलक्ष्मी की कहानियां

Hindi Friendship Story: धीरे-धीरे सूर्य देव अस्ताचल की ओर बढ़ रहे थे| आखिरी रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में रोहणी स्टेशन पर बैठी थी| रोहणी कई सालों बाद भाई के घर जा रही थी| इसलिए बहुत उत्साहित थी| बहुत दिनों बाद जाना हो रहा था| इतने समय तक बच्चों की जिम्मेदारी , सास – ससुर की सेवा […]

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दो सहेलियाँ-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Friends Story: धीरे-धीरे सूर्य देव अस्ताचल की ओर बढ़ रहे थे| आखिरी रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में रोहणी स्टेशन पर बैठी थी| रोहणी कई सालों बाद भाई के घर जा रही थी| इसलिए बहुत उत्साहित थी| बहुत दिनों बाद जाना हो रहा था| इतने समय तक बच्चों की जिम्मेदारी , सास – ससुर की सेवा में […]